युद्ध के बीच क्यों की जा रही है चर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट हादसे की बात, जिस नाम को सुनते ही सहमी दुनिया
रूस और यूक्रेन विवाद युद्ध के बीच क्यों की जा रही है चर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट हादसे की बात, जिस नाम को सुनते ही सहमी दुनिया
- यह घटना 26 अप्रेल 1986 में हुई थी
डिजिटल डेस्क नई दिल्ली। यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है। दोनों ही देश एक दूसरे के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं है। वहीं दोनों ही देशों के बयान सामने आ रहे है। रूसी सेना यूक्रेन के कई शहरो पर कब्जा कर रही है और लगातार आगे बढ़ती जा रही है। लेकिन अब रूसी सेना न्यूक्लियर प्लांट जेपोरजिया के पास भी गोलीबारी कर रही है। जिसको लेकर कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र में अगर जरा सी भी चूक होती है तो दुनिया के लिए यह एक भयानक हादसा होगा।
इसको लेकर यूक्रेन विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी है कि रूसी सेना न्यूक्लियर प्लांट जेपोरजिया पर चारों तरफ से गोलीबारी कर रही है। इस संयंत्र में आग पहले ही लग चुकी है और अगर इसमें धमाका हुआ तो यह चेर्नोबिल से 10 गुना बड़ा होगा। चेर्नोबिल आपदा 1986 में हुई थी।
Russian army is firing from all sides upon Zaporizhzhia NPP, the largest nuclear power plant in Europe. Fire has already broke out. If it blows up, it will be 10 times larger than Chornobyl! Russians must IMMEDIATELY cease the fire, allow firefighters, establish a security zone!
— Dmytro Kuleba (@DmytroKuleba) March 4, 2022
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने ट्वीट कर जो दावा किया है उसको समझने के लिए हमें जिस चेर्नोबिल आपदा की बात की गई है उसको समझना होगा। आपको बता दें चेर्नोबिल आपदा 1986 में हुई थी।
घटना में करीब 1.25 लाख लोग मारे गए
दुनिया ने परमाणु हथियारों का दंश जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर में देख चुकी है। वहीं चर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में हुई घटना के चलते करीब 1.25 लाख लोग मारे गए। यह घटना 26 अप्रेल 1986 में हुई थी। इस घटना के असर को आप इसी बात से समझ सकते है कि अभी तक इस शहर को किसी ने भी बसाने के बारे में भी नहीं सोचा। इस हादसे में क्षैत्र के सभी जीव-जन्तु मर चुके थे।
चेर्नोबिल शहर
आपको बता दें चेर्नोबिल यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 80 मील उत्तर में स्थित है। 1977 में इस पावर प्लांट के निर्माण की शुरुआत हुई थी। तब यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था। 1983 में चार न्यूक्लियर रिएक्टर का काम पूरा हो गया था।
क्यों हुआ हादसा
चर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में 26 अप्रैल को तड़के 1:23 बजे प्लांट की बिजली गुल हो गयी थी। बताया गया है कि इसके बाद इसकी जांच के लिए एक नियमित अभ्यास किया गया जिसमें देखा जाना था कि क्या बिजली गुल होने से प्लांट में लगे आपातकालीन वॉटर कूलिंग सिस्टम काम सही से करेगा या नहीं। लेकिन कुछ ही समय में रिएक्टर नंबर चार में भाप के अनियंत्रित रूप से दबाव बनने लगा। भाप के बढ़ते दबाव के वजह से ही रिएक्टर पर धमाका हुआ और छत उड़ गई। जिससे रेडिएशन और रेडिएक्टिव पदार्थो के मलबे का गुबार बाहर निकलने लगा फिर कुछ ही सेकंड में दूसरा धमाका हुआ और अतिरिक्त ईंधन बहने लगा।
तमाम प्रयासों के बाद भी जब रिएक्टरो को बंद नहीं किया जा सका। तब 26 अप्रैल को दोपहर में सोवियत सरकार ने रिएक्टरों में आग बुझाने के लिए सैनिकों को तैनात किया। सैनिकों को रिएक्टर की छत पर हेलिकॉप्टरों की मदद से उतार दिया गया। सेना के तमाम प्रयासों के साथ ही रिएक्टर को ठंडा करने के लिए पानी छिड़का गया। आग को लगभग दो सप्ताह बाद पूरी तरह से बुझाया जा सका। लेकिन इस भयानक घटना से भारी मात्रा में नुकसान हो चुका था। यूक्रेन की सरकार ने 1995 में इस घटना के बारे में बताया कि चेर्नोबिल रेडिएशन की वजह से करीब 1,25,000 लोगों की मौत हुई। वहीं,चेर्नोबिल के रेडिएशन के संपर्क में आने की वजह से कैंसर से 9,000 लोग मारे गए। चेर्नोबिल आपदा से हुए स्वास्थ्य पर प्रभाव अस्पष्ट बना हुआ है।