आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस ने चली बड़ी चाल, अमेरिका सहित यूरोपीय देशों के प्लान पर फिर सकता है पानी!
रूस का मास्टर प्लान आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस ने चली बड़ी चाल, अमेरिका सहित यूरोपीय देशों के प्लान पर फिर सकता है पानी!
- रूस के खिलाफ खड़े देशों को वह अब यूरो और डॉलर में गैस नहीं देंगे।
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जंग लगातार जारी है। आज युद्ध का 29वां दिन है। दोनों ही देशों में से कोई भी देश झुकने को तैयार नहीं है। इस युद्ध को लेकर लेकर दुनिया चिंतित है। रूस यूक्रेन पर अब मिसाइलों से भी हमला करने लगा है। वहीं यूक्रेन भी रुसी सेना का ड़टकर सामना कर रही है। रूस ने जब यक्रेन पर सैन्य कार्रवाही शुरू की थी तभी से रुस को कई देशों के विरोध का सामना करना पड़ा था। वहीं अमेरिका सहित नाटो देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे।
रूस ने उठाया बड़ा कदम
इन देशों ने एक के बाद एक करके रूस पर कई अर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिये है। माना जा रहा है कि इन प्रतिबंधो के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का ही दिमाग है। जिससे रूस की अर्थव्यवस्था पर उसका असर साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। लेकिन रुसी राष्ट्रपति राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इन देशों के प्रतिबंधो का तोड़ निकाल लिया है। पुतिन ने ऐलान कर दिया है कि रूस गैर मित्र देशों को अपनी ही करेंसी रूबल में गैस बेचेगा। जिसमें यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देश भी शामिल हैं। पुतिन ने बड़ी चाल चलते हुए साफ कर दिया है कि रूस के खिलाफ खड़े देशों को वह अब यूरो और डॉलर में गैस नहीं देंगे।
विरोधी देशों के सीधा संदेश
रूस ने एक तरफ तो पहले ही यह स्पष्ठ कर दिया है कि कोई भी देश अगर इस युद्ध में कूदता है तो वह उसे रूस के खिलाफ ही मानेगा और उस पर कार्रवाही करेगा। रूस ने हाल ही में यह भी दावा किया है कि आवश्यकता पड़ने पर वह परमाणु हथियार के इस्तेमाल से भी नहीं डरेगा। वहीं रूस ने दूसरा कदम उठाया है जिसमें वह केवल रूबल में ही गैस बेचने की बात कर रहा है इस कदम से यह साफ हो गया है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन को सीधे संदेश देना चाहता कि वह प्रतिबंधो के बाद भी किसी भी कीमत में हार नहीं मानने वाला है।
कई देशों ने रूसी प्रॉपर्टी किया सीज
दरअसल यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद कई देशों ने रूसी प्रॉपर्टी सीज करने का फैसला किया है। उसी के जबाव में रूस ने यह कदम उठाया है। और साथ ही संबंधित देशों को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि उन देशों ने उसके भरोसे को तोड़ा है।माना जाता है कि यूरोप की कुल खपत में से लगभग 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी केवल रूसी गैस की है। जानकार यह मान रहें है कि रूस के करेंसी में बदलाव को लेकर उठाए गए कदम से गैस के व्यापार में हलचल मच सकता है।