रिहर्सल का चौथा दिन: 15 अगस्त के उत्सव की तैयारी कर रहे 2500 बच्चे पानी घर से लाने को मजबूर

  • 35 स्कूलों के 2500 बच्चे, मगर पुलिस परेड ग्राउंड में न पीने का पानी न चलित टॉयलेट!
  • कलेक्टर की सख्त हिदायत के बाद भी ऐसी अंधेरगर्दी
  • परेड ग्राउण्ड पहुंचाए गए टैंकर के पानी की शुद्धता की गारंटी पर सवाल उठना लाजिमी है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-07 09:30 GMT

डिजिटल डेस्क,सतना। स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह के लिए रिहर्सल के चौथे दिन भी बदइंतजामी बरकार रही। चौथे दिन 35 स्कूलों के 2500 बच्चे रिहर्सल के लिए पुलिस परेड ग्राउंड पर थे, मगर न पेयजल का प्रबंध था और नही छात्र-छात्राओं के लिए नगर निगम ने चलित शौचालय (टॉयलेट) ही लगाए थे।

अलबत्ता , मेडिकल टीम मौजूद थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बच्चे अगर अपने घरों से पानी के बॉटल नहीं ले जाते तो कड़ी धूप और उमस में उनकी जान सांसत में आ जाती? उल्लेखनीय है, स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों की समीक्षा के दौरान कलेक्टर अनुराग वर्मा ने नगर निगम को दो टूक हिदायत दी थी कि बच्चों के लिए शुुद्ध पेयजल और मोबाइल टायलेट के समुचित प्रबंध होने चाहिए।

जानकारों ने बताया कि नगर निगम के पास कहने को तो 5 चलित शौचालय हैं, मगर इनमें से 3 कबाड़ हैं और सिर्फ 2 चालू हालत में हैं।

डेढ़ घंटे में सिर्फ एक ब्रेक

हासिल जानकारी के मुताबिक आजादी के पर्व का जश्न मनाने के लिए 35 विद्यालयों के करीब ढाई हजार बच्चों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है। सामूहिक पीटी से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जान डालने के लिए 2500 विद्यार्थी बीते 3 अगस्त से सुबह 9 से साढ़े 10 बजे तक रिहर्सल कर रहे हैं। यह सिलसिला 13 अगस्त को फुलडे्रस रिहर्सल के साथ खत्म होगा। डेढ़ घंटे के रिहर्सल के दरमियान बच्चों को सिर्फ एक बार ब्रेक मिलता है। परेड ग्राउण्ड में पेयजल की व्यवस्था नहीं होने की वजह से बच्चे अपने घर से पानी की बॉटल ले जाते हैं।

टैंकर का पानी, आखिर कितना शुद्ध

बताया गया है कि मंगलवार को रिहर्सल के अंतिम चरण में नगर निगम का पानी का एक टैंकर पुलिस परेड ग्राउंड भेजा गया। सवाल यह है कि पानी का टैंकर पेयजल के रुप में आखिर कितना शुद्ध है? वह भी तब जब स्वास्थ्य विभाग आए दिन जल जनित बीमारियों से बचाव के लिए शुद्ध पेयजल के उपयोग की एडवाइजरी जारी कर रहा है।

ऐसे में परेड ग्राउण्ड पहुंचाए गए टैंकर के पानी की शुद्धता की गारंटी पर सवाल उठना लाजिमी है। जानकारों ने बताया कि तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ सूफिया फारूखी रिहर्सल के दरमियान आरओ वॉटर के कैम्पर का इंतजाम करती थीं लेकिन उनके जाते ही यह व्यवस्था समाप्त हो गई।

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