कोलकाता रेप और मर्डर केस: ममता बनर्जी सरकार ने पास किया एंटी रेप बिल, दस दिन में मिलेगी आरोपी को फांसी की सजा? ये हैं खासियतें
- एंटी रेप बिल हुआ पास
- क्या है इस बिल का नाम?
- क्या होगी 10 दिन में फांसी?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोलकाता रेप और मर्डर केस में सीएम ममता बनर्जी की सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े हुए हैं। कोलकाता रेप और मर्डर के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जिसके बाद से सारे डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं। पीड़िता को न्याय दिलाने में पूरा देश एकजुट हो चुका है। राज्य सरकार और कोलकाता पुलिस के भी कामों पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इसी बीच कोलकाता सीएम ममता बनर्जी ने महिला और बाल सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए एंटी रेप बिल (Anti Rape Bill) पेश किया था। जो विधानसभा में पास हो गया है। साथ ही इस बिल में रेप से संबंधित कानून को और ज्यादा सख्त करने का प्रस्ताव है।
क्या है इस बिल का नाम?
एंटी रेप बिल को ममता बनर्जी ने ऐतिहासिक बिल बताया है। इस बिल का नाम अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 रखा गया है। बता दें इस बिल को पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून और संशोधन के अंतर्गत पास किया गया है। इस बिल का समर्थन बीजेपी भी कर रही है।
अपराजिता बिल के क्या हैं नियम?
ममता सरकार का एंटी रेप बिल भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट में संशोधन करता है। अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024 बलात्कार के दोषियों की मृत्यु दंड की मांग करता है। अगर इन मामलों में पीड़िता की तबियत खराब होती है या रेप के बाद उसकी मौत हो जाती है तो केस में बलात्कारियों और गैंगरेप के दोषियों के लिए बिना पैरोल के अपना पूरा जीवन जेल में बिताने की सजा का प्रावधान है। वहीं गैंगरेप के मामलों में भी सभी दोषियों को बिना पैरोल के उम्रकैद की सजा होगी। इतना ही नहीं बल्कि गैंगरेप में भी मौत की सजा का प्रावधान है। जुर्माना भी लगाया जाएगा। बंगाल सरकार के बिल में दुष्कर्म के सभी आरोपियों के लिए एक ही सजा का प्रावधान किया गया है।
क्या होगी 10 दिन में फांसी?
ममता सरकार के बिल का कहना है कि पहली जानकारी मिलने के 21 दिन के अंदर पुलिस को अपनी जांच पूरी करनी होगी। अगर 21 दिन में जांच पूरी नहीं होती है तो कोर्ट 15 दिन का और समय दे सकती है। लेकिन पुलिस को देरी का कारण लिखित में देना होगा। जिसके बाद बीएनएसएस पुलिस को जांच पूरी करने के लिए पूरे दो महीने का समय देती है। अगर दो महीने में जांच पूरी नहीं होती है तो पुलिस को 21 दिन का समय और मिलेगा। बंगाल सरकार के बिल में अपराधी को 10 दिन के अंदर फांसी सुनाने का जिक्र कहीं नहीं किया गया है।