मजबूत रिश्ते: दिवाली पर शरद पवार का पूरा कुनवा दिखा एकजुट, जानिए क्या कहती है तस्वीर
- दिवाली पर शरद पवार का पूरा कुनवा एकजुट
- पवार परिवार ने बारामती में एक साथ दिवाली मनाई
- पारिवारिक खुशियां मनाने की परंपरा जारी
डिजिटल डेस्क, पुणे। सियासी कड़वाहट भुलाकर दिवाली के मौके पर पवार परिवार एकजुट नजर आया। अजित पवार के काटेवाड़ी स्थित आवास पर भाईदूज मनाया गया। शरद पवार अपने परिवार के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए। उनके साथ पूर्व मंत्री राजेश टोपे भी मौजूद थे। सुबह सुप्रिया सुले और प्रतिभा पवार अजित दादा के घर पहुंची थीं। तभी शरद पवार बारामती में किसानों के खेतों का निरीक्षण करने गए थे, लेकिन वहां से वे सीधे अजित पवार के घर चले आए।
इससे पहले अजित पवार भी अपने चाचा यानी शरद पवार से मिलने पहुंचे थे। परिवार की इस खास तस्वीर में अजित अपने चाचा के ठीक पीछे नजर आ रहे हैं। मंगलवार शाम चाचा भतीजे के बीच हफ्ते में दूसरी मुलाकात थी। दिवाली पड़वा पर अजित पवार का पूरा परिवार शरद पवार से आशीर्वाद लेने गोविंद बाग पहुंचा था। करीब 3 घंटे तक अजित पवार का परिवार शरद पवार के गोविंदबाग निवास पर मौजूद रहा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद एक सवाल काफी उठ रहा था कि पवार परिवार के बीच क्या दरारें कम होगी, लेकिन दिवाली मिलन के इस मौके ने बता दिया कि रिश्ते सियासत से कहीं ऊपर हैं। बुधवार को सुप्रिया सुले और उनकी मां प्रतिभा पवार अजित पवार के घर भाईदूज मनाने गई।
इसी साल अजीत पवार ने शरद पवार से अलग होकर भाजपा-शिवसेना के साथ सत्ता में शामिल होने का फैसला किया था। उनके साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस के 9 अन्य नेता भी शामिल हुए थे। इसके बाद अजित पवार ने राष्ट्रवादी पार्टी और घड़ी चुनाव चिह्न पर दावा किया। शरद पवार और अजित के दोनों गुटों में जुबानी जंग छिड़ी। असली राष्ट्रवादी कौन सवाल केंद्रीय चुनाव आयोग तक जा पहुंचा। शरद पवार समूह ने दावा किया था कि अजित समूह ने फर्जी दस्तावेज जमा किए हैं। आयोग में दोनों गुट आमने-सामने हैं।
दिवाली के मौके पर पूरा पवार परिवार एक साथ नजर आया। चाचा -भतीजा सारे मतभेद भुलाकर पारिवारिक समारोह में साथ नजर आए। पड़वा के गोविंदबाग में कार्यकर्ता शरद पवार से मिलने पहुंचे थे, उस वक्त अजित की गैरमौजूदगी चर्चा में थी। हालांकि अजीत देर शाम तक वे घर आ गए थे। इसके बाद बुधवार को भैयादूज पर सारा पवार परिवार इकट्ठा हुआ। अजित ने अपने परिवार के साथ भोजन का लुफ्त उठाया। राजनीतिक मतभेदों के बावजूद पारिवारिक खुशियां मनाने की परंपरा जारी रही।