फॉरेस्ट की कस्टडी से भाग गए टाइगर की हत्या के तीनों आरोपी

   फॉरेस्ट की कस्टडी से भाग गए टाइगर की हत्या के तीनों आरोपी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-17 07:55 GMT
   फॉरेस्ट की कस्टडी से भाग गए टाइगर की हत्या के तीनों आरोपी

डिजिटल डेस्क, सतना। मझगवां वन परिक्षेत्र के डुडहा नाला में 12 मई की रात करंट लगा कर 3 साल के वयस्क नर टाइगर की हत्या के आरोप में पुलिस की मदद से गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी रज्जन कोल, राजेश उर्ऊ धीरु मवासी और ज्वाला सतनामी (सभी निवासी अमिरती)15 और 16 मई की दरमियानी रात वन विभाग की अभिरक्षा से भाग गए। इस मामले का एक अन्य आरोपी अनिल कोल पहले से ही फरार है। पूछताछ के लिए आरोपियों को चित्रकूट के एसडीओ (फारेस्ट) वीपी तिवारी 16 मई तक के लिए न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी की कोर्ट से रिमांड पर लेकर आए थे। रिमांड की अवधि आज ही खत्म हुई थी। फरार आरोपियों को मझगवां के रेंज ऑफिस में रखा गया था। इसी बीच इस मामले में सीसीएफ अतुल खेरा ने जहां मझगवां के रेंजर एसएन पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है,वहीं वन मंडल अधिकारी राजीव मिश्रा ने 3 वन रक्षकों के खिलाफ भी निलंबन की कार्यावाही की है। इसके अलावा 2 स्थाई  वन कर्मियों को बर्खास्त करने के नोटिस दिए गए हैं। जिन वन रक्षकों को निलंबित किया गया है,उनमें मैथिलीशरण पटेल (चितहरा), रामकृष्ण पांडेय (पटना) और यादवेन्द्र द्विवेदी(भरगवां) शामिल हैं। इसी तरह जिन 2 स्थाई वन कर्मियों को सेवा से पृथक करने का नोटिस दिया गया है,उनमें जंगी प्रसाद वर्मा और महेन्द्र सिंह के नाम हैं। फरार आरोपियों के विरुद्ध मझगवां थाने में अपराध भी दर्ज कराया गया है।

हो गए फरार 

फॉरेस्ट की कस्टडी से तीनों आरोपियों की एक साथ फरारी क्या महज लापरवाही है या फिर ये किसी सुनियोजित साजिश का परिणाम ? सूत्रों के मुताबिक अभिरक्षा के दौरान आरोपियों को मझगवां रेंज आफिस के जिस कांफ्रेंस हाल में रखा गया था,वो किसी भी प्रकार से सुरक्षित नहीं है। इस कक्ष के रोशनदान खुले थे। हाल में बने पक्के मंच पर लकड़ी का बोर्ड भी मौजूद था। माना जा रहा है कि इसी कक्ष में मौजूद फर्नीचर के सहारे एक-एक कर बाघ की हत्या के आरोपी आसानी से रोशन दान तक पहुंचे और फिर बाहर कूद कर भाग गए। रोशनदानों में इतनी जगह है कि इकहरे शरीर का कोई भी शख्स उन रोशनदानों से आसानी से निकल सकता है। फर्श से रोशनदान की ऊचाई बमुश्किल 5 फुट है? जानकार सवाल उठाते हैं कि अगर वन अफसरों की मंशा इन आरोपियों को भगाने में मदद की नहीं थी तो फिर उन्हें ऐसे असुरक्षित कक्ष में क्यों रखा गया? बाघ की हत्या जैसे संगीन आरोपियों को रिमांड में रखने से पूर्व सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध क्यों नहीं किए गए।

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