राष्ट्रपति बाइडेन के बयान पर भड़क उठा चीन, अमेरिका को दी सतर्क रहने की चेतावनी

चीन की अमेरिका को चेतावनी राष्ट्रपति बाइडेन के बयान पर भड़क उठा चीन, अमेरिका को दी सतर्क रहने की चेतावनी

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-22 17:00 GMT
राष्ट्रपति बाइडेन के बयान पर भड़क उठा चीन, अमेरिका को दी सतर्क रहने की चेतावनी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अमेरिका को चेतावनी दी कि संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के मामले में चीन के पास समझौता करने की कोई गुंजाइश नहीं है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, किसी को भी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए चीनी लोगों के मजबूत संकल्प, दृढ़ संकल्प और क्षमता को कम करके नहीं आंकना चाहिए।

वांग ने कहा, हम अमेरिकी पक्ष से एक-चीन सिद्धांत और तीन चीन-अमेरिका संयुक्त विज्ञप्ति का ईमानदारी से पालन करने का आग्रह करते हैं और अलगाववादियों को कोई भी गलत संकेत भेजने से बचना चाहिए, ताकि चीन-अमेरिका संबंधों और ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से नुकसान न पहुंचे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को पुष्टि की कि अगर द्वीप एक चीनी मुख्य भूमि घुसपैठ का सामना करता है, तो अमेरिका ताइवान के बचाव में आएगा। 78 वर्षीय नेता की सबसे मजबूत टिप्पणियों को चीनी मुख्य भूमि की रेडलाइन को चुनौती देने और ताइवान के सवाल पर वाशिंगटन की रणनीतिक अस्पष्टता से विचलित होने के रूप में माना जाता था।

व्हाइट हाउस ने स्थिति को शांत करने के लिए बाइडेन की टिप्पणियों को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए कहा कि राष्ट्रपति हमारी नीति में किसी भी बदलाव की घोषणा नहीं कर रहे थे और हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। गुरुवार रात सीएनएन टाउन हॉल की बैठक में यह पूछे जाने पर कि क्या चीन द्वारा हमला किए जाने पर अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा, इस पर बाइडेन ने कहा, हां, और अमेरिका के पास ऐसा करने की प्रतिबद्धता है। ग्लोबल टाइम्स ने बताया, ताइवान जलडमरूमध्य में बढ़ते तनाव के बीच बाइडेन की टिप्पणी आई है। यूरोपीय संघ के संसद के सांसदों ने ताइवान के द्वीप के साथ तथाकथित राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए एक प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यवेक्षकों ने कहा कि ताइवान के सवाल के प्रति समग्र अमेरिकी नीति स्पष्ट हो रही है और चीन को चीन के साथ सहयोग की मांग करने वाले कुछ अमेरिकी कदमों को हल्के में नहीं लेनी चाहिए।

(आईएएनएस)

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