मानवता का शर्मसार: मृतकों का रेमडेसिविर चोरी कर ब्लैक में बेच रहे थे वार्ड बॉय, पुलिस ने दबोचा
मानवता का शर्मसार: मृतकों का रेमडेसिविर चोरी कर ब्लैक में बेच रहे थे वार्ड बॉय, पुलिस ने दबोचा
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी के इस दौर में शनिवार रात मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक घटना सामने आई। जिला अस्पताल के गेट नम्बर दो पर शहर के कुछ जागरुक लोगों ने एक वार्ड बॉय को रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचते दबोचा और पुलिस के हवाले किया। पुलिस पूछताछ में सामने आया कि उक्त वार्ड बॉय अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर कोरोना यूनिट में इलाज के दौरान जिन मरीजों की मौत हो जाती थी उनके लिए अलार्ट रेमडेसिविर इंजेक्शन चुरा लेते थे। इसके बाद वे जरुरतमंद और मजबूर लोगों को कई गुना महंगे दामों में बेचा करते थे।
टीआई मनीषराज भदौरिया ने बताया कि शिक्षक कॉलोनी निवासी संजय बुनकर का रिश्तेदार जिला अस्पताल की कोरोना यूनिट में भर्ती है। जिन्हें चिकित्सक ने रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने की सलाह दी थी। संजय रेमडेसिविर के इंतजाम में जुटा था। इस दौरान उसे अस्पताल में कार्य कर रही प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी विनय जाटव मिला। उसने 14-14 हजार रुपए कीमत में रेमडेसिविर इंजेक्शन दिलाने का आश्वासन दिया। सौदा तय होने पर शनिवार रात को जिला अस्पताल के गेट नम्बर दो के सामने विनय दो इंजेक्शन लेकर पहुंचा था। जिसे संजय बुनकर और उसके साथियों ने दबोच लिया और पुलिस के हवाले किया। पुलिस ने पूछताछ के बाद विनय और उसके साथी प्राइवेट कंपनी के दो अन्य कर्मचारी अंकित पांडे और सत्यम की गिरफ्तारी कर उनके खिलाफ धारा 379, आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7, 51 जी आपदा प्रबंधन के तहत कार्रवाई की गई है।
पहले भी बेच चुके इंजेक्शन-
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि विनय जाटव और उसके दोनों साथियों ने पकड़ाने से पहले दो इंजेक्शन 14-14 हजार रुपए में बेच चुके है। शनिवार रात को दो इंजेक्शन बेचने का प्रयास करते वक्त विनय पकड़ा गया।
देर रात तक एसपी ने की पूछताछ-
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पकड़ाएं कर्मचारियों से पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल द्वारा देर रात लगभग तीन बजे तक पूछताछ की गई। पुलिस जांच कर रही है कि इस कालाबाजारी में ओर कौन-कौन शामिल है।
इंजेक्शन ब्लैक में खरीदी के लिए मजबूर लोग-
कोरोनाकाल में रेमडेसिविर की किल्लत बनी हुई है। गंभीर मरीजों के परिजन को आसानी से इंजेक्शन न मिल पाने पर वे ब्लैक में भी इंजेक्शन खरीदने को मजबूर है। ऐसी विपरीत परिस्थिति का फायदा उठा रहे बदमाशों द्वारा इंजेक्शन ब्लैक किए जा रहे है। जरुरतमंद मरीजों को समय पर इंजेक्शन मिले प्रशासन को इसकी व्यवस्था बनानी होगी। तभी इस तरह की कालाबाजारी बंद हो पाएगी।