अब कसी कमर: शरद पवार गुट को मिला चुनाव चिह्न तुतारी, विपक्ष ने पूछा आवाज भी निकलेगी या सिर्फ हवा

  • एनसीपी-शरदचंद्र पवार पार्टी को मिला नया चुनाव चिह्न तुतारी
  • तुतारी की पंक्तियों का हवाला
  • दिल्ली के सम्राट को बहरा कर दिया था

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-23 14:56 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रवादी कंग्रेस पार्टी के शरद पवार की एनसीपी-शरदचंद्र पवार पार्टी को आखिरकार नया चुनाव चिन्ह मिल ही गया है। एनसीपी-शरदचंद्र पवार पार्टी के चुनाव चिन्ह में तुतारी बजाते शख्स देखा जा सकता है। इसे लेकर विपक्ष ने निशाना साधा है। अहमदनगर जिले में भाजपा सांसद सुजय विखे पाटिल ने तंज कसते हुए कहा कि अब इस तुतारी से आवाज निकलेगी या सिर्फ हवा, जल्द ही पता चल जाएगा।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद असली पार्टी कौन सी है, इसका विवाद केंद्रीय चुनाव आयोग के पास चला गया। चुनाव आयोग ने पार्टी का मूल नाम 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी' और पार्टी का मूल चुनाव चिन्ह अजित पवार गुट को दे दिया। राज्यसभा चुनाव से पहले शरद पवार गुट को 'राष्ट्रवादी कांग्रेस-शरद चंद्र पवार पार्टी' नाम दिया गया। इसके बाद शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग से नए चुनाव चिन्ह की मांग की थी। जिसपर आयोग ने शरद पवार गुट को तुतारी बजाता आम आदमी का चुनाव चिह्न दे दिया।

नया चुनाव चिन्ह तुतारी मिलने केे बाद पार्टी के प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ने कहा कि 'हमारे उम्मीदवार आगामी लोकसभा चुनाव में इसी चुनाव चिह्न के साथ लड़ेंगे। निर्वाचन आयोग ने अपने आदेश में कहा कि तुतारी बजाता हुआ व्यक्ति एनसीपी-शरदचंद्र पवार पार्टी का नया चिन्ह है। शरद पवार गुट ने ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता कुसुमाग्रज की लिखी लोकप्रिय कविता 'तुतारी' की पंक्तियों का हवाला दिया, एक पोस्ट साझा करते हुए पार्टी ने 'एक्स' पर कहा कि ''छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरगाथा में तुतारी ने एक बार दिल्ली के सम्राट को बहरा कर दिया था."

इसके बाद शरद पवार गुट तुतारी के बल पर दिल्ली दरबार के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का दम भर रहा है। इस चुनाव चिन्ह का शरद पवार गुट ने स्वागत किया है। शरद पवार गुट ने घोषणा की है कि 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद चंद्र पवार' को मिले पार्टी चिन्ह 'तुतारी वादक' का अनावरण रायगढ़ किले पर आयोजित किया जाएगा।

भुजबल ने पवार के नए चुनाव चिन्ह को लेकर जताई आशंका

शरद पवार का साथ छोड़ उनके भतीजे अजीत पवार के साथ जाने वाले मंत्री छगन भुजबल कहते हैं कि नए चुनाव चिन्ह को प्रचारित करना आसान नहीं होता। साल 1999 में शरद पवार के कांग्रेस से बगावत के बाद उनके साथ मिल कर नई पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना में शामिल रहे भुजबल ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस से अलग होकर राकांपा बनाने के बाद हमे घड़ी चुनाव चिन्ह मिला था। उन्होंने कहा 1999 में हमारे 30 फीसदी से ज्यादा वोट कांग्रेस को चले गए थे। अभी लोगों को लगता है कि शरद पवार की पार्टी का चिन्ह घड़ी है। भुजबल ने कहा कि शरद पवार गुट को अब एक नया चुनाव चिन्ह तुतारी मिल गया है। चुनाव चिह्न का मतदान पर कुछ असर पड़ेगा। क्योंकि किसी नए चुनाव चिन्ह को लोगों के दिमाग पर बिठाना कोई आसान काम नहीं होता। हालांकि अब हर किसी के पास स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है। इस लिए अब यह काम आसान हो गया है। जबकि पहले इस काम में बड़ी दिक्कत थी। फिर भी थोड़ी समस्या आयेगी ही। खासकर ग्रामीण इलाको में लोगों को समझना मुश्किल होगा। ग्रामीण इलाकों में लोग शरद पवार मतलब घड़ी समझते हैं।

राकांपा (शरद) ने ईशान्य मुंबई की सीट पर दावा ठोका

महाविकास आघाडी में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर तीनों ही दलों कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और राकांपा (शरद) में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। तीनों ही दल कई सीटों के बंटवारे पर आमने-सामने भी हैं। पिछले कई चुनाव से ईशान्य मुंबई की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ती आ शरद पवार की राकांपा आगामी चुनाव में इस सीट पर फिर से दावा ठोका है। सूत्रों का कहना है कि शरद पवार मुंबई की 6 सीटों में से एक सीट चाहते हैं और वह उत्तर पूर्व मुंबई यानी ईशान्य मुंबई की सीट है। गुरुवार को प्रदेश राकांपा (शरद) अध्यक्ष जयंत पाटील के साथ 4 घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद तय हुआ कि ईशान्य मुंबई की सीट हमें मिलनी चाहिए। यही कारण है कि पहले से ही इस सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाली शिवसेना (उद्धव) से राकांपा का आमना-सामना हो सकता है। शिवसेना (उद्धव) सांसद एवं प्रवक्ता संजय राऊत पहले ही कह चुके हैं कि वह मुंबई की चार लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में राकांपा का ईशान्य मुंबई सीट पर दावा करने से सीटों के बंटवारे में पेंच फंस सकता है। हालांकि तीनों दल ही यह कह चुके हैं कि 27 या 28 फरवरी तक सीटों का बंटवारा हो जाएगा।


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