क्या है हनीमून किडनैपिंग, जिसमें बिहार में लड़कों को घर से भगाने में आगे निकल रही हैं लड़कियां? आंकड़े देख उड़ गई है पुलिस की नींद, हर रोज ऐसे औसतन 10 मामले
हनीमून किडनैपिंग क्या है हनीमून किडनैपिंग, जिसमें बिहार में लड़कों को घर से भगाने में आगे निकल रही हैं लड़कियां? आंकड़े देख उड़ गई है पुलिस की नींद, हर रोज ऐसे औसतन 10 मामले
डिजिटल डेस्क, पटना। हाल ही में बिहार में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें लड़की लड़के को लेकर भागी। ताजा मामला बेतिया का है जहां मधुबाला कुमारी नाम की एक लड़की ने सोशल मीडिया पर अपना एक वीडियो शेयर किया है। वीडियो में उसने कहा है, मुझे रंजन ने नहीं भगाया है बल्कि मैं खुद उसे लेकर भागी हूं। परिवार वालों से मेरी प्रार्थना है कि आप अपनी ताकत का इस्तेमाल मत कीजिए। इस वीडियो के जरिए मधुबाला ने अपने परिवार पर उसको धमकी देने का आरोप लगाते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की है।
वीडियो में लड़की ये साफ कहते हुए नजर आ रही है कि उसे किसी ने भगाया नहीं है बल्कि वह खुद अपनी इच्छा से अपने मामा के घर आई और फिर रंजन नाम के अपने प्रेमी को लेकर भागी। इसके अलावा लड़की ने अपने प्रेमी पर लगाए किडनैपिंग के केस को भी झूठा बताया।
ऐसा ही एक मामला दरभंगा से भी सामने आया, जहां बीते दिनों रुपांजलि नाम की एक लड़की का वीडियो वायरल हो गया। रुपाजंलि ने भी मधुबाला के जैसे ही अपने प्रेमी राजकुमार के साथ भागकर शादी कर ली। लेकिन उसके घरवालों ने लड़के के ऊपर किडनैपिंग का केस दर्ज करा दिया। जिसके बाद रुपाजंलि ने अपनी आपबीती सुनाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। इसी तरह वैशाली की रहने वाली बंधन कुमारी ने अगस्त महीने में पास के गांव में रहने वाले विशाल से शादी कर ली। उसके दो दिन बाद उसके परिवार वालों ने पुलिस में लड़के और उसके परिवार वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। जिसके बाद महिला ने पुलिस के सामने अपने अपहरण की बात से इनकार कर दिया।
वहीं एक अन्य मामला मुजफ्फरपुर की शाजिया का है। शाजिया के घरवालों ने उसकी शादी किसी और से पक्की कर दी थी, जिससे शाजिया खुश नहीं थी। वह अपनी शादी से पहले घर को छोड़कर भाग गई। कुछ दिनों बाद उसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें शाजिया ने बताया कि उसने अपनी मर्जी से अपने प्रेमी से शादी कर ली है। वीडियो में वह अपने परिवार से पति और उसे परेशान न करने की गुहार लगाते हुए नजर आई।
क्या है "हनीमून किडनैपिंग"?
