भास्कर पड़ताल: पोस्टिंग के बाद भी रहस्यमयी ढंग से ओटीटीएमएस पोर्टल पर रिक्त हो गए माध्यमिक शिक्षकों के पद

  • अब,अनुभवहीन शिक्षक पढ़ाएंगे एक्सीलेंस स्कूल के मेधावी बच्चों को
  • शिक्षाविदों के मुताबिक ऐसा शैक्षणिक गुणवत्ता में एकरूपता लाने के लिए किया गया।
  • पहली बार जुलाई 2017 में प्रदेश स्तर पर ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन किया गया था।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-21 13:45 GMT

डिजिटल डेस्क,सतना। अगर, यही हाल रहा तो स्कूल शिक्षा विभाग के एक्सीलेंस स्कूलों में अब मेधावी विद्यार्थियों को अनुभवहीन उच्च माध्यमिक शिक्षक पढ़ाएंगे? कवायद शुरु हो गई है। प्रदेश के उत्कृष्ट विद्यालयों में पहले से ही पढ़ा रहे अनुभवी माध्यमिक शिक्षकों के पद ओटीटीएमएस पोर्टल पर रिक्त (शून्य) कर दिए गए हैं।

जानकारों के मुताबिक ऐसे शिक्षकों को बाहर कर इन्हीं पदों पर सीधी भर्ती से आए अनुभवहीन उच्च माध्यमिक शिक्षकों को पदांकित करने की तैयारी है। संगीन सवाल हैं कि आखिर, किसे उपकृत करने के लिए लोक शिक्षण संचालनालय ने अपने ही कानून - कायदे उलट दिए हैं?

क्या, एक्सीलेंस स्कूलों के लिए शिक्षकों के चयन हेतु निर्धारित विभागीय पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है? इन्हीं जानकारों के मुताबिक ऐसे में शिक्षकों के न्यूनतम 3 से 5 वर्ष के अन्यत्र अध्यापन के अनुभव की बाध्यता का भी अब कोई अर्थ नहीं रह गया है?

ओपन बोर्ड के एग्जाम विद्यार्थियों और विभागीय परीक्षा से शिक्षकों का चयन

शिक्षा में गुणात्मक सुधार एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी के लिए वर्ष 2001 में प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना की गई थी। एक्सीलेंस स्कूलों में 9 वीं में विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए ओपन बोर्ड से एंट्रेंस एग्जाम का प्रावधान किया गया और 11 वीं कक्षा में प्रवेश के लिए 10 वीं के बोर्ड एग्जाम की मेरिट को आधार बनाया गया ताकि मेधावी बच्चों के लिए एक्सीलेंस स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जा सके।

इसी प्रकार शुरू में शिक्षकों का चयन स्कूल के चेयरमैन ( पदेन कलेक्टर) की समिति साक्षात्कार के माध्यम से करती थी। किंतु वर्ष 2017 में लोक शिक्षण संचालनालय ने शिक्षकों के लिए भी विभागीय परीक्षा अनिवार्य कर दी।

शिक्षाविदों के मुताबिक ऐसा शैक्षणिक गुणवत्ता में एकरूपता लाने के लिए किया गया। असल में प्रश्न यह था कि जब विद्यार्थियों का चयन प्रवेश परीक्षा के आधार पर किया जा रहा है तब उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों की दक्षता का परीक्षण भी विभागीय परीक्षा के आधार पर ही होना चाहिए ।

वर्ष 2013 में लोक शिक्षण संचालनालय ने एक आदेश के तहत यह भी स्पष्ट किया था कि हाईस्कूल एवं हायर सेकंडरी में सिर्फ वरिष्ठ अध्यापक (उच्च माध्यमिक शिक्षक) ही अध्यापन कार्य करेंगे। किंतु जुलाई 2017 में संचालनालय ने विज्ञापित किया कि विशिष्ट स्कूलों का दर्जा प्राप्त एक्सीलेंस स्कूलों में वरिष्ठ अध्यापकों (उच्च माध्यमिक शिक्षकों ) के साथ- साथ पीजी पात्रता प्राप्त अध्यापक भी आवेदन कर सकेंगे।

