उर्दू के योगदान को उजागर करने के लिए जम्मू विश्वविद्यालय में मेरी भाषा, मेरी पहचान कार्यक्रम आयोजित

जम्मू कश्मीर उर्दू के योगदान को उजागर करने के लिए जम्मू विश्वविद्यालय में मेरी भाषा, मेरी पहचान कार्यक्रम आयोजित

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-14 10:01 GMT
उर्दू के योगदान को उजागर करने के लिए जम्मू विश्वविद्यालय में मेरी भाषा, मेरी पहचान कार्यक्रम आयोजित

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा उत्सव के अवसर पर मेरी भाषा, मेरी पहचान विषय के तहत उर्दू के योगदान को उजागर करने के लिए एक साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। उर्दू विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान कविता, नाटक, निबंध लेखन आदि विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया।

केंद्र सरकार ने हर साल 11 दिसंबर को भारतीय भाषाओं का त्योहार मनाने की पहल की है, जिसका मकसद भारतीय भाषाओं का संरक्षण और प्रचार-प्रसार करना है। उन्होंने भारतीय भाषाओं के महत्व और उपयोगिता पर भी प्रकाश डाला। इस मौके पर उर्दू विभाग के विद्यार्थियों व विद्वानों ने गजलें, कविताएं व सूफी शायरी पेश की। बालिका शिक्षा और बाल श्रम पर आधारित नाटक की प्रस्तुति दी गई।

इस अवसर पर मेरी भाषा-मेरी पहचान विषय पर निबंध लेखन का भी आयोजन किया गया, जिसमें उर्दू विभाग के विद्वान मजदर शीद, गुलजार अहमद, इशरत हुसैन बट, गरजा देवी व शाइस्ता ने भाग लिया। जम्मू द्वारा एक पुस्तक प्रदर्शनी अजीन कासमी कुतबखाना तालाब खटीकान का भी आयोजन किया गया।

जम्मू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो मोहम्मद रियाज अहमद ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने भारतीय भाषाओं के महत्व और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उर्दू-जम्मू विश्वविद्यालय विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. फरहत शमीम ने कहा कि भाषा ही मनुष्य को जानवरों से अलग बनाती है। उन्होंने कहा कि भाषा अभिव्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है।

(आईएएनएस)

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