माँ को मुखाग्नि देते वक्त बेटे के भी निकले प्राण
माँ को मुखाग्नि देते वक्त बेटे के भी निकले प्राण
डिजिटल डेस्क जबलपुर। कोरोना का कहर किसी से नहीं िछपा है, अस्पतालों में बेड और संसाधनों की कमी के बीच हजारों ऐसे भी लोग हैं जो दूसरी बीमारियों से ग्रसित हैं और उन्हें इलाज नहीं िमल पा रहा। रविवार को इसी वजह से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई और माँ को मुखाग्नि देते समय उसके बेटे ने भी दम तोड़ दिया। माँ के बाद भाई की मौत होने से उसकी बहन पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा और अब वो दुनिया में अकेली रह गई है।
इस घटना ने प्रशासनिक तंत्र के बड़े-बड़े दावों की भी पोल खोलकर रख दी। मोहल्ले में मातम छाया हुआ है, लेकिन सुखद पहलू ये भी है िक बेसहारा युवती की मदद के लिए पूरा मोहल्ला परिवार की तरह मदद कर रहा है। जानकारी के अनुसार रांझी के बड़ा पत्थर सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल के पास रहने वाले कालीचरण िवश्वकर्मा 48 वर्ष की 70 वर्षीय माँ पुनिया बाई विगत एक साल से रीढ़ की हड्डी टूटने के कारण घर पर ही रहती थीं। कालीचरण और उसकी बहन सुनीता उम्र 40 वर्ष दोनों माँ की देखरेख करते थे। कुछ िदन से पुनिया बाई की तबियत अचानक तेजी से खराब हो रही थी, िजसके कारण कालीचरण ने कई बार उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का प्रयास किया, लेकिन कोरोना के चलते हर बार उन्हें वापस घर भेज िदया जाता था। माँ की िबगड़ती तबियत के कारण कालीचरण भी चार-पाँच िदन से बीमार था। रविवार की सुबह 4 बजे पुनिया बाई का िनधन हो गया, कालीचरण ने अपने पड़ोसी भाजपा नेता वेदप्रकाश अहिरवार को इस बात की जानकारी दी और िफर मोहल्ले वाले एकत्रित हुए और अंतिम संस्कार की तैयारियाँ शुरू हुईं।
प्रशासनिक अधिकारियों ने खड़े किए हाथ
वेदप्रकाश अहिरवार के अनुसार कालीचरण की हालत देखकर उन्होंने प्रशासन द्वारा जारी की गई मदद लिस्ट से रांझी क्षेत्र के तहसीलदार से संपर्क किया, तहसीलदार ने उन्हें एक महिला डॉक्टर का नंबर दे दिया। वेदप्रकाश के मुताबिक दो से तीन घंटे बीत जाने के बाद तहसीलदार और डॉक्टर दोनों ने किसी भी मदद करने से इनकार कर दिया। इसी बीच वेदप्रकाश ने क्षेत्रीय िवधायक अशोक रोहाणी से मदद माँगी और िफर श्री रोहाणी ने एम्बुलेंस भिजवाई, लेकिन परेशान कालीचरण ने माँ का अंतिम संस्कार पूरा करने के लिए कहा। जैसे-तैसे पुनिया बाई का शव अंतिम संस्कार के लिए रांझी मुक्तिधाम ले जाया गया, लेकिन मुखाग्नि देते समय अचानक कालीचरण जमीन पर िगर गया और जब उसे चैक किया गया तो पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है।
मातम के बीच सहारा बने मोहल्ले वाले-
माँ और भाई की मौत के बाद घर पर अकेली बची सुनीता गहरे सदमे में है। पूरा मोहल्ला गमगीन है, लेकिन सुनीता की देखरेख के लिए मोहल्ले के सभी लोग एकजुट होकर मदद कर रहे हैं।