पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना अंतर्गत बामनवास क्षेत्र में बनेगा राठौड़ बैराज - भूजल मंत्री!

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना अंतर्गत बामनवास क्षेत्र में बनेगा राठौड़ बैराज - भूजल मंत्री!

Bhaskar Hindi
Update: 2021-03-12 11:26 GMT
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना अंतर्गत बामनवास क्षेत्र में बनेगा राठौड़ बैराज - भूजल मंत्री!

डिजिटल डेस्क |पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना अंतर्गत बामनवास क्षेत्र में बनेगा राठौड़ बैराज - भूजल मंत्री। भू-जल मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने शुक्रवार को विधानसभा में बताया कि बामनवास विधानसभा क्षेत्र में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत राठौड बैराज बनाया जाएगा। इससे न केवल बामनवास तहसील को बल्कि आसपास के क्षेत्र को भी लाभ मिल सकेगा। इसकी भराव क्षमता 143.09 एम.सी.एम. होगी। भू-जल मंत्री ने प्रश्नकाल में विधायक श्रीमती इंद्रा के पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि बामनवास विधानसभा क्षेत्र में जल संसाधन विभाग के अधीन वर्तमान में कुल 7 बांध है जो मोरा सागर, आकोदिया, नागतलाई, गंडाल, नया तालाब में स्थित हैं वहीं ढील और नागौला बांध बौंली में हैं।

इसके अलावा जो 12 बांध पंचायती राज विभाग को स्थानांतरित किए जा चुके हैं उनमें गुडला नाजिमवाला, पीपलाई, रानीला, शोभासागर, शंकरसागर और बौंली के भीमसागर, बिंदावल, घाटा नैनवाड़ी, खारीड़ा, मौरीया मंतूला और जयसागर शामिल हैं। डॉ. कल्ला ने बताया कि बामनवास क्षेत्र में 9 माइक्रो सिंचाई टैंक और 12 एनिकटों का निर्माण भी करवाया गया है। माइक्रो सिंचाई टैंक मीणा मंदिर की ढाणी गोविंदपुरा, भानौरा, सुमाल, आजमखारी और अन्य जगह पर स्थित हैं। इससे पहले भू-जल मंत्री ने विधायक श्रीमती इंद्रा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि राज्य में विभिन्न विभागों द्वारा अलग-अलग योजनाओं जैसे बांधों का जीर्णाेद्धार, एनिकट निर्माण, लघु सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण जैसे कार्य कर वर्षा जल का संचय किया जाता है।

इससे भू-जल पुनर्भरण कर जल संकट समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। इनसे क्षेत्र में भू जल में वृद्धि और सिंचाई सुविधा उपलब्धप हो रही है। उन्होंने बताया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के अन्तजर्गत मोरेल बांध को भरा जाना प्रस्ताधवित हैं जिससे बामनवास विधानसभा क्षेत्र भी लाभान्वित होगा। डॉ. कल्ला ने बताया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत कोटा संभाग में चंबल बेसिन की पार्वती और कालीसिंध सहायक नदियों के अधिशेष पानी को बनास, गंभीर और पार्वती बेसिन में हस्तांतरित करते हुए धौलपुर तक ले जाना प्रस्तावित है। इस परियोजना में पार्वती, कालीसिंध, मेज और चाकन नदी के अधिशेष पानी को कम उपलब्धता वाले बनास, गंभीर और पार्वती बेसिन में हस्तांतरित कर लगभग 13 जिलों के बाधों को भरने के साथ ही पेयजल भी उपलब्ध हो सकेगा।

परियोजना पर लगभग 37,247.12 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। ये परियोजना केंद्रीय जल आयोग में परीक्षणाधीन है। उन्होंने बताया कि परियोजना के एक घटक के रूप में 1595.06 करोड़ रुपये का नवनैरा बैराज का कार्य प्रगति पर है। इस पर अब तक 216.30 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इस परियोजना से बारां, झालावाड़, कोटा, बूंदी, अजमेर, जयपुर, अलवर, भरतपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, दौसा, करौली और धौलपुर जिले लाभान्वित होंगे।भू-जल मंत्री ने बताया कि साबरमती बेसिन का पानी जवाई बांध में अपवर्तित करने के लिए 2 चरणों में डी.पी.आर. का कार्य करवाया जा रहा है। प्रथम चरण की डी.पी.आर. परीक्षणाधीन है जबकि दूसरे चरण की डी.पी.आर. तैयार की जा रही हैं। संधोधित डी.पी.आर. अनुसार ये प्रकरण केन्द्री़य जल आयोग में विचाराधीन हैं।

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