नीट एआईक्यू कोटा में ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण लागू को लेकर कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट नीट एआईक्यू कोटा में ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण लागू को लेकर कोर्ट की टिप्पणी
- नीट एआईक्यू कोटा में ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण लागू करने का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी खारिज की
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट की उस टिप्पणी को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि नीट-अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) मेडिकल सीटों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण केवल शीर्ष अदालत की संविधान पीठ की मंजूरी से ही लागू किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणियां अनावश्यक थीं। पीठ ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय नीट एआईक्यू में ओबीसी आरक्षण को लागू करने की मांग करने वाली एक अवमानना याचिका पर विचार कर रहा था और इसलिए 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा पर टिप्पणी उसके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है।
मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को चुनौती देते हुए केंद्र ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने कहा कि उच्च न्यायालय को अपनी अवमानना शक्ति का प्रयोग करते समय टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी।
शीर्ष अदालत ने कहा, यह पाया गया है कि कोई अवमानना नहीं है, हाईकोर्ट एक व्यापक स्पेक्ट्रम में चला गया है। वहां उच्च न्यायालय ने वास्तव में गलती की है। जब आप अवमानना क्षेत्राधिकार में हैं, तो आपको बस यह देखने की जरूरत है कि आदेश का पालन किया गया है या नहीं। उच्च न्यायालय ने अपने अगस्त के फैसले के माध्यम से एआईक्यू मेडिकल कॉलेज सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण लागू करने पर केंद्र के खिलाफ सत्तारूढ़ द्रमुक द्वारा दायर अदालत की अवमानना की याचिका को खारिज कर दिया था।
द्रमुक के वकील ने शुक्रवार को कहा कि यह मुद्दा जटिल है और नीट-एआईक्यू में ईडब्ल्यूएस/ओबीसी कोटा को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं के साथ केंद्र की याचिका पर सुनवाई हो सकती है। उच्च न्यायालय ने कहा था, 29 जुलाई, 2021 की अधिसूचना में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए प्रदान किए गए अतिरिक्त आरक्षण की अनुमति सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी के बिना नहीं दी जा सकती। इसने नोट किया कि संविधान पीठ 103वें संवैधानिक संशोधन की शुद्धता की जांच कर रही है, जिसने आरक्षण प्रदान किया था। केंद्र ने इस टिप्पणी से क्षुब्ध होकर शीर्ष अदालत का रुख किया था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह नीट-एआईक्यू में ईडब्ल्यूएस कोटे के गुण-दोष पर कुछ नहीं कह रहा है और यह केवल उच्च न्यायालय की टिप्पणी को खारिज कर रहा है, क्योंकि इसने अवमानना क्षेत्राधिकार की सीमाओं का उल्लंघन किया है। पीठ ने कहा, हम मामले के गुण-दोष पर राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं, क्योंकि निर्णय लंबित याचिकाओं के एक समूह के दौरान सामने आएंगे। शीर्ष अदालत नीट-एआईक्यू में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने की केंद्र की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सात अक्टूबर से आगे की सुनवाई जारी रखेगी।
(आईएएनएस)