यूनाईटेड इंश्योरेंस कंपनी वाले लगवा रहे हैं बीमित को चक्कर, महीनो बीत जाने के बाद भी नही किया क्लेम सेटल
पीडि़त का आरोप यूनाईटेड इंश्योरेंस कंपनी वाले लगवा रहे हैं बीमित को चक्कर, महीनो बीत जाने के बाद भी नही किया क्लेम सेटल
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हमारी कंपनी से बीमा करवाएंगे तो लाभ मिलेगा। हमारी कंपनी आपको घर बैठे सारे क्लेमों को सेटल करेंगी। इन दावों के साथ एजेंट व बीमा कंपनी के अधिकारियों ने बीमा पॉलिसी हजारों में बेची। बीमित से प्रति वर्ष पॉलिसी को रिन्यु भी कराया। उसके बाद जब बीमित को जरूर पड़ी तो कंपनी ने हाथ खड़े कर लिए। किसी एक बीमित व्यक्ति के साथ बीमा कंपनियों ने ऐसा नहीं किया बल्कि इनकी संख्या सैकड़ों में है। बीमा कंपनियां लगातार आम जनता के साथ खिलवाड़ कर रही है। जिले के साथ अनेक जिलों से लगातार बीमा कंपनियों की शिकायतें आ रही है और पीडि़त अनेक जगहों पर गुहार लगा चुका है पर आज तक जिम्मेदारों के द्वारा एक्शन नही लिया गया। इंश्योरेंस कंपनी कहती है कि आपके द्वारा दिए गए बिल, चिकित्सक की रिपोर्ट सही नहीं है तो कही शुगर, बीपी की बीमारी के नाम पर पॉलिसी धारको को नो क्लेम का लेटर भेजकर जिम्मेदार चुप्पी साध रहे है।
बीमा से संबंधित समस्या बताएँ इन नंबरों पर-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
आठ साल पुराने पॉलिसी धारक के साथ किया जा रहा धोखा-
सिहोरा मझगवां निवासी मनोज पटैल ने बताया कि उन्होंने यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया हुआ है। पॉलिसी संयुक्त है और प्रीमियम भी प्रतिवर्ष जमा किया जा रहा है। पत्नी श्रीमती संगीता पटैल का अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया था। इलाज के लिए जबलपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के भुगतान के लिए कैशलेस कार्ड दिया गया तो बीमा अधिकारियों ने बिल सम्मेट करने पर सारा भुगतान करने का दावा किया गया था। पत्नी के ठीक होने के बाद सारे बिल चिकित्सक रिपोर्ट बीमा कंपनी में सम्मेट किया गया था।
बीमा कंपनी की टीपीए कंपनी के अधिकारियों के द्वारा उसमें अनेक प्रकार की खामियां निकाली गई। बीमित निजी अस्प्ताल गया और वहां से सारी रिपोर्ट को दोबारा सत्यापित कराया और उसके बाद सारे बिल बीमा कंपनी में सम्मेट किया था। टीपीए के अधिकारियों ने जल्द ही भुगतान करने का दावा तो किया था पर महीनो बीत जाने के बाद भी किसी तरह का सहयोग नही किया। आठ साल पुराने पॉलिसी धारक की फाइल को प्रोसेस में होने का दावा करते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे है। वहीं बीमा कंपनी के प्रतिनिधी का कहना है कि मामले का परीक्षण कराकर टीपीए कंपनी के अधिकारियों से निराकरण करने कहा जाएगा।