एक्सीलेंस स्कूल में अध्यापन के लिए चयन परीक्षा आयोजित की जाएगी और मेरिट के आधार चयन किया जाएगा। पहली बार जुलाई 2017 में प्रदेश स्तर पर ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन किया गया था।

ट्रांसफर पर पोस्टिंग भी थी प्रतिबंधित

इतना ही नहीं स्कूल शिक्षा विभाग ने तब यह भी सुनिश्चित किया था कि एक्सीलेंस स्कूल में किसी भी शिक्षक की न तो सीधी भर्ती की जाएगी और न ही किसी भी शिक्षक का पदांकन ट्रांसफर के आधार पर किया जाएगा। तब उत्कृष्ट स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती दो वर्ष के लिए की गई थी।

अध्यापन में अच्छे प्रदर्शन पर कलेक्टर को एक वर्ष की सेवा वृद्धि का अधिकार था और तीन वर्ष के बाद पुन: ऐसे शिक्षकों को विभागीय परीक्षा उत्र्तीण करनी अनिवार्य थी। मार्च 2022 को लोक शिक्षण संचालनालय ने एक आदेश जारी कर स्पष्ट किया था कि उत्कृष्ट स्कूलों के ऐसे शिक्षक जो अपेक्षित परिणाम दे रहे हैं उन्हें यथावत निरंतर रखा जाए यद्यपि तब संचालनालय ने स्वेच्छा से ऐसे शिक्षकों के अन्य स्कूलों में स्थानांतरित होने का विकल्प भी दिया था।

मगर, अबकि परीक्षा होती, इससे पहले ही लोकशिक्षण संचालनालय ने अपने ही कानून कायदे उलट दिए। पहले पदस्थापना के बाद भी ओटीटीएमएस पोर्टल पर माध्यमिक शिक्षकों के रिक्त पद दर्शाए गए और फिर इन्हीं पदों पर सीधी भर्ती से आए उच्च माध्यमिक शिक्षकों को सीधे एक्सीलेंस स्कूल में पदांकित करने की कवायद शुरु कर दी गई।

शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) देकर सीधी भर्ती से आए जिन उच्च माध्यमिक शिक्षकों को उत्कृष्ट स्कूलों में पदांकित करने की कवायद की जा रही है, वह पीजी- बीएड तो हैं मगर उन्हें अन्यत्र अध्यापन का 3 से 5 वर्ष का न्यूनतम अनुभव नहीं है।

अभी यह भी सुनिश्चित नहीं है कि इन्हें हिंदी के साथ - साथ अंग्रेजी माध्यम में भी अध्यापन का अनुभव है या नही? स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों के तहत ही एक्सीलेंस स्कूलों में अध्यापन के लिए वही शिक्षक पात्र हैं जो पीजी- बीएड के साथ न्यूनतम 3 से 5 वर्ष तक हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यम में समान रूप से अध्यापन कार्य का अनुभव रखते हो।

इतना ही नहीं एक अनिवार्य शर्त यह भी है कि एक्सीलेंस स्कूल में वही शिक्षक अध्यापन कर सकते हैं जिन्होंने उत्कृष्ट स्कूलों के लिए निर्धारित विभागीय चयन परीक्षा में मेरिट पर जगह बनाई हो।

तो फिर भेदभाव क्यों

बड़ा सवाल यह भी है कि जब एक्सीलेंस स्कूलों के लिए माध्यमिक शिक्षक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षक एक ही पात्रता परीक्षण प्रक्रिया से एक साथ चयनित किए गए थे तो माध्यमिक शिक्षकों को उत्कृष्ट विद्यालयों से बाहर करने की भेदभाव पूर्ण नीति क्यों अपनाई गई है?

यदि तब चयन प्रक्रिया ही दूषित अथवा दोषपूर्ण थी तो माध्यमिक के साथ उच्च माध्यमिक शिक्षकों के भी पदों को शून्य (रिक्त) करते हुए , नए सिरे से पुन: चयन परीक्षा का आयोजन क्यों नहीं किया जा रहा है?

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