कसा तंज: विखे पाटिल का चव्हाण पर निशाना - सत्ता गंवाने के बाद अकल आने का क्या फायदा

  • पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण पर कसा तंज
  • विखे पाटिल का निशाना
  • सत्ता गंवाने के बाद अकल आने का क्या फायदा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-29 14:36 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण इन दिनों अपने एक बयान को लेकर चर्चा में हैं, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि, अगर 2014 में राष्ट्रवादी कांग्रेस ने हमारी सरकार नहीं गिराई होती तो भाजपा की बजाय कांग्रेस राष्ट्रवादी कांग्रेस की सरकार आती और मराठा आरक्षण का मसला कब का हल हो गया होता। उनके इस बयान पर राष्ट्रवादी के अजीत पवार गुट के नेता सुनील तटकरे के बाद पूर्व कांग्रेस और मौजूदा भाजपा नेता एवं प्रदेश के राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने टिप्पणी की है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि सत्ता गंवा बैठने के बाद आई अक्ल किस काम की? सत्ता खोने के बाद मराठा आरक्षण मुद्दे पर समझदारी दिखाने में कोई सच्चाई नहीं है।

सातारा जिले के कराड में संवाददाताओं से की गई बातचीत में मंत्री विखे-पाटिल ने पृथ्वीराज चव्हाण पर दिए बयान पर कहा, महाराष्ट्र में कांग्रेस की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के लिए पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण जिम्मेदार हैं। उनकी वजह से कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता से बाहर हो गईं। वह पृथ्वीराज चव्हाण ही थे जिन्होंने उस समय गठबंधन सरकार को हटाने का काम किया था। मंत्री विखे पाटिल ने आलोचना करते हुए कहा कि सत्ता छोड़ने के बाद समझदारी दिखाने में कोई मतलब नहीं है। ज्ञात रहे कि इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस अजीत पवार गुट के प्रदेशाध्यक्ष सुनील तटकरे ने भी पृथ्वीराज चव्हाण पर 2014 में दोनों कांग्रेस के गठबंधन टूटने और राज्य सरकार गिरने के लिए जिम्मेदार रहने का प्रत्यारोप किया था।

राई का पहाड़ बना रहे भुजबल

वहीं राष्ट्रवादी के अजीत पवार गुट के नेता एवं राज्य सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल को सलाह दी कि उन्हें राई का पहाड़ बनाकर बयानबाजी से बचना चाहिए। मराठा समुदाय को आरक्षण देने के बारे में सरकार सकारात्मक सोच रही है, लेकिन, छगन भुजबल राय को पहाड़ बना रहे हैं। वह एक वरिष्ठ नेता हैं और आरक्षण जैसे गंभीर मसले पर इस तरह का बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण है। मराठा आरक्षण को लेकर सरकार गंभीर है, इस पर किसी को संदेह करने का कोई कारण नहीं है। हमने इस संबंध में मनोज जारांगे-पाटिल को लिखित आश्वासन भी दिया है। मराठा समुदाय की आरक्षण की मांग उनका अधिकार है। इस मांग को लेकर राज्य सरकार सकारात्मक सोच रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और अजित पवार बिना किसी के आरक्षण को छुए मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर सहमत हो गए हैं। पता नहीं भुजबल राई का पहाड़ क्यों बना रहे हैं?

दूध संघों के लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी

दूध मूल्य आंदोलन के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश के राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने कहा, दूध की कीमत कम से कम 34 रुपये प्रति लीटर होनी चाहिए। ऐसी शिकायतें हैं कि कुछ दुग्ध संघ सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। फिलहाल महाराष्ट्र में 30 फीसदी दूध मिलावटी है। इसे तुरंत रोकने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने चेतावनी दी कि अगर निजी दुग्ध संघ दूध के दाम को लेकर बात नहीं मानेंगे तो उनका लाइसेंस रद्द करना पड़ेगा।

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