मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की संख्या बढ़ी, विचरण करते दिखे शावक
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की संख्या बढ़ी, विचरण करते दिखे शावक
डिजिटल डेस्क, अमरावती। मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत इससे पूर्व कई बार बाघों का शिकार तथा अज्ञात कारणों से बाघों के मरने की कई खबरें सुर्खियों में आई हुई है। जिससे यह चिंता का विषय बन चुका है। जबकि इस वर्ष व्याघ्र प्रकल्प से अच्छी खबर यह है कि गत वर्ष की तुलना में इस बार बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने के साथ ही शावक भी बड़े पैमाने पर जंगल में विचरण करते पाए गए है। साथ ही मेलघाट के जंगल में हरित क्षेत्र में भी इजाफा हुआ है।
गौरतलब है कि मेलघाट के जंगलों में विगत वर्ष बाघों की संख्या कम थी, लेकिन इस वर्ष बाघों की संख्या 42 और उनके शावकों की संख्या 16 से 20 हो गई है। एक से डेढ़ साल के शावकों को इसमें जोड़ दिया जाए तो इसकी संख्या 50 के आंकड़े को भी पार कर लेंगी। वनविभाग द्वारा बरसात का मौसम खत्म होने के बाद अत्याधुनिक ट्रैपिंग कैमरे की मदद से बाघ एवं शावकों की गणना की प्रक्रिया शुरू होगी। बता दें कि स्ट्राइक प्रक्रिया से पट्टेदार बाघों की गिनती की जाती है। विशेष बात यह भी है कि मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प की ओर से ग्रीष्मकाल के दौरान जंगल में जगह-जगह वन्यजीवों के लिए पेयजल की व्यवस्था का पूरा ख्याल रखा गया।
महाराष्ट्र वनविभाग की ओर से मेलघाट बाघ अभ्यारण्य में विगत माह मचान गणना के दौरान दर्जनों बाघ, 19 तेदुए और 209 भालू की मौजूदगी का पता चला था। मचान गणना में वन्यजीवों को देखने के लिए पेड़ के ऊपर बने मचान पर बैठे लोगों के समूहों को गणना के लिए शामिल किया था। अमरावती जिले के मेलघाट बाघ अभ्यारण्य में 359 प्रतिभागियों के लिए कुल 406 मचान स्थापित किए गए थे। सुरक्षित जंगल रहने से यहां बाघों की संख्या बढ़ रही है। वनविभाग द्वारा की जानेवाली गश्त और बाहरी मानव को परिसर में प्रवेश के लिए पाबंदी, यह बाघों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण भी बताया जा रहा है।
विशेषज्ञों की माने तो जंगल में बाघों को पूरी तरह से भोजन नहीं मिलने से वह जंगल के बाहर निकलते हैं। जिससे बाघों की संख्या कम होती जाती है। मेलघाट में हरित क्षेत्र के साथ बाघों की संख्या भी बढ़ रही है।
पर्याप्त शिकार मिलने से बढ़ी संख्या
मेलघाट के जंगलों में रहनेवाले बाघों की वजह से ही वहां का जंगल सुरक्षित माना जाता है। बाघों को जंगलों में ही पर्याप्त शिकार मिल जाने से उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। जंगल में अगर वन्यजीवों को पर्याप्त भोजन नहीं मिला तो वह शिकार की तलाश में जंगल से बाहर निकल जाते है, जिससे उनकी संख्या कम होने लगती है।
- जयदीप दास, उपजिविका विशेषज्ञ, वनविभाग अमरावती