Panna News: खरीदी केन्द्र निर्धारण में नहीं रखा गया नियमों का ध्यान, दूरी अधिक होने से किसान होंगे परेशान
- खरीदी केन्द्र निर्धारण में नहीं रखा गया नियमों का ध्यान
- दूरी अधिक होने से किसान होंगे परेशान
Panna News: भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है तथा कृषक अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसी कारण शासन-प्रशासन भी किसानों के हितों का संरक्षण एवं संवद्र्धन करने का वादा करती हैं तथा इस विचार के साथ योजनाओं का निर्धारण एवं क्रियान्वयन करती हैं कि किसानों की आय दुगनी कर उसे फायदे का सौदा बनाया जाएगा। इसी कारण केंद्र सरकार और राज्य सरकार किसानों की सुविधा के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन करती हैं इसी में एक योजना समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल का एक-एक दाना खरीदने की बात करती हैं केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से ऊपर राज्य सरकारें अतिरिक्त बोनस देकर किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने का प्रयास करती हैं जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके। विगत दिवस कलेक्टर कार्यालय खाद्य शाखा से जारी हुई सूची में खरीफ फसल हेतु 43 उपार्जन केंद्रों का निर्धारण किया गया है। शासन की गाइडलाइन के अनुसार किसानों की पंजीकृत संख्या एवं दूरी को आधार बनाकर खरीदी केंद्र का निर्धारण किया जाता है।
जिसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि छोटे व मध्यमवर्गीय किसानों को अपनी फसल विक्रय लाने ले जाने में किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो तथा किसान आसानी से निर्धारित विक्रय केंद्रो पर अपनी फसल का विक्रय कर सकें यदि किसान की उपज का विक्रय उसी दिन किसी कारणवश नहीं हो पाता है तो उपार्जन केंद्रों पर किसानों के लिए सभी प्रकार की व्यवस्थाएं शासन के द्वारा की जाती हैं जिसमें खरीदी केंद्रों द्वारा किसानों की व्यवस्था हेतु काफी बडी राशि का व्यय भी किया जाता है। जिसमें पीने के पानी से लेकर रूकने तक की व्यवस्थाएं शामिल हैं परंतु जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिमरिया तहसील के अंतर्गत खुलने वाले खरीदी केंद्रों का मामला इससे उलट है वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए खरीदी हेतु बनाए गए कई केंद्रों का निर्धारण निर्धारित मापदंडों के अनुसार नहीं किया गया है। तहसील अंतर्गत आने वाली कई समितियोंं के पास ना तो खरीदी हेतु योग्य कर्मचारी उपलब्ध है ना ही पर्याप्त परिसर भी उपलब्ध है ना ही वह खरीदी हेतु मानकों को पूर्ण करती है खाद्य अधिकारियों के द्वारा मनमाने तरीके से ऐसे ही केंद्रों का निर्धारण किया गया है साथ ही किसानों के परिवहन का भी ध्यान नहीं रखा गया है सामान्य किसान किस तरह से अपनी फसल का विक्रय उपार्जन केंद्रों पर करेगा इसका भी ध्यान नहीं रखा गया है विभाग द्वारा उपार्जन केंद्रों की जो सूची जारी की गई है उस सूची को देखकर क्षेत्रीय कृषकों द्वारा ऐसे आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं कि खाद्य विभाग में पदस्थ अधिकारियों के द्वारा अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से उपार्जन केंद्रों का निर्धारण किया गया है क्योंकि जब शासन के पास स्वयं की वेयरहाउस एवं लाखों रुपए की लागत से तैयार कराई गए पैक्स गोदाम एवं मंडी परिसर जो हमेशा खाली पड़े रहते है वहां पर खरीदी केंद्रों का निर्धारण ना करके प्राइवेट वेयरहाउसों को खरीदी हेतु अधिकृत किया गया है।
