भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं की एंट्री के बावजूद अंग्रेजी का दबदबा
नई शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं की एंट्री के बावजूद अंग्रेजी का दबदबा
- भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं की एंट्री के बावजूद अंग्रेजी का दबदबा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में नई शिक्षा नीति लागू होने के उपरांत अब कई महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं, स्कूल, कॉलेज यहां तक कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं में अंग्रेजी की अनिवार्यता नहीं रह गई है। यह परीक्षाएं अब अंग्रेजी और हिंदी के साथ साथ 11 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित की जा रही है। हालांकि अभी भी भारतीय छात्रों की पहली पसंद अंग्रेजी ही है। हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में यह परीक्षाएं देने वाले छात्रों की संख्या काफी कम है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के आंकड़े बताते हैं कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए होने वाली नीट जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा में करीब 79 फीसदी छात्रों ने पिछले वर्ष अंग्रेजी भाषा को परीक्षा का माध्यम चुना। करीब 13 प्रतिशत छात्रों ने हिंदी को अपनी भाषा चुना। वहीं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को चुनने वाले छात्रों की संख्या करीब करीब 8 फीसदी है।
देश की सबसे महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक नीट की बात की जाए तो यह परीक्षा आयोजित करवाने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) का कहना है कि भाषा का माध्यम या पसंद उम्मीदवार पर निर्भर करता है, क्योंकि नीट प्रश्न पत्र को इस वर्ष भी 13 भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा। एनटीए के मुताबिक इनमें अंग्रेजी, हिंदी, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू भाषा शामिल है। साथ ही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का कहना है कि यह ध्यान में रखना होगा कि क्षेत्रीय भाषा का चुनाव नीट परीक्षा केंद्र के आधार पर किया जाएगा।
नीट यूजी 2020 रजिस्ट्रेशन - भाषा के अनुसार पंजीकरण कुछ इस प्रकार है
अंग्रेजी भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 1263273
प्रतिशत 79.08
हिंदी भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 204399
प्रतिशत 12.80
तेलुगु भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 1624
प्रतिशत 0.10
असमिया भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 5328
प्रतिशत 0.33
गुजराती भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 59055
प्रतिशत 3.70
मराठी भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 6258
प्रतिशत 0.39
तमिल भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 17101
प्रतिशत 1.07
बंगाली भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 36593
प्रतिशत 2.29
कन्नड़ भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 1005
प्रतिशत 0.06
ओड़िया भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 822
प्रतिशत 0.05
उर्दू भाषा चुनने वाले उम्मीदवार 1977
प्रतिशत 0.12
अंग्रेजी और हिंदी भाषा चुनने वाले कुल उम्मीदवार 1467672
प्रतिशत 91.88
क्षेत्रीय भाषाएं चुनने वाले कुल उम्मीदवार 129763
प्रतिशत 8.12
प्रसिद्ध शिक्षाविद सीएस कांडपाल के मुताबिक, अंग्रेजी भाषा का चलन अधिक होने के पीछे एक ठोस कारण है। यह ठोस कारण छात्रों को मिलने वाली स्कूली शिक्षा है। दरअसल हमारा स्कूली शिक्षा का तंत्र अभी भी अंग्रेजी भाषा पर आधारित है। यही कारण है कि स्कूली सिस्टम से बाहर निकलने के उपरांत छात्र जब अपने करियर या फिर उच्च शिक्षा की ओर जाता है तो वह अगली परीक्षाओं के लिए अंग्रेजी भाषा का ही चयन करता है, क्योंकि स्कूल में पढ़ाई के दौरान वह विभिन्न विषयों को अंग्रेजी भाषा में ही पढ़ते आए हैं।
नीट 2022 परीक्षा पैटर्न की भाषा चुनने के लिए जो दिशानिर्देश हैं, उनके मुताबिक अंग्रेजी भाषा का चयन करने वाले उम्मीदवारों को केवल अंग्रेजी में ही नीट 2022 टेस्ट बुकलेट प्रदान किया जाएगा। हिंदी भाषा का चयन करने वाले छात्रों को अंग्रेजी और हिंदी में अर्थात एक द्विभाषी परीक्षा पुस्तिका (टेस्ट बुकलेट) प्रदान की जाएगी। क्षेत्रीय भाषाओं का चुनाव करने वाले सभी उम्मीदवारों को भी उनकी चयनित क्षेत्रीय भाषा और अंग्रेजी में एक द्विभाषी टेस्ट बुकलेट प्रदान की जाएगी। किसी भी प्रश्न के अनुवाद में किसी अस्पष्टता के मामले में प्रश्न पत्र के अंग्रेजी संस्करण में लिखे शब्दों को अंतिम माना जाएगा।
वहीं यदि सिविल सर्विसेज की बात की जाए तो 2019 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में फाउंडेशन कोर्स करने वाले 326 सिविल सेवकों में से सिर्फ आठ ने अपनी परीक्षा हिंदी में दी थी। इसके विपरीत 315 उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए अंग्रेजी भाषा को अपना माध्यम चुना था। एलबीएसएनएए के रिकॉर्ड बताते हैं कि कुछ ऐसा ही हाल 2018 में भी रहा। तब यहां पाठ्यक्रम लेने वाले 370 अधिकारी प्रशिक्षुओं में से सिर्फ आठ ने हिंदी में सिविल सेवा परीक्षा लिखी, जबकि 357 ने अंग्रेजी में परीक्षा दी। इसके भी पहले ही यदि 2016 की बात करें तो तब 377 अधिकारी प्रशिक्षुओं में से 13 ने हिंदी में भाषा में अपनी परीक्षा दी थी।
आईएएनए