पुणे: जनप्रतिनिधियों के दलबदल से अब जनता के मन में राजनीति को लेकर रुचि नहीं रही
- 13वीं भारतीय छात्र संसद का उद्घाटन
- पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की राय
- दलबदल से राजनीति में रुचि नहीं ले रहे आम लोग
डिजिटल डेस्क, पुणे। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बुधवार की सुबहएमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट और एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित 13वीं भारतीय छात्र संसद का उदघाटन किया। यहां अपने संबोधन में जनप्रतिनिधियों के बार बार राजनीतिक पार्टी बदलने के मुद्दे पर सलाह दी कि उन्हें अपने संबंधित राजनीतिक दलों के प्रति वफादार रहना चाहिए। यदि जनप्रतिनिधि ऐसे ही बार बार अपनी पार्टियां बदलते रहें तो नागरिकों की राजनीति में रूचि खत्म हो जाएगी और यह लोकतंत्र के लिए बुरी बात होगी। विपक्षी दलों के मुद्दे पर उन्होंने कहा, राजनीति में विरोधियों को विरोध करना चाहिए और सरकार को गलत काम करने से रोकना चाहिए। हालांकि उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे सरकार के दुश्मन नहीं है और उन्हें विधायिका को काम करने देना चाहिए।
इस समारोह में उपस्थित अतिथियों ने लोकतंत्र की घंटी बजाकर 13वीं भारतीय छात्र संसद का आगाज किया। इस मौके पर व्यावसायिक सलाहकार और लेखक राम चरण के साथ ही कर्नाटक विधान परिषद के अध्यक्ष बसवराज होराट्टी, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष यूटी खादर फरीद और मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई। एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कार्याध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, कुलपति डॉ. आर. एम. चिटणीस, डॉ. सुधाकर माया परिमल, डॉ. के. गिरीसन भी मंच पर उपस्थित थे।
इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के हाथों राहुल कराड का विशेष सम्मान कर नवाजा गया। वेंकैया नायडू ने मराठी में उपस्थिति का अभिवादन करते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई और कहा, जनप्रतिनिधियों को लोगों के लिए आदर्श होना चाहिए। उन्हें संसद की कार्यवाही बाधित नहीं करनी चाहिए। सकारात्मक मानसिकता रखते हुए अपने मतदाताओं से संबंधित मुद्दों पर चर्चा, बहस और निर्णय होना चाहिए। विरोधी विरोध कर सकत हैं और सरकार को जवाबदेह ठहरा सकते है, लेकिन उन्हें यह काम लोकतांत्रिक तरीके से करना चाहिए। आम नागरिकों के हितों की रक्षा हम सभी को मिलकर करनी चाहिए। आज के माहौल मे मुझे लगता है कि डिस्कस, डिबेट और डिसाइट करना चाहिए न कि डिस्ट्रक्ट करना चाहिए।
प्रमुख अतिथि लेखक राम चरण ने कहा, एक नेता ही राष्ट्र का निर्माण कर सकता है, लेकिन नेतृत्व में फर्क पड सकता है। दुनिया में अपनी पहचान बनाने की चाहत रखने वाले छात्रों को नए विचारों की तलाश करनी चाहिए। समस्यांए ढूंढनी चाहिए और उनका समाधान करना चाहिए। भारत के पास रॉ प्रतिभा रखने का एक अनूठा लाभ है और हममें से प्रत्येक को नेतृत्व को अपने जुनून के रूप में चुनना चाहिए।
डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, संपूर्ण ब्रह्मांड आपकी बुद्धि और चेतना की अभिव्यक्ति है। छात्रों को भारतीय संस्कृति के महत्व को समझना और समझाना चाहिए। भारतीय संस्कृति के बारे में हजारों वर्षों से जो कहा जाता रहा है, उसे हम सिद्ध कर सकते है। हमें यह भी समझना होगा कि मानवता और सेवा किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि के दो महत्वपूर्ण पहलू है।
राहुल कराड ने कहा, मीडिया और सार्वजनिक जीवन में यह धारणा है कि राजनेता भ्रष्ट होते हैं, लेकिन हमें शिक्षित युवाओं को सार्वजनिक जीवन में लाकर अपने लोकतंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। हमारे विधायकों को ऐसे मंच विकसित करने चाहिए जहां युवा छात्रों को नेतृत्व स्कूलों के माध्यम से अनुभव मिले। नागरिक समाज को राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। हमें राजनीति के आध्यात्मिकरण के बारे में भी बोलना चाहिए और विधानसभाओं में इस संबंध में एक पाठ्यक्रम रखना चाहिए। डॉ. आर.एम.चिटणीस ने स्वागत पर भाषण दिया। इस मौके कर छात्र नेता शुभम चौहान और भाविक गोंडलिया ने प्रेरणादायक भाषण दिये। डॉ. गौतम बापट ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन और एमआईटी एसओजी के निदेशक डॉ. के. गिरीसन ने आभार ज्ञापन दिया।