एमपी में बिकने आ रही थी यूपी की धान, 20 ट्रक एसडीएम ने जब्त किए

एमपी में बिकने आ रही थी यूपी की धान, 20 ट्रक एसडीएम ने जब्त किए

Bhaskar Hindi
Update: 2020-11-30 16:29 GMT
एमपी में बिकने आ रही थी यूपी की धान, 20 ट्रक एसडीएम ने जब्त किए


डिजिटल डेस्क बालाघाट। जिले में 16 नवंबर से समर्थन मूल्य पर उपार्जन का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, जो आगामी 16 जनवरी तक चलेगा। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान अन्य राज्यों से जिले में धान की आवक बढ़ गई है और रोजाना ही धान से भरे दर्जनों ट्रक बालाघाट पहुँच रहे हैं। ऐसे ही जिले की कंजई सीमा से बालाघाट में यूपी से धान लेकर आ रहे 20 से 22 ट्रकों को संदेह के आधार पर वारासिवनी एसडीएम संदीप सिंह और लालबर्रा तहसीलदार इंद्रसेन तुमराली द्वारा कंजई बॉर्डर में रोका गया है, जिनके दस्तावेज की जांच की जा रही है। प्रशासनिक अमले द्वारा की गई गई प्रारंभिक पूछताछ में ट्रक चालकों ने बताया कि यूपी से धान लेकर आ रहे ट्रक वारासिवनी, बालाघाट और गोंदिया जा रहे थे। जिसमें बड़ी मात्रा में धान भरी है।
आशंका जताई जा रही है कि मंडी व्यापारी, मिलर्स और अन्य व्यापारी, यूपी से सस्ती धान को मंगाकर अपने नेटवर्क का इस्तेमाल कर बालाघाट में उक्त धान को छोटे-छोटे किसानों के माध्यम से समर्थन मूल्य में खपाने बुला रहे है, ताकि आम के आम और गुठलियों के दाम की तरह लाभ अर्जित कर सकें।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कंजई नाका में यूपी से धान से भरे ट्रक क्रमांक यूपी 95 टी-3223, यूपी 78 डीएन-3404 और यूपी 78 डीटी 6041 के अलावा अन्य ट्रक को रोककर कंजई-उगली मार्ग पर खड़ा करवा दिया गया है, जिसकी जांच प्रशासनिक अमले द्वारा की जा रही है। बताया जाता है कि चालक से मिली जानकारी और उनके पास मिली बिल्टी के आधार पर प्रशासनिक अमला मौका स्थल पर व्यापारी को बुलाकर उनके द्वारा मंगाए गए धान की पड़ताल कर रहा है यदि धान का परिवहन अवैधानिक होता है तो इसके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।  जानकारों की माने तो उत्तर प्रदेश, बिहार से 1000 क्विंटल के भाव से धान खरीद कर धान उपार्जन में अनुचित लाभ उठाने, व्यापारियों द्वारा बड़ी मात्रा में धान बुलवाया जा रहा है। यदि वाकई में व्यापारी, ऐसा नहीं कर रहा है तो आखिर प्रदेश के सबसे बड़े धान उत्पादक जिले में बाहरी धान की आवश्यकता क्यों? यह सवाल खड़ा हो रहा है। बहरहाल लगातार जिले में बाहरी धान के चलते जिला प्रशासन ने बाहरी धान को जिले में आने से रोकने के लिए जिले की सभी बॉर्डर पर जांच नाका स्थापित कर दिया है। देर ही सही लेकिन प्रशासन जागा है, जिससे उम्मीद की जा सकती है कि बीते वर्षो में धान उपार्जन के दौरान समर्थन मूल्य में नेटवर्क के माध्यम से सस्ती धान बुलाकर सोसायटियों में खपाने वाले धान की संख्या में कमी आएगी। बहरहाल अब देखना है कि इसके बाद बाहरी धान को मंगाकर उसे सांठगांठ से समर्थन मूल्य में बिकवाने वाले व्यापारी, अब कैसे इसे अंजाम देते है और प्रशासन उन्हें कैसे रोक पाता है।
जिले की सीमाओं पर चेक पोस्ट बनाने के निर्देश-
जिले में 16 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान के उपार्जन का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। यह कार्य 16 जनवरी तक चलेगा। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान अन्य राज्यों की धान के जिले में लाकर उसे धान खरीदी केन्द्रों के माध्यम से समथ्र्रन मूल्य पर बिक्री किए जाने की संभावना को देखते हुए कलेक्टर ने जिले के सभी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को निर्देशित किया है कि वे जिले की सीमाओं पर धान के अवैध परिवहन को रोकने के लिए चेक पोस्ट बनायें और उनमें दो-दो कर्मचारी की ड्यूटी 24 घंटे के लिए लगाए। धान उपार्जन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक यह चेक पोस्ट कार्यरत रहेंगें।

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