बेसमेंट सर्वेक्षण: नगर निगम का बेसमेंट सर्वे नई बात नहीं, ७ साल से ठंडे बस्ते में बंद है रिपोर्ट, वर्ष २०१७ में चिन्हित किए गए थे ४१ नए-पुराने तलघर

  • नगर निगम का बेसमेंट सर्वे नई बात नहीं
  • ७ साल से ठंडे बस्ते में बंद है रिपोर्ट
  • वर्ष २०१७ में चिन्हित किए गए थे ४१ नए-पुराने तलघर

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-01 05:09 GMT

डिजिटल डेस्क, सतना। शहर में नगर निगम का बेसमेंट सर्वे नई बात नहीं है। हादसों से सबक की ऐसी कवायद यहां पहले भी होती रही है। दो-चार दिन यूं ही सर्वे के शोर-शराबे के बीच नोटिस कटते हैं और फिर बात आई-गई हो जाती है। जानकारों के मुताबिक बेसमेंट की वैधता और उसमें पार्किंग का उपयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इससे पहले ऐसा ही बेसमेंट सर्वेक्षण तबके निगमायुक्त एसके कथूरिया ने मई-जून २०१७ में कराया था। तब शहर में २१ पुराने और २० नए बेसमेंट चिन्हित किए गए थे। इन ४१ में से एक का भी उपयोग पार्किंग के लिए नहीं पाया गया था। मगर, आरोप है कि नगर निगम के मैदानी अमले ने इस पर आज तक एक्शन लेने की जहमत नहीं उठाई। धड़ाधड़ नोटिस तो काटे गए लेकिन मामला शांत होते ही रहस्यमयी चुप्पी साध ली गई।

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नए पुराने तलघर 

इस सर्वेक्षण में जहां ज्यादातर तलघर चिन्हित किए गए थे। उनमें रीवा रोड, स्टेशन रोड, पन्ना रोड, पन्ना नाका, उमरी, भरहुत नगर, पन्नीलाल चौक, जयस्तंभ चौक, फूलचंद चौक, चौक बाजार, अस्पताल चौक, खेरमाई रोड, चांदनी टॉकीज एवं ग्रीन टॉकीज के पास और हनुमान चौक का मुख्य बाजार शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक अगर इनमें से कुछेक को छोड़ दें तो ज्यादातर तहखानों में आज भी फैमिली रेस्टोरेंट, क्लीनिक, वर्कशॉप, शोरूम, सुपर मार्केट और ऐसी ही मानवीय गतिविधियां चल रही हैं। गनीमत यह है कि शहर के किसी भी बेसमेंट में स्कूल या फिर कोचिंग संचालित नहीं हो रहे हैं।

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रीवा रोड: भारी बारिश में सडक़ों पर आता है सैलाब

हार्ट आफ सिटी बन चुकी इस फोरलेन रीवा रोड में शहर के सबसे ज्यादा बेसमेंट हैं। इस रोड की भौगोलिक स्थिति और ड्रेनेज सिस्टम कुछ ऐसा है कि भारी बारिश में यहां सैलाब इस कदर उमड़ता है कि बारिश से बनी बाढ़ का पानी पहले सडक़ और फिर इन्हीं भूमिगत दुकानों में घुस जाता है। ऐसी ही नौबत वर्ष २०१६ की भारी बाढ़ में आई थी,तब सभी बेसमेंट में घुसे पानी ने कारोबारियों को भारी क्षति पहुंचाई थी। इस रोड पर नाला सडक़ से ऊपर है। सडक़ का पानी नाले पर नहीं बल्कि बारिश में नाले का पानी सडक़ पर आकर जल जमाव पैदा करता है।

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