रोमांचक डगर वाली है गोमजी-सोमजी की पहाड़ी , होते हैं मां ज्वाला के दर्शन, पूरी होती है हर मुराद
लगा है भक्तों का तांता, घने जंगल, कुटिया में मिलता है सुकून रोमांचक डगर वाली है गोमजी-सोमजी की पहाड़ी , होते हैं मां ज्वाला के दर्शन, पूरी होती है हर मुराद
डिजिटल डेस्क बालाघाट । इन दिनों मां दुर्गा की भक्ति में सब लीन हैं। बालाघाट जिले में ऐसे ऐतिहासिक महत्व के धार्मिक स्थल हैं, जहां लोग अक्सर नवरात्र पर अपनों के साथ देवी मां के दर्शन के लिए जाते हैं। ऐसा ही एक स्थान है- गोमजी-सोमजी की पहाड़ी, जहां मां ज्वाला देवी के न सिर्फ जिलेवासी बल्कि दूर-दराज के शहरों व कस्बों से लोग दर्शन करने आते हैं। भरवेली के आगे रावणबंदी गांव से सटी पहाडिय़ों को गोमजी-सोमजी पहाड़ी के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गम रास्तों के बावजूद नवरात्रि में इन पहाड़ों पर खासी रौनक रहती है। शहर के पर्यावरण विद् और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों के जानकार अभय कोचर के मुताबिक घने जंगल के बीच खड़ी पहाड़ी पर चढ़ाई करने के बाद मां ज्वाला देवी के दर्शन होते हैं। हालांकि, अब यहां दूर तक पक्की सीढिय़ां बन गई हैं।
सीधा पहाड़ चढऩा चुनौती से कम नहीं
गोमजी-सोमजी के दर्शन करना किसी चुनौती से कम नहीं। श्री कोचर ने बताया कि अगर आप पहली बार यहां आ रहे हैं तो गोमजी-सोमजी के दर्शन करने के लिए सीधा पहाड़ चढऩा होगा, वह भी अनुमान लगाकर। ये सफर जितना रोमांचक है, उतना ही इसकी डगर कठिन है। सामने जा रहे श्रद्धालुओं को फॉलो करना ही बेहतर विकल्प है। ये इलाका रोमांचकारी दृश्यों से भरा पड़ा है। नजारें ऐसे जो हमेशा स्मृतियों में रहेंगे।
पीढिय़ों से चली आ रही परंपरा
पहाड़ पर घास, बांस और बल्लियों से बनीं खूबसूरत कुटिया मन मोह लेती है। कुटिया में धनलाल चिचाम और उनकी पत्नी अन्नू चिचाम पीढिय़ों से चली आ रही परंपराओं का निर्वहन करते हुए गोमजी-सोमजी की सेवा करते आ रहे हैं। गोंड राजाओं की धर्मस्थली रही गोमजी-सोमजी की पहाडिय़ां आज भी वनवासी समाज के प्रमुख धर्म स्थलों में शामिल है। जहां गोमजी को बड़ा देव के रूप में भी पूजा जाता है।
आस्था से जुड़ी हैं अलग-अलग मान्यताएं
मान्यता यह है कि मां ज्वाला देवी गोमजी-सोमजी की बहन थीं, जिसे भाइयों से अत्यधिक मान-सम्मान प्राप्त था। आज भी यहां आरती सिर्फ ज्वाला देवी की ही होती है। एक और मान्यता है कि गोमजी का विवाह हुआ था, लेकिन सोमजी कुंवारे थे और स्वभाव से गुस्सैल भी। गोमजी आज भी कुटिया में और सोमजी खुले आसमान के नीचे वास करते हैं।
मुराद पूरी होने पर चढ़ाते हैं खीर-पूड़ी
मां ज्वाला और गोमजी-सोमजी से मांग गई मुराद पूरी होने पर भक्त खीर-पूड़ी चढ़ाते हैं। लोगों का कहना है कि सोमजी के सामने मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अक्सर इन पहाड़ों में बाघ दिखाई देते हैं।