Shahrukh Khan Birthday Special: एक साधारण परिवार का लड़का कैसे बन गया "बॉलीवुड का बादशाह", जानें किंग खान के टेलीविजन से फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने का सफर
- 59 साल के हुए बॉलीवुड के 'बादशाह'
- टीवी से की करियर की शुरुआत
- "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" ने दिया "रोमांस किंग" का खिताब
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शाहरुख खान, जिन्हें "बॉलीवुड का बादशाह" और "किंग खान" भी कहा जाता है, आज 2 नवंबर को 59 साल के हो गए हैं। बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों में से एक किंग खान अपनी फिल्मी कामयाबी और ग्लैमर की दुनिया के कारण पूरी दुनिया में मशहूर हैं। दिल्ली के एक साधारण परिवार में पले-बढ़े शाहरुख ने अपने करियर की शुरुआत 1980 के दशक में टेलीविजन शोज से की। लेकिन उन्हें उनकी असली पहचान 1992 में फिल्म "दीवाना" से मिली, जिसने उन्हें रातों रात स्टार बना दिया। इसके बाद SRK ने "बाजीगर", "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" और "कभी खुशी कभी गम" जैसी फिल्मों में अपना अद्भुत प्रदर्शन दिया। जिसने उन्हें फिल्म जगत में "किंग खान" का खिताब दिलाया। लेकिन उनके लिए ये सफर इतना भी आसान नहीं था। आज वे सिर्फ एक स्टार ही नहीं, बल्कि एक इंटरनेशनल आइकन बन चुके हैं। उनके फैंस न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। साथ ही, उन्होंने समाज सेवा में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। शाहरुख का ये सफर केवल एक स्टार बनने का ही नहीं बल्कि एक ऐसे इंसान की प्रेरक कहानी है जिसने अपने जुनून, मेहनत और पॉजिटिव आउटलुक से अपनी तकदीर को खुद लिखा। तो ऐसे में आज उनके इस खास मौके पर चलिए जानते हैं उनकी "बॉलीवुड के बादशाह" बनने का सफर।
कैसा रहा किंग खान का बचपन?
शाहरुख खान का टेलीविजन से फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने का सफर एक प्रेरणादायक कहानी है। उनका जन्म 2 नवंबर 1965 को दिल्ली में हुआ था, जहां उनका बचपन एक मिडिल क्लास फैमली में बीता। उनके पिता मीर ताज मोहम्मद एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी मां लतीफ फातिमा एक शिक्षिका थीं। शाहरुख के बचपन से ही उनके परिवार में शिक्षा का महत्व था, जिसने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होनें अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट कोलंबस स्कूल से की। पढ़ाई के दौरान ही उन्हें एक्टिंग में इंटरेस्ट आया। स्कूल के दिनों में ही उन्होंने स्टेज पर एक्टिंग करना शुरू कर दिया था। उनके इस जुनून ने उन्हें कॉलेज के दिनों में भी थियेटर में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद, उन्होंने बैरी जॉन के साथ एक्टिंग की बेसिक स्किल्स सीखी। फिर उन्होनें अपने सपने को साकार करने के लिए मुंबई जाने का डिसीजन लिया। उनकी मेहनत और जुनून ने उन्हें टेलीविजन की दुनिया में कदम रखने का मौका दिया।
"फौजी" से करियर की शुरुआत
आपको बता दें कि, किंग खान ने अपने करियर की शुरुआत टेलीविजन शोज से की थी। उनका पहला टेलीविजन शो "फौजी" था जो 1990 में आया था। इसमें उन्होंने एक युवा सैनिक का रोल निभाया। इस शो ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई, और दर्शकों ने भी उनके एक्टिंग को एप्रिशिएट किया। इसके बाद, उन्होंने "सर्कस" में काम किया, जो एक थियेटर आर्टिस्ट की कहानी थी। इस शो में उनकी एक्टिंग स्किल्स और टैलेंट ने उन्हें और अधिक पॉपुलैरिटी दिलाई और उनके आत्मविश्वास को और भी बढ़ाया। उनकी सफलता का एक बड़ा कारण उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प है। उन्होंने न केवल एक अद्भुत अभिनेता के रूप में खुद को साबित किया, बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन में भी अनुशासन और कठिनाईयों का सामना किया।
"रोमांस किंग" का खिताब मिलने का सफर
हालांकि, शाहरुख का सपना हमेशा से बड़े पर्दे पर काम करने का था। टेलीविजन पर मिली पहचान ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने की प्रेरणा दी। 1992 में उन्होंने "दीवाना" नाम के फिल्म से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। इस फिल्म में उनकी जोड़ी दिव्या भारती के साथ थी। ये फिल्म न केवल बॉक्स ऑफिस पर सक्सेसफुल रही, बल्कि इससे उनके करियर को एक नई पहचान भी मिली। इसके बाद उन्होंने "बाजीगर" और "डर" जैसी फिल्मों में खलनायक का रोल किया। जो उस समय की फिल्म इंडस्ट्री में एक नया ट्रेंड बन गया। इन फिल्मों में उनके एक्टिंग ने दर्शकों को ये दिखाया कि वे किसी भी रोल में ढलने की क्षमता रखते हैं। फिर 1995 में आई उनकी फिल्म "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" ने उन्हें "रोमांस किंग" का खिताब दिलाया। इस फिल्म की सक्सेस ने उन्हें न केवल एक सुपरस्टार बना दिया बल्कि ये फिल्म इंडियन सिनेमा का एक हिस्टोरिकल टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुई। इसके बाद, उन्होंने कई सफल फिल्में जैसे "कभी खुशी कभी गम","मोहब्बतें", "जब तक है जान" जैसे फिल्मों में काम किया जिसने उन्हें "बॉलीवुड का बादशाह" बना दिया।
तो शाहरुख खान का टेलीविजन से फिल्मों की दुनिया तक का सफर हमें सिखाता है कि अगर आपके पास टैलेंट, हार्ड वर्क और डिटरमिनेशन है, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। उनकी ये कहानी केवल उनके लिए नहीं, बल्कि हर यूथ के लिए एक इंस्पिरेशन है, जो अपने सपनों को साकार करने का साहस रखते हैं। आज शाहरुख का नाम न केवल भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में, बल्कि पूरी दुनिया में गूंजता है। उनकी कहानी ये दिखाती है कि अगर आपके पास सपने और उन्हें पूरा करने की इच्छा है, तो आप किसी भी बाधा को आसानी से पार कर सकते हैं।