सतना: ठीक नहीं है मेडिकल कॉलेज की तबियत, टीचिंग फैकल्टी पूरी नहीं होने पर नेशनल मेडिकल काउंसिल ने लगाई ३ लाख की पेनाल्टी

  • ठीक नहीं है मेडिकल कॉलेज की तबियत, टीचिंग फैकल्टी पूरी नहीं
  • होने पर नेशनल मेडिकल काउंसिल ने लगाई ३ लाख की पेनाल्टी
  • २ माह में खाली पद भरने की चेतावनी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-16 11:27 GMT

डिजिटल डेस्क, सतना। एक वर्ष पहले शुरू किए गए शासकीय मेडिकल कॉलेज सतना में टीचिंग फैकल्टी सहित अन्य व्यवस्थाएं सही नहीं होने पर एनएमसी (नेशनल मेडिकल काउंसिल) ने तीन लाख का अर्थदंड लगाया है। साथ ही खाली पदों को भरने और अन्य संसाधनों को जुटाने के लिए दो माह का समय दिया है। असेसमेंट के बाद शैक्षणिक सत्र २०२४-२५ में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में प्रवेश दिए जाने की अनुमति मिलने की संभावना है। जुलाई से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। एनएमसी की गाइड लाइन पूरा करने कॉलेज प्रबंधन के पास केवल डेढ़ माह का समय है। मौजूदा समय में १५० स्टूडेंट्स मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं।

३ माह पहले ऑनलाइन गया था ब्यौरा:----

जानकारी के मुताबिक करीब तीन माह पहले शासकीय मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने टीचिंग फैकेल्टी समेत अन्य संसाधनों की निर्धारित फॉर्मेट में एनएमसी को ऑनलाइन जानकारी भेजी थी। इसी जानकारी के आधार पर करीब १५ दिन पहले एनएमसी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चिकित्सा शिक्षा विभाग भोपाल और कॉलेज प्रबंधन के साथ समीक्षा की थी। मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध टीचिंग फैकल्टी और अन्य संसाधनों से संतुष्ट नहीं हुए। मेडिकल कॉलेज पर तीन लाख का अर्थदंड लगाते हुए दो माह के अंदर निर्धारित पैरामीटर्स के मुताबिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। फिर एनएमसी की टीम मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थाओं का निरीक्षण करेगी।

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रिक्त पड़े हैं ४८ फीसदी पद :--------

सूत्रों के मुताबिक शासकीय मेडिकल कॉलेज की टीचिंग फैकेल्टी में शामिल प्रोफेसर, एसोसिएट्स प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के ११७ पद स्वीकृत हैं। टीचिंग फैकल्टी में केवल ६० पद ही भरे हैं। अभी भी ४८ फीसदी पद रिक्त हैं। इन नियमित पदों को भरने की जिम्मेदारी चिकित्सा शिक्षा विभाग की होती है। जबकि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने स्वीकृत १३० सीनियर और जूनियर रेसीडेंट चिकित्सकों में से ९३ कि नियुक्ति कर चुका है। शेष ३७ पदों को भरे जाने की प्रक्रिया अभी चल रही है। इसी तरह नियमित पदों में शामिल लैब टेक्नीशियन और अन्य कार्यालयीन कर्मचारी एक भी नहीं हैं।

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इन रोगों के इलाज के लिए एक भी वार्ड नहीं ——

मेडिकल कॉलेज संचालन के लिए एनएमसी गाइडलाइन के मुताबिक ६०० बेड का हॉस्पिटल होनाचाहिए। मौजूदा समय में शासकीय मेडिकल कॉलेज जिला चिकित्सालय से अटैच है जहां पर ४२९ बेड है। यहां पर भी चर्म और मानसिक रोग के इलाज के लिए १५-१५ बेड और १० बेड का वर्न यूनिट होना चाहिए जो नहीं है। मेडिकल कॉलेज से जुड़े ६५० बेड के हॉस्पिटल निर्माण के लिए बजट स्वीकृत करने की फाइल दो वर्ष से भोपाल में अटकी हुई है।

वर्जन —

एनएमसी के द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था की ऑनलाइन समीक्षा की गई है। अर्थदंड लगाने के साथ-साथ कमियों को दूर करने के लिए दो माह का समय मिला है। गाइड लाइन को पूरा करने के लिए हर स्तर के प्रयास किए जा रहे हैं।

डा. शशिधर गर्ग, डीन

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