जेएनयू में दिखी पूर्वोत्तर भारत की संस्कृतिक झलकियां

नई दिल्ली जेएनयू में दिखी पूर्वोत्तर भारत की संस्कृतिक झलकियां

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-06 10:00 GMT
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हाईलाइट
  • हमारे लिए यह एक बहुत सुखद अनुभव रहा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा के अन्तर्गत पूर्वोत्तर राज्य के 30 प्रतिनिधियों का जेएनयू पहुंचे यहां उनका नागरिक अभिनंदन समारोह में स्वागत लिया गया। 1966 से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के युवाओं को अन्य राज्यों से सांस्कृतिक आदान प्रदान कराने के उद्देश्य से अंतर्राज्यीय छात्र जीवन दर्शन (सील) की शुरूआत की गई थी। प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली इस यात्रा में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं। इसी प्रकार से भारत के अन्य राज्यों के युवा प्रतिनिधि उसी वर्ष में (सील) यात्रा के अन्तर्गत पूर्वोत्तर राज्यों की यात्रा करते हैं।

कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुईं। 3 फरवरी की देर शाम को पूर्वोत्तर के प्रतिनिधि दिल्ली पहुंचे थे। इसके पश्चात अगले दो दिन दिल्ली दर्शन हेतु कुतुब मीनार और अक्षरधाम मंदिर की यात्रा कराई गई। साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर और आईआईटी के डायरेक्टर ने प्रतिनिधियों का औपचारिक अभिनंदन किया। वहीं प्रतिनिधियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के साथ मुलाकात की। जहां रिजिजू ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और उनके एकात्मता यात्रा के अनुभव जाने।

प्रतिनिधिमंडल के सदस्य डांग पांग सांग्लू ने बताया कि कैसे इस प्रतिनिधिमंडल का नाम पा तोंगन संगमा नाम पर पड़ा जो की पूर्वोत्तर भारत के अज्ञात नायक रहें और 1842 में वो शहीद हो गए।

जेएनयू के प्रोफेसर और जेएनयू के रेक्टर सतीश चन्द्र गारकोटी ने कहा,में दस साल पूर्वोत्तर में अध्यापन और शोध कार्य किया, मेरा काम फॉरेस्ट इकोलॉजी पर था और जंगलों में जाना गांव में जाना मेरे काम का हिस्सा था। पूर्वोत्तर के गांव और जंगल में देर होने पर मुझे हमेशा स्वागत सत्कार के साथ शरण मिली है। इसलिए दिल्ली में आया पूर्वोत्तर का यह प्रतिनिधि मंडल मेरे परिवार का ही हिस्सा लग रहा है। यह देश एक है, हम विविधता में एकता बनाए रखेंगे तभी यह देश आगे बढ़ेगा।

वहीं हितोलू स्वू ने कहा, इतने भव्य और उत्साह पूर्ण अभिनंदन के लिए एबीवीपी व जेएनयू को धन्यवाद किया और साथ ही उन्होंने कहा कि यह अनुभव जीवन भर मेरे साथ रहेगा मैं पहली बार दिल्ली आया और यह शानदार रहा। मुझे आईआईटी जाना नसीब हुआ और साथ ही साथ हम दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस गए और वहां के डायरेक्टर से मिले। हमारे लिए यह एक बहुत सुखद अनुभव रहा। वहां हमें इतनी सुविधाएं नहीं मिलती कहीं नई चीजें देखने और सीखने को मिली है।

अभाविप के आशीष चौहान ने कहा कि मेरा देश एक है उसके लिए उसकी अनुभूति करनी होगी। मैं इस देश को एक संस्कृति मानता हूं और उसके लिए उसका भ्रमण जरूरी है। आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और उसी क्रम में हमने यात्रा के लिए गटों का नाम उसके नाम पर रखा है जो देश की स्वाधीनता के नाम पर न्योछावर हो गए। सील एक पूरा उत्सव है जो देश के विविधता में एकता का उत्सव मनाने के लिए आगे बढ़ रहा है।

 

 (आईएएनएस)

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