शिक्षक को 62 वर्ष तक सेवा का अधिकार, 60 वर्ष में सेवानिवृत्त करने का आदेश निरस्त
शिक्षक को 62 वर्ष तक सेवा का अधिकार, 60 वर्ष में सेवानिवृत्त करने का आदेश निरस्त
डिजिटल डेस्क, जबपलपुर। हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि शिक्षक को 62 वर्ष तक सेवा करने का अधिकार है। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने इस अभिमत के साथ खंडवा रामनगर में पदस्थ शिक्षक को 60 वर्ष में सेवानिवृत्त करने का आदेश निरस्त कर दिया है। एकल पीठ ने शिक्षक को सेवा में वापस लेकर 62 वर्ष तक सेवा करने और सभी लाभ देने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता की सेवा को स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किया
खंडवा निवासी अरुण कुमार सोनी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि वे रामनगर खंडवा के शासकीय माध्यमिक शाला में हेड मास्टर के पद पर कार्यरत थे। राज्य सरकार ने शिक्षकों की सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष निर्धारित की है। इसके बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग ने उन्हें 31 दिसंबर 2017 को 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त कर दिया। याचिका में कहा गया कि उसकी नियुक्ति वर्ष 1994 में पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत एडल्ट एजुकेशन में सुपरवाइजर पद पर हुई थी। राज्य सरकार ने वर्ष 2002 में एडल्ट एजुकेशन विभाग को समाप्त कर दिया। राज्य सरकार ने उसका संविलियन शिक्षा विभाग में उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर कर लिया गया। अधिवक्ता अशोक गुप्ता ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने एडल्ट एजुकेशन विभाग समाप्त करने के बाद याचिकाकर्ता की सेवा को स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किया है। ऐसे में याचिकाकर्ता को भी 62 वर्ष में सेवानिवृत्त किया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने शिक्षक को 60 वर्ष में सेवानिवृत्त किए जाने का आदेश निरस्त कर दिया। एकल पीठ ने शिक्षक को सेवा में वापस लेकर 62 वर्ष तक सेवा करने का आदेश दिया है।
अभ्यावेदन के निराकरण तक एएनएम के तबादले पर रोक
हाईकोर्ट ने अभ्यावेदन के निराकरण तक बालाघाट में पदस्थ एएनएम को नक्सल प्रभावित क्षेत्र परसवाड़ा में तबादला करने पर रोक लगा दी है। जस्टिस सुजय पॉल की एकल पीठ ने बालाघाट के सीएमएचओ को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन का विधि अनुसार निराकरण किया जाए। बालाघाट के उप स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ एएनएम जी. मनघटे की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि 5 जुलाई को उसका तबादला नक्सल प्रभावित क्षेत्र परसवाड़ा कर दिया गया है। याचिका में कहा गया कि उसके पति भी बालाघाट में कार्यरत है। राज्य सरकार की तबादला नीति के अनुसार पति-पत्नी को एक ही जगह पर रखा जाना चाहिए। इस संबंध में सीएमएचओ को अभ्यावेदन भी दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने बालाघाट सीएमएचओ को अभ्यावेदन का विधि अनुसार निराकरण करने का निर्देश दिया है, अभ्यावेदन के निराकरण तक तबादले पर रोक रहेगी।