Tata Group Ki History: कार कंपनी खरीद कर एहसान जताने वाली फोर्ड को इस तरह रतन टाटा ने दिया था जवाब, जानिए ऑटोमोबाइल की दुनिया का यादगार किस्सा

  • असफलता ही सफलता की सीढ़ी है- रतन टाटा
  • टाटा ग्रुप का ड्रीम प्रोजेक्ट क्या?
  • ऐसे दिया फोर्ड को अपने अपमान का जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-10 08:51 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रतन टाटा का शांत होना देश ही नहीं बल्कि विदेश के लिए भी एक दुख की बात है। रतन टाटा का बुधवार यानी 9 अक्टूबर को निधन हुआ है। जिसको लेकर पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। इन्होंने अपने जीवनकाल में देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में पूरा योगदान दिया है। जिसके लिए इनको कई सारी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा है। वो कहते हैं न कि "असफलता ही सफलता की सीढ़ी है"। आपने अक्सर आम लोगों को अपने अपमान का बदला तुरंत लेते देखा होगा, लेकिन महान लोग इसी अपमान को अपनी सफलता की सीढ़ी बना लेते हैं। ये कहानी एक ऐसी महान हस्ती की है जिसने अपने अपमान का बदला ताव में आकर नहीं बल्कि सफलता के झंडे गाड़ कर लिया। तो ऐसे में भारत के कोहिनूर कहे जाने वाले रतन टाटा जिन्होंने टाटा कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

इतना भी आसान नहीं कंपनी को मैनेज करना

अगर कोई कंपनी आज इतनी बड़ी और कामयाब है तो इसके पीछे उसकी कई सालों की मेहनत छिपी होती है। देश और दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनाने के लिए किसी भी कंपनी के मैनेजमेंट को कई तरह के उतार-चढ़ाव से होकर गुजरना पड़ता है। टाटा मोटर्स की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। आज टाटा एंड संस में भले ही 100 से ज्यादा कंपनियां आती हैं, जहां इस कंपनी में चाय से लेकर 5 स्टार होटल, सुई से लेकर स्टील और नैनो से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ मिलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि एक दौर ऐसा भी था जब टाटा कंपनी के लिए बाजार में अपनी प्रजेंस बनाए रखना ही एक बड़ी चुनौती थी। आज रतन टाटा भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी दी हुई सभी देन और ज्ञान हमेशा हमारे दिलों पर राज करती रहेगी। तो आइए आज हम आपको यहां टाटा ग्रुप के चेयरमेन रहे रतन टाटा के जीवन की एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जो सभी के लिए प्रेरणादायक है।

टाटा ग्रुप का ड्रीम प्रोजेक्ट

वैसे तो टाटा मोटर्स ने कई विदेशी कंपनियों को खरीदा है जिनमें जगुआर लैंड रोवर, देवू, हिस्पानो,मार्कोपोलो जैसे कंपनियां मुख्य हैं। लेकिन इनमें फोर्ड कंपनी का किस्सा थोड़ा दिलचस्प है। ये बात साल 1998 की है जब टाटा मोटर ने अपनी पहली पैसेंजर कार टाटा इंडिका को बाजार में उतारा था। इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए रतन टाटा ने रात-दिन एक करके जी तोड़ मेहनत की थी। लेकिन इस पैसेंजर कार को मार्केट में उतना अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला जितना उन्होंने सोचा था। जिसके बाद टाटा मोटर्स घाटे में जाने लगी। तब इस कंपनी से जुड़े कुछ लोगों ने कंपनी को घाटे में जाते देख रतन टाटा को इसे बेचने का सजेशन दिया। न चाहते हुए भी रतन टाटा को इस फैसले को स्वीकार करना पड़ा। इसके बाद वो टाटा इंडिका को बेचने के लिए अमेरिका की कंपनी फोर्ड के पास गए। वहां रतन टाटा ने फोर्ड कंपनी के चेयरमैन बिल फोर्ड से करीब 3 घंटे तक बातचीत की। इस मुलाकात के दौरान बिल फोर्ड ने रतन टाटा के साथ अच्छा व्यवहार न करते हुए उनका मजाक भी उड़ाया। बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा कि जिस बिजनेस के बारे में आपको कोई जानकारी नहीं है, उसमें इतना पैसा क्यों लगा दिया। इस बिजनेस को खरीदकर हम आपके ऊपर एहसान कर रहे हैं। बिल फोर्ड के ये शब्द मानो रतन टाटा के दिल और दिमाग पर छप गए। वे वहां से इस डील को कैंसल कर चले आए। और यहीं से शुरू हुआ टाटा ग्रुप की उड़ान का सफर।

टाटा इंडिका की उड़ान का सफर

बिल फोर्ड के वो शब्द रतन टाटा को इतना बेचैन कर रहे थे कि उनकी रातों की नींद उड़ चुकी थी। तब उन्होंने ठान लिया कि वो अब इस कंपनी को किसी भी हाल में नहीं बेचेंगे और अपना पूरा फोकस कंपनी को सफलता की ऊंचाईयों पर पहुंचाने के काम में लगा दिया। उन्होंने इसके लिए एक रिसर्च टीम तैयार की और भारतीय बाजार का मन टटोला। इसके आगे की कहानी तो आप सभी को पता ही है कि कैसे वो ऑटोमोबाइल क्षेत्र के पितामह बन गए। सिर्फ भारतीय बाजार ही नहीं विदेशों में भी टाटा इंडिका ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। ऐसे ही देखते-देखते टाटा मोटर्स ने दुनिया में अपनी एक अलग जगह बना ली।

फोर्ड कंपनी का डाउनफॉल

अब जहां टाटा मोटर्स अपनी नई ऊंचाइयों को छू रही थी, वहीं इस घटना के बाद से फोर्ड कंपनी का डाउनफॉल शुरू हो गया। साल 2008 तक आते-आते फोर्ड कंपनी बैंकरप्ट होने के कगार पर पहुंच गई थी। तब इस मौके की नजाकत को समझते हुए रतन टाटा ने फोर्ड की लक्जरी कार लैंड रोवर(Land Rover)और जैगुआर(Jaguar)ब्रांड बनाने वाली कंपनी जेएलआर(JLR)को खरीदने की डील रखी जिसको फोर्ड ने स्वीकार कर लिया। इसके लिए रतन टाटा और बिल फोर्ड के बीच बॉम्बे हाउस में मीटिंग फिक्स हुई। जहां इस मीटिंग के दौरान बिल फोर्ड ने रतन टाटा से वही बात दोहराई जो उन्होंने रतन टाटा से कही थी, लेकिन इस बार उनके सुर में थोड़ा बदलाव था। इस डील के फाईनल हो जाने पर बिल फोर्ड ने रतन टाटा थैंक्यू कहा और बोला कि आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं। आज जेएलआर(JLR)टाटा ग्रुप का हिस्सा है और बाजार में अच्छे प्रॉफिट के साथ आगे बढ़ रहा है।

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