स्कैम: जिला आयोग ने लिया फैसला, ब्याज के साथ बैंक भरे ऑनलाइन फ्रॉड की रकम
- जिला आयोग ने लिया फैसला
- ब्याज के साथ बैंक भरे ऑनलाइन फ्रॉड की रकम
- ट्रांजेक्शन का एसएमएस तो यह सेवा में कमी
डिजिटल डेस्क, सतना। इस ट्रांजेक्शन का एसएमएस खातेदार सुष्मिता दास के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर नहीं देने के मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने बैंक प्रबंधन को आदेशित किया है कि वह एकाउंट से गायब हुई राशि का भुगतान 6 फीसदी ब्याज के साथ उपभोक्ता के पक्ष में करे। आयोग के अध्यक्ष सुदीप श्रीवास्तव, सदस्य उमेश गिरि एवं विद्या पांडेय की पीठ ने अपने फैसले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग की नजीर के हवाले से माना कि एसएमएस का नहीं मिलना सेवा में कमी है और इसके लिए बैंक जिम्मेदार है।
जब महंगा पड़ा 50 रुपए का रिचार्ज
प्रेमनगर निवासी याचिकाकर्ता सुष्मिता दास पत्नी स्व. पिंटू दास के अधिवक्ता प्रतीक श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 2019 की 31 मई को सुष्मिता ने गूगल पे ऐप से ५० रुपए का मोबाइल रिचार्ज लिया था। खाते से 50 रुपए तो गए लेकिन मोबाइल रिचार्ज नही हुआ। खाते से रकम कट गई, लेकिन मोबाइल रिचार्ज नहीं हुआ। शिकायत पर उक्त राशि बाद में खाते में क्रेडिट हो गई, लेकिन इस दौरान इस संव्यवहार का कोई एसएमएस उनके मोबाइल पर नहीं आया। आशंका होने पर घटना की शाम जब उन्होंने अपने एकाउंट का बैलेंस चेक किया तो वह दंग रह गईं। असल में उनके बैंक आफ इंडिया के सेविंग एकाउंट से तीन अलग-अलग ट्रांजेक्शन के माध्यम से 91 हजार 542 रुपए की राशि अनाधिकृत रूप से निकल चुकी थी। पहली किश्त में 19 हजार 867 रुपए, दूसरी किश्त में 45 हजार 986 और तीसरी किश्त में 25 हजार 689 निकले थे। लेकिन इतनी बड़ी राशि के लेन-देन का एक भी एसएमएस बैंक की ओर से ग्राहक को नहीं भेजा गया था।
बैंक ने कहा टेक्निकल फाल्ट
ऑनलाइन फ्रॉड की जानकारी होने पर सुष्मिता दास ने ठगी की शिकायत सिटी कोतवाली दजग् कराई। बैंक को सूचित कर ट्रांजेक्शन की डिटेल रिपोर्ट मांगी। मगर, कोई कार्यवाही नहीं होने पर 2020 की 6 जून को उन्होंने पुन: बैंक से लिखित शिकायत की, लेकिन एसएमएस नहीं आने के सवाल पर बैंक ने यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया कि टेक्निकल फाल्ट (तकनीकी त्रुटि) के कारण एसएमएस नहीं आए होंगे? बैंक ने राशि लौटाने से इंकार कर दिया। अंतत: सुष्मिता ने अधिवक्ता प्रतीक श्रीवास्तव के माध्यम से गूगल पे ऐप और बैंक के विरुद्ध जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। अधिवक्ता के मुताबिक जिला आयोग के समक्ष बैंक प्रबंधन ने दावा किया कि एसएमएस भेजे गए थे, लेकिन बैंक एसएमएस भेजे जाने के साक्ष्य और ठोस तर्क नहीं पेश कर पाया। लिहाजा जिला आयोग ने राष्ट्रीय आयोग के प्रतिपादित सिद्धांतों का हवाला देते हुए बैंक के तर्क सिरे से खारिज कर दिए और माना कि एसएमएस का नहीं भेजना सेवा में कमी है। बैंक ने ग्राहक के साथ सेवा में कमी की है। आयोग ने बैंक प्रबंधन को 31 मई 2019 की स्थिति से 91 हजार 542 रुपए की राशि 6 प्रतिशत ब्याज के साथ सुष्मिता दास के पक्ष में भुगतान करने का आदेश दिया है। आयोग ने 2 हजार 500 रुपए की परिवाद व्यय की राशि देने का भी आदेश पारित किया है।
इनका कहना
ऑनलाइन फ्रॉड पर जिला आयोग का फैसला बहुत ही राहत भरा है। खाते से अंतरित राशि के एसएमएस उपभोक्ता को नहीं मिलना वास्तव में बैंक की सेवा में कमी है। ऐसी स्थिति में तत्काल शिकायत संबंधित स्थानीय बैंक और उसके अधिकृत टोल फ्री नंबर के साथ पुलिस में करनी चाहिए। फिर भी राहत नहीं मिलने पर शिकायत जिला आयोग में दर्ज करानी चाहिए।