शिर्डी का शिविर: डॉ कोल्हे ने कहा- रामायण युग में सीता माता, कलयुग में पार्टी और चुनाव चिन्ह का हो रहा अपहरण

  • राष्ट्रवादी कांग्रेस का शिविर
  • सांसद डॉ अमोल कोल्हे की टिपण्णी
  • कलयुग में पार्टी और चुनाव चिन्ह का हो रहा अपहरण

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-04 13:04 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के शिर्डी में चल रहे शिविर में कल वरिष्ठ नेता जितेंद्र आव्हाड ने भगवान् श्रीराम को लेकर विवादित बयान देने के बाद पुणे के शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र के सांसद डॉ अमोल कोल्हे ने रामायण का दाखिला देते हुए शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस के विभाजन पर टिप्पणी की है। रामायण में सीतामाई का अपहरण हुआ था, कलियुग में राजनितिक पार्टियों और उनके चुनाव चिन्हों का अपहरण हो रहा है। न केवल पार्टी और प्रतीक बल्कि महाराष्ट्र की पहचान का भी अपहरण कर लिया गया है। इस प्रकार से सांसद अमोल कोल्हे ने रामायण का उदाहरण देकर भाजपा और एकनाथ शिंदे-अजित पवार गुटों की अपनी शैली में आलोचना की।

सांसद ने कहा, इस समय देश में राम मंदिर की चर्चा है। इसे लेकर कई लोग बयानबाजी कर रहे हैं। कुछ राजनीतिक दल कहते हैं कि यह हमारा एकाधिकार है। मैं उनसे सच्चे दिल से कहना चाहता हूं कि भगवान श्री रामचन्द्र आपके जितने ही हमारे हैं। हम भी चार कंधों पर रखकर 'जय राम श्री राम, जय जय राम' कहते हैं, लेकिन हमारे मंदिर में श्री रामचन्द्र के हाथों में कोई ताना हुआ धनुष-बाण नहीं हैं। तो यह कुटुमवत्सल प्रभु श्री रामचन्द्र हैं, जिनके हाथ ऊपर उठे हुए हैं और आशीर्वाद दे रहे हैं और उनके साथ माता सीतामाई, भाई लक्ष्मण और हनुमान भी हैं। राम मंदिर के बारे में बात करते हुए, अमोल कोल्हे ने कहा, “ग्रामीण इलाकों में, यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति से मिलता है, तो राम राम कहता है। राम-राम कहने से व्यक्ति जुड़ जाता है। हम ऐसा देश चाहते हैं जो मानव-मानव को राम-राम के रूप में जोड़े।

जब हमें भगवान श्री राम के बारे में पढ़ाया जाता है तो उन्हें एकपत्नी, एकवचनी, एकबाणी कहा जाता है। तीसरे मुद्दे पर मैं सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं बोलूंगा। मगर एकबानी और एकवचन के सिद्धांतों के बारे में जरूर बात करना चाहूंगा। प्रभु श्रीराम ऐसे लोगों को कैसे स्वीकार करेंगे जो चुनाव से पहले वादे करते हैं और फिर यह कहकर टाल देते हैं कि वह तो केवल 'चुनावी जुमला' था? इन शब्दों में भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, हमारे भगवान श्री राम लंका गए और सीतामाई को बचाया, भगवान श्रीराम महिलाओं की रक्षा करनेवाले थे। मगर आज हमारी महिला पहलवानों के साथ क्या हुआ, सारे देश ने देखा। अगर महिला पहलवानों को कुश्ती से राम राम कहकर नाता तोडना पड़ रहा है और सत्ता में बैठे लोग महिलाओं का शोषण करने वालों को आश्रय दे रहे हैं, तो वे प्रभु श्री राम चंद्र को कैसे प्राप्त करेंगे?” यह सवाल भी अमोल कोल्हे ने उठाया।

इस अवसर पर सांसद अमोल कोल्हे ने अपने भाषण में नारायणगांव में अपने परिचित एक सज्जन से हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा, जब सीतामाई का हरण हुआ, तब कंचनमृग था जिसके पीछे भागते समय सीतामाई का अपहरण हो गया। अब कंचनमृग का स्वरूप बदल गया है। कंचनमृग ने सुनहरी खाल नहीं बल्कि 50 खोखों की जैकेट पहनी हुई है और जैसे हिरण के पेट में कस्तूरी होती है, वैसे ही नए कंचनमृग के पास ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग से बचने की कस्तूरी है। इस पर मैंने नारायणगांव के परिचित को बताया कि रामायण में सीतामाई का अपहरण हुआ था, कलियुग में राजनितिक पार्टियों और चुनाव चिन्हों का अपहरण हो रहा है। मैंने उनसे कहा, न केवल पार्टी और प्रतीक बल्कि महाराष्ट्र की पहचान का भी अपहरण कर लिया गया है, इन शब्दों में डॉ अमोल कोल्हे ने मौजूदा सियासी माहौल पर टिप्पणी की।

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