बन रही बिजली: वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट से प्रतिदिन 12 मेगावाट बिजली का उत्पादन
जल्द ही होगा 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन
डिजिटल डेस्क, पुणे। पिंपरी चिंचवड़ मनपा की ओर से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 700 टन प्रतिदिन क्षमता वाले प्लांट से 12 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है और अगले कुछ दिनों में इस प्रोजेक्ट को पूरी क्षमता के साथ क्रियान्वित किया जाएगा। मनपा के प्रशासक एवं आयुक्त शेखर सिंह ने बताया कि इस प्लांट से जल्द ही 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जायेगा। कूड़े का वैज्ञानिक निस्तारण के साथ-साथ पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान भी इस परियोजना के माध्यम से उद्देश्य साध्य किया जा रहा है और मनपा के खर्चों में बचत की जा रही है, यह दावा भी उन्होंने किया।
पिंपरी चिंचवड़ शहर में रोजाना करीब 150 मीट्रिक टन का उत्पादन होता है। कचरे को मोशी में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र में संसाधित किया जाता है। इसमें से 700 मीट्रिक टन कचरे से 14 मेगावाट बिजली पैदा करना अपशिष्ट से ऊर्जा बनाना है। इस परियोजना का लक्ष्य कचरे से बिजली पैदा करना है। यह परियोजना डीबीओटी आधार पर सार्वजनिक निजी भागीदारी से 21 वर्षों तक विकसित किया गया अवधि तक चलाया जाना है। इस परियोजना का निर्माण ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विनियम 2016 के अनुपालन में किया जा रहा है। कार्बन उत्सर्जन की निगरानी के लिए कार्बन उत्सर्जन की ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रोजेक्ट से सालाना 7 लाख टन कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाना है।
वेस्ट टू एनर्जी यानि अपशिष्ट-से-बिजली संयंत्र चलाने के लिए लगभग 2 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है और बाकी बिजली ओपन एक्सेस के जरिये मनपा के जल उपचार संयंत्र और सीवेज उपचार संयंत्रों के लिए उपयोग किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट शहर में एकत्रित होने वाले अपशिष्ट के गुणधर्मों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है और इसमें कचरे के पूर्ण क्षमता से ज्वलन के लिए मूविंग ग्रेट का इस्तेमाल किया जा रहा है। परियोजना के बारे में आयुक्त शेखर सिंह ने कहा, परियोजना से कचरे का न केवल वैज्ञानिक ढंग से निपटान किया जा रहा है बल्कि इससे मनपा के बिजली बिल में भी काफी बचत हो रही है। यह प्रोजेक्ट भारत सरकार की ग्रीन ओपन एक्सेस नीति के अनुरूप भी है। शहर के लिए नवीन मामलों में नगर निगम इसे आगे बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प है।
अपशिष्ट से विद्युत परियोजना के लिए चिखली सीवेज उपचार संयंत्र में पीने के पानी में 5 एमएलडी उपचारित पानी का उपयोग किया जाता है, उसकी भी बचत हो रही है। मनपा का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट क्रियान्वित हो चुका है और इसी का परिणाम है कचरा डंपिंग के लिए अधिक जगह की आवश्यकता नहीं है। मनपा बिजली बिल पर होने वाले खर्च में भी बचत हो रही है। ग्रिड सिंक्रोनाइजेशन के साथ बिजली उत्पादन संयंत्र की मदद से 17 अक्टूबर तककुल 22.88 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया है। महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण यानि महावितरण कंपनी ने 6 अक्टूबर को प्रोजेक्ट को प्लांट कमीशनिंग सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया है।