Panna News: वन विभाग की आपत्ति के चलते अटका खोरा-केरवन तालाब, आजादी के बाद शहर के लिए पहली बृहद जल संरचना का हो रहा था निर्माण

  • वन विभाग की आपत्ति के चलते अटका खोरा-केरवन तालाब
  • आजादी के बाद शहर के लिए पहली बृहद जल संरचना का हो रहा था निर्माण
  • डूब क्षेत्र की राजस्व भूमि को वन भूमि बताने पर खडा हुआ विवाद
  • एसडीएम एवं एसडीओ स्तर पर संयुक्त सीमांकन कर मामले के निपटारे की कवायत

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-11 05:53 GMT

Panna News: करीब 70 प्रतिशत वन क्षेत्र वाले पन्ना जिले में वन-राजस्व सीमा विवाद अक्सर विकास कार्यों के लिए बाधा साबित हुआ है। कुछ ऐसा ही खोरा-केरवन तालाब के साथ होता दिख रहा है। गौरतलब है कि आजादी के बाद पहली बार पन्ना शहर के लिए किसी बृहद तालाब के निर्माण की नींव रखी गई है। इसका काम भी शुरू हुआ लेकिन अब वन विभाग की आपत्तियों के चलते कई महीनों से काम ठप्प पडा है। बताया जाता है कि तालाब के डूब क्षेत्र में आने वाली भूमि वन भूमि है। ऐसे में वन विभाग ने इस पर आपत्ति उठाई है। वन विभाग की आपत्ति के चलते ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। वन विभाग की मानें तो तालाब निर्माण से काफी वन भूमि डूब जायेगी ऐसे में भूमि के संबंध में वरिष्ट अधिकारियों की अनुमति जरूरी है। वहीं जल संसाधन विभाग का कहना है कि जिस भूमि को वन विभाग अपना बता रहा है वास्तव में वह राजस्व भूमि हैं। साफ तौर पर यह मामला वन राजस्व सीमा विवाद का है। ऐसे में इसका जल्द निपटरा बेहद जरूरी है।

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अन्यथा पन्ना शहर में पानी को लेकर इस बार बडा संकट गहरा सकता है। विदित हो कि तालाबों और झीलों की नगरी कहे जाने वाले पन्ना शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए स्टेट टाइम से व्यापक प्रबंधन किए गए थे। पन्ना के राजाओं ने शहर में एक के बाद एक बृहद जल संरचनाओं का निर्माण कराया जिसके चलते पन्ना के लोगों को आजादी के 7 दशक बाद भी पानी की कमी महसूस नहीं हुई। शहर के तीन बडे तालाब लोकपाल सागर, धरमसागर एवं निरपत सागर से पूरे शहर में पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती रही। इन प्रमुख तालाबों के अलावा शहर में कई अन्य तालाब व तलैयां है जहां लोगों को दैनिक उपयोग का पानी उपलब्ध था लेकिन समय के साथ शहर की बढती आबादी के चलते पानी की किल्लत देखने को मिल रही थी। जिसके बाद शहरवासियों के लिए 7.56 करोड की लागत से बृहद खोरा-केरवन तालाब को स्वीकृति मिली। पूर्व मंत्री एवं पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह के प्रयासों के चलते तालाबा का निर्माण कार्य भी प्रारंभ हो गया। इस तालाब के माध्यम से शहर के निरपत सागर तालाब को सीधे जोडा जायेगा। निरपत सागर तालाब खाली होने पर खोरा तालाब से इसे पुन: भरा जायेगा जिससे शहर में बिना व्यवधान जल आपूर्ति की जा सके। वन विभाग की आपत्तियों के चलते अब इस तालाब पर भी ग्रहण लगता दिख रहा है।

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बढते शहर के लिए बेहद जरूरी है खोरा-केरवन तालाब

पन्ना शहर का दायरा बढ गया है। 22 वार्ड वाले शहर में 6 अतिरिक्त वार्ड जोडे गए हैं जहां पेयजल की आपूर्ति कराना नगर पालिका की जिम्मेदारी है। शहर में अमृत 2.0 योजना के तहत पाइप लाइन बिछाने का काम भी चल रहा है लेकिन शहर में अब इतना पानी नहीं हैं कि पूरे शहर की प्यास बुझाई जा सके। गौरतलब है कि एक दौर में बेहद पन्ना सम्पन्न रियासतों में शुमार थी। पहले किलकिला नदी के किनारे बसे पन्ना शहर का विस्तार किया गया और शहर के चारों ओर तालाबों का निर्माण स्टेट टाइम में ही कराया गया। पन्ना शहर में लोकपाल सागर, धरमसागर एवं निरपत सागर तालाब निर्माण हुआ। इसके अलावा बेनीसागर तालाब, कमला बाई ताल, दहलान ताल, सिंध सागर तालाब सहित कई अन्य तलैयां पन्ना शहर में हैं। पन्ना के राजाओं का जल प्रबंधन आज भी शोध का विषय है। पन्ना में बनी प्राचीन बावडी और 56 विशाल कुआं को तालाबों के साथ जोडकर पन्ना शहर के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था की गई थी जो आज 100 साल बाद भी लोगों की प्यास बुझा रही है लेकिन शहर के लिए यह नाकाफी है। ऐसे खोरा-केरवन तालाब का निर्माण बेहद जरूरी है। जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में आगे आकर सार्थक पहले करने की जरूरत है।

इनका कहना है

खोरा तालाब के डूब क्षेत्र में वन विभाग की भूमि आ रही है। इसका निपटारा वरिष्ट अधिकारी स्तर पर किया जाना हैं।

अभिषेक दुबे, वन परिक्षेत्राधिकारी उत्तर वन मंडल पन्ना

खोरा-केरवन तालाब 7.56 करोड रूपये की लागत में स्वीकृति किया गया था तालाब का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो वन विभाग ने आपत्ति जताई है। वन विभाग राजस्व भूमि को वन भूमि बता रहा है। एसडीएम स्तर पर इसके शीघ्र निपटारे का प्रयास किया जा रहा है। हम पुन: जल्द काम शुरू करेंगे और इस वर्ष खोरा.केरवन तालाब को भरने का प्रयास किया जायेगा।

सतीश शर्मा, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग संभाग पन्ना 

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