चौंकानेवाला खुलासा: कड़ी कार्रवाई तो छोड़िए निलंबन से भी दूर हैं 203 भ्रष्ट अफसर और कर्मचारी

  • एसीबी के सांख्यिकी ब्यौरे से हुआ चौंकानेवाला खुलासा
  • सजा सुनाने के बाद भी अपने पदों पर बने हुए हैं 16 भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी
  • भ्रष्टों पर मेहरबानी बढ़ा रही संदेह

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-16 14:44 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे, संतोष मिश्रा। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पर लगाम कसने में जुटे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने चौंकानेवाला खुलासा किया है। जिसके तहत सालभर में रिश्वतखोरी के 794 मामले उजागर हुए। 994 भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों पर शिकंजा कसा गया। रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़े जाने के बाद एसीबी की कार्रवाई के साथ संबंधित सरकारी विभाग के अधीन आरोपी अधिकारी और कर्मचारी को तत्काल निलंबित कर दिया जाता है। उसकी विभागीय जांच शुरू कर पुलिस की कार्रवाई के बाद निष्कासन जैसी कार्रवाई की जाती है, लेकिन घूस लेते हुए रंगेहाथों पकड़े जाने के बाद कड़ी कार्रवाई तो दूर की बात है, कई घूसखोर निलंबन तक की कार्रवाई से बच जाते हैं। एसीबी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार ऐसे भ्रष्टों की संख्या 203 हैं, जिन्हें एसीबी की कार्रवाई के बाद निलंबित तक नहीं किया गया। सजा सुनाये जाने के बावजूद 16 अधिकारी और कर्मचारी निष्कासन की कार्रवाई से दूर नजर आए।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रिश्वतखोरी के मामलों में रंगेहाथ पकड़े जाने के बावजूद निलंबन से बचे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों का ब्यौरा जारी किया है। इस साल में 6 नवंबर तक जाल बिछाकर रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद भी 203 सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को निलंबित नहीं किया जा सका है। इसमें 72 सरपंच और जनप्रतिनिधियों का भी समावेश है। इनका अपवाद छोड़ दिया जाए तो भी 131 सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों पर उनके विभाग और विभाग प्रमुखों की 'मेहरबानी' सपष्ट रूप से नजर आती है। शायद इसी वजह से घूस लेते हुए रंगेहाथ पकडे जाने के बावजूद वे निलंबन तक की कार्रवाई से दूर हैं। उससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि 16 सरकारी अधिकारी और कर्मचारी तो ऐसे पाए गए हैं जिन्हें रिश्वतखोरी के मामलों में दोषी पाने और सजा सुनाने के बाद भी सरकारी सेवा से निष्कासित नहीं किया जा सका है। इससे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों को बचाने में उनके संबंधित विभाग और विभाग प्रमुखों की सहभागिता साफ़ नजर आती है।


भ्रष्टों पर मेहरबानी बढ़ा रही संदेह का दायरा

भ्रष्टाचार के अलग- अलग मामलों में कार्रवाई से बचे भ्रष्टों की सर्वाधिक 58 संख्या एसीबी के नागपुर परिक्षेत्र की है। उसके बाद मुंबई परिक्षेत्र का नंबर आता हैं, यहां अधिकारी- कर्मचारियों की संख्या 34 है। तीसरे नंबर पर अमरावती और चौथे नंबर पर औरंगाबाद परिक्षेत्र है, जहां भ्रष्टों की संख्या 31 और 23 है। इसके बाद ठाणे और नांदेड़ परिक्षेत्र (17- 17), नासिक (12) और पुणे परिक्षेत्र के (11) मामले हैं। इन 203 भ्रष्टों में सर्वाधिक 58 ग्राम विकास विभाग और 49 शिक्षा एवं खेल विभाग के अफसर और कर्मचारी शामिल हैं। इसके अलावा नगरविकास विभाग के 27, राजस्व, पंजीयन व भूमि अभिलेख विभाग और पुलिस, जेल, होमगार्ड विभाग के 18- 18 भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। भ्रष्टाचार जैसे संगीन मामलों में पकड़े जाने के बाद भी निलंबन से बचे भ्रष्टों पर संबंधित सरकारी विभागों की 'मेहरबानी' संदेह दायरा बढ़ाती है।


अदालती कार्यवाही में लटके ज्यादातर मामले

रिश्वतखोरी के मामलों में दोषी पाने और सजा सुनाये जाने के बावजूद निष्कासन की कार्रवाई से दूर रहे 16 भ्रष्टों में पुणे और नागपुर परिक्षेत्र के चार- चार, नासिक, अमरावती और औरंगाबाद परिक्षेत्रों के दो- दो और ठाणे व नांदेड़ परिक्षेत्र के एक- एक अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। यह उल्लेखीनय है कि इनमें ज्यादातर मामले अदालती कार्यवाही में लटके हुए हैं। गौरतलब हो कि एसीबी द्वारा इस साल में अब तक रिश्वतखोरी के 714 मामले उजागर करते हुए 994 भ्रष्ट अधिकारी- कर्मचारी और उनके चेले-चपाटों को रंगेहाथों धरदबोचा है। पिछले साल नवंबर माह तक (2022) 635 मामलों में 895 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।

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