ऐसा ही मामला प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति कुंवरपुर का है जहां समिति को उपार्जन हेतु अधिकृत कर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति रैयासांटा के प्रांगण में खरीदी करने हेतु अधिकृत किया गया है एवं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति सिंगवारा को खरीदी उपार्जन हेतु आयुषी वेयरहाउस में अधिकृत किया गया है जबकि कुंवरपुर समिति से रैयासांटा समिति प्रांगण की दूरी लगभग 25 से 30 किलोमीटर होगी वहीं सिंगवारा समिति से रैयासांटा की दूरी मुश्किल से 5 से 6 किलोमीटर होगी। वहीं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति सिमरिया को शिव वेयरहाउस दनवारा मोड उपार्जन कार्य हेतु अधिकृत किया गया है जबकि सिमरिया समिति मुख्यालय से लगभग ०1 किलोमीटर की दूरी पर बुंदेलखंड पैकेज द्वारा निर्मित सिमरिया समिति का स्वयं का पैक्स गोदाम है एवं इस परिसर में कृषि उपज मंडी है जो हमेशा खाली पड़ी रहती है फिर भी प्रशासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा वेयरहाउस स्तरीय खरीदी के नाम पर शासन को लाखों रुपए का अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार खरीदी केंद्र सिमरिया के प्रबंधक के पास तीन-तीन समितियोंं का प्रभार है एवं उपरोक्त तीनों समितियोंं को उपार्जन हेतु शासन द्वारा अधिकृत किया गया है उन समितियां में पदस्थ अधिकांश कर्मचारियों को कलेक्टर खाद्य शाखा द्वारा पूर्व में लापरवाही एवं अन्य वित्तीय अनियमितताओं के कारण खरीदी कार्य से पृथक किया गया था है अब उपार्जन केन्द्रों में खरीदी की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंपे जाने की तैयारी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा गुपचुप तरीके से की जा रही है जिससे यह स्पष्ट होता है कि उपार्जन केंद्रों में संलग्न वेयरहाउस कॉरपोरेशन से लेकर नागरिक आपूर्ति निगम, खादय विभाग सहकारिता विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया जा रहा है।
अब प्रशासन को चाहिए कि उपरोक्त संपूर्ण तथ्यों की बिंदुवार जांच कराकर इस मामले का यथाशीघ्र पटाक्षेप करें जिससे इससे लाभान्वित होने वाले कृषकों के साथ-साथ शासन को लगने वाली अतिरिक्त राशि की बोझ से भी निजात मिल सके यह लोगों की समझ से परे है कि सिमरिया मुख्यालय से लगभग ०8 किलोमीटर की दूरी पर समिति सिमरिया एवं सिंगवारा को लगभग एक ही स्थान पर दोनों को उपार्जन केंद्र बनाना लोगों को गले नहीं उतर रहा है यह भी समझ से परे है कि उपार्जन केंद्रों का निर्धारण किन मानकों के आधार पर किया गया है। उक्त खरीदी केंद्रों के निर्धारण पर क्षेत्रवासियों एवं कृषकों का आरोप है कि इस तरह के उपार्जन केंद्रों के निर्धारण से शासन एवं किसानों में से किसी का भी भला होने वाला नहीं है अत: किसानों ने शासन-प्रशासन एवं कलेक्टर से अपेक्षा की है कि खाद्य शाखा से सही रिपोर्ट प्राप्त कर सर्वे कराकर उपार्जन केन्द्रों का निर्धारण सही ढंग से करना सुनिश्चित करें ताकि किसान आसानी से अपनी फसल का परिवहन व विक्रय आसानी से कर सके तथा बिचौलियों के चगुल से मुक्ति मिल सके। शासन-प्रशासन की मंशानुसार समर्थ किसान की अवधारणा सार्थक बन सके तथा सिमरिया सहित संपूर्ण परिक्षेत्र के कृषकों को उनकी फसल का सही-सही मूल्य मिल सके तथा शासन की योजना का क्रियान्वयन सही तरीके से जमीन स्तर पर हो सके।
इनका कहना है
किसान की सुविधा को देखते हुए खरीदी केंद्र बनाए गए हैं बात समिति से दूरी की है तो गांव की दूरी को प्राथमिकता देते हुए खरीदी केन्द्रों का निर्धारण किया जाता है कोशिश की जाती है कि 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर ही खरीदी केंद्र बने।
देवेन्द्र खोबरिया, जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी पन्ना