बेल्जियम में 41 साल से कम उम्र के लोगों को नहीं लगेगी जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन, महिला की मौत के बाद लिया फैसला

बेल्जियम में 41 साल से कम उम्र के लोगों को नहीं लगेगी जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन, महिला की मौत के बाद लिया फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-26 15:39 GMT
बेल्जियम में 41 साल से कम उम्र के लोगों को नहीं लगेगी जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन, महिला की मौत के बाद लिया फैसला
हाईलाइट
  • 41 साल से कम उम्र के लोगों के लिए जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन सस्पेंड
  • बेल्जियम ने एक महिला की मौत के बाद लिया फैसला
  • वैक्सीन के सस्पेंशन से नेशनल वैक्सीनेशन ड्राइव पर बहुत सीमित प्रभाव होगा

डिजिटल डेस्क, ब्रूसेल्स। बेल्जियम ने बुधवार को एक व्यक्ति की मौत के बाद 41 साल से कम उम्र के लोगों के लिए जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के उपयोग को सस्पेंड कर दिया। बेल्जियम की सरकार ने अब सस्पेंशन को हटाने का विचार करने से पहले यूरोपियन यूनियन ड्रग रेगुलेटर से अर्जेंट एडवाइस मांगी है। सरकार ने कहा कि वैक्सीन के सस्पेंशन से नेशनल वैक्सीनेशन ड्राइव पर बहुत सीमित प्रभाव होगा।

सरकार ने सिंगल केस के बाद ही एक्शन लेते हुए जॉनसन एक जॉनसन की वैक्सीन को सस्पेंड किया है। ये वैक्सीन बेल्जियन सिस्टम के बाहर एक महिला को फॉरेन एम्प्लॉयर ने लगाई थी। पिछले हफ्ते ब्लड प्लेटलेट्स की कमी और दूसरे सीरियस कॉम्प्लीकेशन्स के बाद बेल्जियम में उसकी मौत हो गई। मरीज के बारे में अधिक जानकारी प्रदान नहीं की गई है। सिर्फ इतना बताया गया है कि महिला 40 वर्ष से कम थी।

बेल्जियम बुजुर्ग एवं निराश्रित लोगों के लिए जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन का उपयोग कर रहा है, क्योंकि ये एक शॉट वाली वैक्सीन है। इस वर्ग के लिए टीकाकरण जारी रहेगा। बता दें कि इस वैक्सीन को लगाने के बाद हल्का दर्द, बुखार, थकान और सिरदर्द जैसे लक्षण देखे गए हैं। कई लोगों में खून के थक्के जमने के मामले भी सामने आए। 

जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन वायरल-वेक्टर प्लेटफॉर्म पर बनी है। वैक्सीन शरीर के इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने के लिए तैयार करती है। ऐसा करने के लिए वैक्सीन में सर्दी के वायरस- एडेनोवायरस का इस्तेमाल किया गया है। एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन, रूसी कोविड-19 वैक्सीन- स्पुतनिक V और एक चीनी वैक्सीन भी इसी प्लेटफॉर्म पर बनी है।

अमेरिकी रेगुलेटर ने इस कंपनी में विकसित की गई वैक्सीन की इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी बीते फरवरी में दी थी। यह मंजूरी इस आधार पर दी गई थी कि फेज-3 ट्रायल में गंभीर बीमारी को रोकने में टीकाकरण के 28 दिन बाद इसे 85 फीसदी तक प्रभावी पाया गया था। जबकि कोरोना से सामान्य से लेकर गंभीर संक्रमण को रोकने में इसे 66 से 72 फीसदी तक कारगर पाया गया था।

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