विवादित बयान: रोहित पवार की जितेंद्र आव्हाड को श्रद्धा पर सियासत न करने की सलाह

  • श्रद्धा पर सियासत न करने की सलाह
  • विवादित बयान को लेकर रोहित पवार ने सलाह दी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-04 13:17 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस शरद पवार के गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया था कि श्री राम एक बहुजन, क्षत्रिय थे और 14 साल के वनवास के दौरान शिकार करते थे और मांस खाते थे। इस मुद्दे पर पार्टी के युवा विधायक रोहित पवार ने आव्हाड को श्रद्धा पर सियासत न करने की सलाह दी। उस पर जितेंद्र अव्हाड ने गुरुवार को शिरडी में विधायक रोहित पवार को मर्यादित शब्दों में जवाब दिया। रोहित पवार क्या कहते हैं, इस पर मैं ज्यादा ध्यान नहीं देता। अबू धाबी में जाकर बात करना बहुत आसान है। वह अभी भी छोटे हैं, विधायक के रूप में उनका पहला कार्यकाल है। मैं उनके बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहता।

राष्ट्रवादी के शिर्डी में चल रहे शिविर में बुधवार को जितेंद्र आव्हाड ने भगवन श्रीराम को मांसाहारी बताकर नया विवाद पैदा कर दिया है। इस पर आज दिन भर समूचे राज्य का सियासी माहौल गरमाया हुआ है। इस बीच इस शिविर से दूर रहे शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट के जरिए भगवान, धर्म, श्रद्धा जैसे मुद्दों की बजाय बेरोजगारी, महंगाई, किसानों के मसलों, कानून व्यवस्था जैसे ज्वलंत विषयों पर बात करना ज्यादा जरुरी बताया। उनके बयान के बाद जितेंद्र आव्हाड ने मीडिया से की गई बातचीत में रोहित पवार अभी काफी छोटे हैं, मैं उनके बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहता कहकर ज्यादा बात करने से मना कर दिया। हालाँकि आव्हाड आज भी अपने बयान पर कायम नजर आये।

उन्होंने कहा, मैंने कभी भी बिना अध्ययन के कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन आजकल यह अध्ययन से अधिक भावनाओं महत्व है। अगर मेरे बयान से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं माफी मांगता हूं। उनके इस बयान से राष्ट्रवादी (शरद पवार गुट) में वे अकेले पड़ गए हैं, इस बारे में पूछे जाने पर आव्हाड ने कहा कि शरद पवार हमेशा कहते थे कि पार्टी कभी भी सामाजिक भूमिका के लिए जिम्मेदार नहीं होती है। जब मैं बाबासाहेब पुरंदरे के खिलाफ गया था तो तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने मुझे पुरंदरे के घर जाकर माफी मांगने को कहा था। मैं उस वक्त थोड़ा डरा हुआ था। फिर मैंने शरद पवार को फोन किया और उन्हें सब कुछ बताया। तब शरद पवार साहब ने कहा कि आप इतिहास पढ़ रहे हैं। तुम्हें जो ठीक लगे वही कहो। इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। पार्टी किसी की सामाजिक भूमिका तय नहीं करती। इसलिए मैं कोई भी लड़ाई अकेले ही लड़ता हूं। मैंने पूरे मामले को तीन महीने तक अकेले ही संभाला। इसलिए शनिवारवाड़ा में होने वाला समारोह राजभवन के बंद हॉल में आयोजित करना पड़ा। अगर मैं लड़ते वक्त यही देखता रहूंगा कि मेरे साथ कितने लोग हैं तो मैं लड़ नहीं पाऊंगा।

आख़िर क्या कहा रोहित पवार ने?

वरिष्ठ नेता जितेंद्र आव्हाड के विवादित बयान के बाद रोहित पवार ने ट्वीट किया। इसमें उन्होंने कहा, आज अवांछित विषयों पर बात करके विवाद को भड़काने के बजाय बढ़ती बेरोजगारी, बिगड़ती कानून व्यवस्था, महिलाओं की सुरक्षा, कृषि उत्पादों की कीमत में कमी, उद्योगों का महाराष्ट्र से गुजरात की ओर पलायन, जातियों के बीच पैदा हुए तनाव जैसे ज्वलंत मुद्दों पर बात करके सरकार को घेरने की ज्यादा जरूरत है। भगवान और धर्म हर किसी का निजी मामला है। चूंकि इस मामले में सभी की आस्था है, इसलिए किसी को भी इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए, वह सिर्फ भगवान और धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को मुबारक। रोहित पवार ने अपने ट्वीट में कहा था कि एक नागरिक के नाते मेरा मानना है कि भगवान, धर्म जैसे विषयों पर बयान देकर हर किसी को विपक्ष के जाल में न फंसने के प्रति सचेत रहना चाहिए।

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