सतना: विकास के नाम पर 1.21 करोड़ के भ्रष्टाचार मामले में लोकायुक्त ने एक बार फिर निगमायुक्त मांगी रिपोर्ट
- इसी साल 26 मार्च को लिखे पत्र में 3 माह में रिपोर्ट पेश करने का आग्रह किया गया था।
- जांच में शिकायत की पुष्टि हुई और दोष भी सिद्ध हुए।
डिजिटल डेस्क,सतना। शहर में चौराहों के सौंदर्यीकरण के तकरीबन 1 करोड़ 21 लाख 85 हजार के भ्रष्टाचार मामले में लोकायुक्त ने एक बार फिर से नगर निगम के कमिश्नर से संबंधित अभियंताओं के खिलाफ की गई कार्यवाही का ब्यौरा तलब किया है। मामला (प्रकरण नंबर-1967/37/एसई/ 2023/जा.प्र./312/2020) लोकायुक्त भोपाल में दर्ज है। अबकि रिपोर्ट पेश करने की टाइम लिमिट 15 अक्टूबर तक की गई है।
ऐसा पहली बार नहीं
सूत्रों के मुताबिक लोकायुक्त मुख्यालय भोपाल के विधि सलाहकार (4) आरपी मिश्रा ने इस बात पर भी कड़ी आपत्ति जताई है कि बार-बार ब्यौरा मांगे जाने के बाद भी यहां का नगर निगम प्रशासन लोकायुक्त को सौंदर्यीकरण के नाम पर भारी भ्रष्टाचार में शामिल नगर निगम के इंजीनियरों एवं अन्य संबंधितों के विरुद्ध की गई जानकारी नहीं दे रहा है। इसी साल 26 मार्च को लिखे पत्र में 3 माह में रिपोर्ट पेश करने का आग्रह किया गया था।
जांच तो हुई पर कार्यवाही नहीं
शहर के पन्नीलाल चौक, लालता चौक, धवारी चौक और सिविल लाइन में कराए गए सौंदर्यीकरण में भारी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए तकरीबन 3 साल पहले तबके निगमायुक्त ने अधीक्षण अभियंता की निगरानी में एक जांच टीम बनाई थी। वर्ष 2021 की 7 अक्टूबर को निगमायुक्त को रिपोर्ट सौंपी गई। मगर आरोप प्रमाणित पाए जाने के बाद भी नगर निगम प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही नहीं की।
क्या है पूरा मामला
शहर के पन्नीलाल चौक में 21 लाख 75 हजार, लालता चौक में 26 लाख 60 हजार, धवारी चौक में 35 लाख 50 हजार और सिविल लाइन में 38 लाख की लागत से सौंदर्यीकरण के काम कराए गए थे। आरटीआई एक्टिविस्ट उदयभान चतुर्वेदी की शिकायत पर जब लोकायुक्त ने संबंधित
आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया तो नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई। जांच में शिकायत की पुष्टि हुई और दोष भी सिद्ध हुए।
क्या कहती है,जांच रिपोर्ट
प्राक्कलन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं थी।
इंजीनियर इंचार्ज ने सत्यापन के बिना प्राक्कलनों को प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति के लिए फाइलें आगे बढ़ाईं।
तकनीकी अफसरों ने एकल निविदाएं स्वीकृति योग्य तो बताईं लेकिन रीजनेबिलनेस के आधार स्पष्ट नहीं किए गए। जबकि आधार स्पष्ट करना अनिवार्य शर्त है।
स्पष्ट है कि निविदा स्वीकृति की अनुशंसा से पूर्व तकनीकी अधिकारियों द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
पन्नीलाल चौक और लालता चौक की तरह धवारी चौराहा और सिविल लाइंस के सौंदर्यीकरण के कार्यों में भी ऐसी ही गफलत की गई।
बाजार मूल्य से 5 गुना अधिक भुगतान
जांच रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि की गई कि सौंदर्यीकरण के 1 करोड़ 21 लाख 85 हजार के नियम विरुद्ध कार्यों की निविदा प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा नहीं पाई गई। प्रक्रिया में सिर्फ २ ठेकेदार शामिल थे।
इन्हीं दो संविदाकारों को एक-एक कार्य का कॉन्ट्रेक्ट अवार्ड हुआ। आयटम कास्ट वर्क आउट नहीं किए गए। टोटल कॉस्ट दर्शायी गई। प्राक्कलन ईई से हस्ताक्षरित नहीं थे। जांच में इस तथ्य भी सामने आया कि ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए बाजार मूल्य से 4 से 5 गुना ज्यादा राशि के भुगतान किए गए। प्राक्कलन कॉस्ट का जस्टिफिकेशन भी नहीं पाया गया। न्यूनतम निविदा दरें, प्राक्कलन राशि से ज्यादा थीं।
फैक्ट फाइल
खूबसूरती की आड़ में कहां-कैसे खेल
पन्नीलाल चौक : 21.75 लाख
लालता चौक : 26.60 लाख
धवारी चौक : 35.50 लाख
सिविल लाइन : 38 लाख
कुल: 1 करोड़ 21 लाख 85 हजार