61 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन महिला अस्पताल दो बार बाढ़ में डूबा

भंडारा 61 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन महिला अस्पताल दो बार बाढ़ में डूबा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-19 13:39 GMT
61 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन महिला अस्पताल दो बार बाढ़ में डूबा

डिजिटल डेस्क, भंडारा, सागर भांडारकर| लगभग 61 करोड़ की लागत से जिला मुख्यालय में बनाए जा रहे महिला अस्पताल में गत दो वर्षों में दो बार वैनगंगा नदी की बाढ़ का समा चुका है। डूबित क्षेत्र में बनाए जा रहे इस अस्पताल में वर्ष 2020 में आयी बाढ़ में 15 फीट तथा 16 अगस्त 2022 को आयी बाढ़ में दस फीट पानी भर गया था। महिलाओं को जिले में ही स्तरीय स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए बनाया जा रहा अस्पताल बाढ़ की समस्या से घिर चुआ है। अब बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में करोड़ों रुपयों की लागत से अस्पताल बनाने की मंजूरी कैसे दी गई, यह सवाल उठने लगे हैं। जिला अस्पताल के पास वाली बीटीबी सब्जी मंडी से सटे खाली जगह पर 24 अगस्त 2019 को तत्कालीन पालकमंत्री विधायक डा. परिणय फुके ने महिला अस्पताल का भूमिपूजन किया था। वर्तमान में जिला सामान्य अस्पताल में महिला मरीजों को सेवा लेनी पड़ती है। अल्प संसाधनों के चलते कई बार महिलाओं को स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। इसे देखते हुए 61 करोड़ की लागत से जिला मुख्यालय में महिला अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया। लंबे खिंचतान के बाद बीटीबी सब्जी मंडी के पास जगह तय की गई। 61 करोड़ रुपयों की लागत से बन रही इमारत का निर्माण दो चरणों में किया जा रहा है। अस्पताल का संपूर्ण कामकाज हरित व सोलर ऊर्जा पर होने वाला है। 

दो वर्षों में अस्पताल का निर्माण कार्य पूर्ण होने की बात कही गई थी। वर्ष 2020 में अगस्त माह में वैनगंगा नदी को बाढ़ आयी तो नदी पानी ने ग्रामसेवक कॉलोनी, बीटीबी सब्जी मंडी तथा महिला अस्पताल को डूबो दिया। दो वर्ष बाद फिर बाढ़ आयी और निर्माणाधिन महिला अस्पताल 16 व 17 अगस्त को दो दिन तक दस फीट पानी में डूबा रहा। ऐसे में सभी सुविधायुक्त अस्पताल का निर्माण डूबित क्षेत्र में क्यूं किया जा रहा है? यह सवाल सामने आ रहा है। अस्पताल बनकर तैयार हुआ और प्रत्येक वर्ष इसी तरह बाढ़ का पानी अस्पताल में समाया तो भविष्य में सैकड़ों मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है। साथ ही करोड़ों रुपयों की मशिनें, उपकरणों की बर्बादी होगी। ऐसे में डूबित क्षेत्र में महिला अस्पताल का निर्माण करने के फैसले को लेकर अभी से सवाल उठने लगे हैं। वैकल्पिक सुरक्षित जगह पर महिला अस्पताल बनाने की मांग होने लगी है। 

सुरक्षित स्थान पर बनाया जा सकता था अस्पताल 

^अस्पताल जहां बन रहा है वहां वर्ष 1994 में बाढ़ आयी है। वर्ष 2015, 2006 को भी बाढ़ आयी है। अब गोसीखुर्द प्रकल्प बनकर तैयार हुआ तो गत दो वर्षों में 2019 तथा 2022 में दो बार बाढ़ आ चुकी है। बाढ़ का पानी महिला अस्पताल में पंद्रह फीट तक भर गया था। ऐसे में महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर करोड़ों रुपयों की बर्बादी हो रही है। महिला मरीजों के लिए सुरक्षित स्थान पर अस्पताल बनाया जा सकता था। 
-भानु बनकर,नागरिक, ग्रामसेवक कॉलोनी, भंडारा

निर्माण के समय नहीं रखी दूरदृष्टि  

चरण वाघमारे, संस्थापक विकास फाउंडेशन तथा पूर्व विधायक के मुताबिक महिलाओं सेवा देने का उद्देश्य था तो डूबित क्षेत्र में अस्पताल बनाने को मंजूरी नहीं देनी चाहिए थी। भविष्य का विचार करते हुए जगह का चयन करना जरूरी था। बाढ़ से अस्पताल डूबकर मरीजों व संसाधनों की असुरक्षा का खतरा हमेशा बना रहेगा।

पर्यायी जगह उपलब्ध करवायी जाए

विकास मदनकर,सामाजिक कार्यकर्ता के मुताबिक महिला अस्पताल यह संवेदनशील विषय होते हुए भी डूबित क्षेत्र की भूमि का चयन किया गया। यह पूरी तरह शासन के करोड़ों रुपयों की बर्बादी है। शासन वैकल्पिक सुरक्षित जगह उपलब्ध कराए। 

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