बिहार में बीते 6 महीनों में इस तरह के मामले तेजी से बढ़े हैं। इन मामलों में लड़की के घरवाले उसकी किडनैपिंग की एफआईआर पुलिस में दर्ज करवा देते हैं। इसके बाद जब पुलिस मामले की जांच कर उसकी तह तक पहुंचती है तो पता चलता है कि लड़की की किडनैपिंग हुई ही नहीं थी। पुलिस जब किडनैप होने वाली लड़की को पकड़कर लाती है और उसे कोर्ट के सामने पेश करती है तब पीड़ित लड़की अपनी किडनैपिंग न होने की बात कहती है और अपने प्रेमी के साथ अपनी मर्जी से रहने की बात स्वीकार करती है। ऐसे प्रकरणों ने बिहार पुलिस की नाक में दम कर दिया है। इन्हीं मामलों को पुलिस द्वारा हनीमून किडनैपिंग यानि शादी के लिए अपहरण का नाम दिया गया है। बता दें कि इससे पहले इस टर्म का उपयोग भी सबसे पहले पुलिस ने किया था जो वह घर से लड़के-लड़कियों के भागने वाले केसों में किया करते थे।
रोजाना भाग रहीं औसतन 10 लड़कियां
बिहार पुलिस की एक रिपोर्ट में इस मामले को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 6 महीनों में शादी करके भागने वाले ऐसे 1870 मामले सामने आए हैं। जिसमें जनवरी में 240, फरवरी 247, मार्च में 297, अप्रैल में 330, मई में 383 और जून में 373 मामले सामने आए हैं। अगर इन मामलों को हर दिन के हिसाब से देखें तो बिहार में हर 2 से 3 घंटे के बीच एक प्रेमी युगल घर से भाग रहा है। वहीं अगर बात करें इस साल अब तक सामने आए हनीमून किडनैपिंग के मामलों की तो इनकी संख्या 2778 है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 2021 के दौरान इस तरह के 6589 मामले और 2020 में 5308 मामले सामने आए थे।
साल-दर-साल हो रही बढ़ोत्तरी
समय के साथ समाज का परिदृश्य भी बदल रहा है। पहले लड़के लड़कियों को लेकर भागते थे लेकिन अब लड़कियां लड़को को भगाकर शादी कर रही हैं। अब लड़कियां खुद समाज के सामने आकर यह स्वीकारती हैं कि उन्होंने ये कदम उठाया है। खास बात यह है कि बिहार में इस तरह के मामले बीते कई सालों में सबसे ज्यादा आए हैं। साल 2015 के आंकड़ो पर गौर करें तो बिहार में प्रेम प्रसंग और भाग कर शादी करने के 4229 मामले सामने आए थे। वहीं साल 2016 में इन मामलों में वृद्धि देखी गई। ये मामले पिछले वर्ष की तुलना में बढ़कर 4652 हो गए। वहीं 2017 में यह बढ़कर 6217 मामले दर्ज किए थे। 2017 की तुलना में इन मामलों में 2 हजार की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई और इनकी संख्या 8 हजार के पार हो गई।
मामले पर क्या कहते हैं मनोविज्ञानी?
इन मामलों पर मनोविज्ञानियों का कहना है कि साल-दर-साल ऐसे मामलों के बढ़ने की वजह माता-पिता और बच्चों के बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग का ना होना कहा जा सकता है। आज के इस भागदौड़ भरे माहौल में मां-बाप अपने बच्चों को समय ही नहीं दे पा रहे हैं। वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छा खाना और सर्व सुविधा देने को ही अपनी जिम्मेदारी समझ रहे हैं। इस कारण मां-बाप और बच्चों के बीच गैप बढ़ता जा रहा है और यह गैप एक समय इतना बढ़ जाता है कि बच्चे अपने मां-बाप की अपेक्षा किसी तीसरे पर्सन पर ज्यादा भरोसा करने लगते हैं। इस तीसरे पर्सन पर उनका भरोसा इतना बढ़ जाता है कि फिर वह सही गलत में फर्क नहीं करते।
मनौविज्ञानियों के मुताबिक, ऐसे कदम उठाने वाले ज्यादातर लड़के-लड़कियां 15 से 20 साल की उम्र के होते हैं। इस उम्र में उनके जीवन में शारीरिक और मानसिक बदलाव के साथ सामाजिक बदलाव भी आते हैं जिसके बारे में जानने और बात करने के लिए उन्हें एक साथी की जरुरत होती है। ऐसे में वो तीसरे व्यक्ति से जुड़ जाती हैं और इस तरह के कदम उठाती हैं।