पन्न: सहकारी समिति के सेल्समैन तथा कम्प्यूटर आपरेटर के विरूद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्जन
- सहकारी समिति के सेल्समैन तथा कम्प्यूटर आपरेटर के विरूद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्ज
- समर्थन मूल्य के उपार्जन पंजीयन में फर्जीवाड़े का मामला
डिजिटल डेस्क, पन्ना। समर्थन मूल्य पर उपार्जन हेतु किसान पंजीयन के कार्य में धोखाधड़ी करने के बहुचर्चित मामलेे में पन्ना कोतवाली पुलिस द्वारा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति ककरहटी के तत्कालीन विक्रेता लक्ष्मीकांत त्रिपाठी एवं कम्प्यूटर आपरेटर मनोज विश्वकर्मा के विरूद्ध मामला दर्ज कर लिया गया है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति ककरहटी में वर्ष २०२२-२३ उपार्जन सूची में गड़बडिय़ां की गई थी। जांच रिपोर्ट में विक्रेता लक्ष्मीकांत त्रिपाठी एवं आपरेटर मनोज विश्वकर्मा द्वारा मिलकर स्वयं के नाम तथा अन्य कृषकों की भूमि का रकवा जोडक़र एवं परिवार के सदस्यों के नाम के आधार जोडक़र व्यापक पैमाने पर फर्जी उपार्जन कार्य किया गया था। जिसकी शिकायत पर जांच कार्यवाही हुई किन्तु मामलें में एफआईआर नही होने से को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे थे जिसके बाद अंतत: पूरे मामले की रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर उपअंकेक्षक प्रशासक कृषि साख सहकारी समिति प्रदीप कुमार अहिरवार द्वारा आवेदन पत्र आरोपियों के विरूद्ध पन्ना कोतवाली में प्रस्तुत किया गया। जिस पर विके्रता तथा आपरेटर के विरूद्ध आईपीसी की धारा ४२० के तहत प्रथम दृष्टया अपराध घटित पाए जाने पर मामला कोतवाली पन्ना पंजीबद्ध कर जांच विवेचना में लिया गया है।
दर्ज हुए मामले के अनुसार कार्यालय सहायक आयुक्त सहकारिता जिला पन्ना के पत्र दिनाँक 04 जनवरी २०२४ को पत्रानुसार लक्ष्मीकांत त्रिपाठी तत्कालीन विक्रेता प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति मर्यादित ककरहटी द्वारा स्वयं के नाम पर अन्य कृषकों के पंजीयन कराये जाने के संबंध मे प्राप्त शिकायत की जाँच कार्यालय सहायक आयुक्त सहकारिता जिला पन्ना द्वारा कार्यालय मे पदस्थ के.पी. सिंह उप-अंकेक्षक से करायी गयी। जांच अधिकारी श्री सिंह द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन अनुसार लक्ष्मीकांत त्रिपाठी द्वारा स्वंय के नाम पर अन्य कृषको की भूमि का रकवा जोडकर एवं परिवार के सदस्यों के नाम स्वयं के आधार पर जोडकर व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा से पंजीयन कार्य किया जाना प्रमाणित पाया गया है एवं लक्ष्मीकांत त्रिपाठी विकेता एवं पूर्व आंपरेटर मनोज विश्वकर्मा को वर्ष 2022-23 में उपार्जन कार्य मे व्यापक पैमाने पर अनियमिताओ के लिये दोषी ठहराया गया है। लक्ष्मीकांत त्रिपाठी द्वारा शासन की नीति का सुनियोजित तरीके से दुरुपयोग कर स्वंय को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से फर्जी तरीके से उपार्जन कार्य किया गया है जिसमे कम्प्यूटर आँपरेटर मनोज विश्वकर्मा की कार्य मे प्रतिवेदन अनुसार संलिप्तता होना पायी गयी।