Rajasthan Crisis: स्पीकर ने SC से वापस ली याचिका, विधानसभा सत्र बुलाने पर सहमत हुए राज्यपाल, रखी ये शर्तें

Rajasthan Crisis: स्पीकर ने SC से वापस ली याचिका, विधानसभा सत्र बुलाने पर सहमत हुए राज्यपाल, रखी ये शर्तें

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-27 04:24 GMT
Rajasthan Crisis: स्पीकर ने SC से वापस ली याचिका, विधानसभा सत्र बुलाने पर सहमत हुए राज्यपाल, रखी ये शर्तें
हाईलाइट
  • राजस्थान में सियायी घमासान का दौर जारी
  • विधानसभा सत्र बुलाने पर सहमत हुए राज्यपाल
  • स्पीकर सीपी जोशी ने SC से वापस ली याचिका

डिजिटल डेस्क,जयपुर। राजस्थान में सियासी उठापटक का दौर जारी है। राज्य की सत्ता को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट के बीच शुरू हुई जंग ने अब कानूनी रूप ले लिया है। अन्य पार्टियां भी इसमें शामिल हो गई। मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी आमने-सामने आए, लेकिन सोमवार की इस सियासी संग्राम में बड़ा बदलाव हुआ। सुनवाई से थोड़ी देर पहले ही राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली।

बसपा विधायकों के विलय को लेकर बीजेपी की याचिका भी हाईकोर्ट से खारिज हो गई वहीं बीजेपी की याचिका में पक्षकार बनने के लिए बसपा की ओर से दाखिल अर्जी को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। राज्यपाल कलराज मिश्र विधानसभा सत्र बुलाने पर सहमत हो गए हैं। वहीं कांग्रेस अब इस लड़ाई को अदालत की बजाय राजनीतिक रूप से लड़ने पर विचार कर रही है। कांग्रेस शुक्रवार को आए हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकती है।

राज्यपाल सत्र बुलाने पर सहमत, रखीं तीन शर्तें
राजभवन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि, राज्यपाल सत्र बुलाने पर सहमत हैं। मगर संवैधानिक तौर तरीकों के अनुसार सत्र बुलाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने सत्र बुलाने के लिए तीन शर्तें रखी हैं। राज्यपाल कालराज मिश्र ने राज्य सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने से पहले 21 दिन का नोटिस देने को कहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और विश्वास मत परीक्षण की स्थिति में कुछ शर्तों का पालन करने को कहा।

राजस्थान विधानसभा के स्पीकर ने वापस ली याचिका 
इसी बीच सोमवार को राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने यू-टर्न ले लिया है। स्पीकर ने सुनवाई से पहले ही सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली है। स्पीकर ने याचिका में राजस्थान हाईकोर्ट के द्वारा उनके नोटिस पर लगाए गए स्टे पर सवाल खड़े किए थे। 

विधायकों के विलय पर बीजेपी विधायक की याचिका खारिज
राजस्थान हाईकोर्ट ने बसपा विधायकों के विलय पर बीजेपी विधायक मदन दिलावर की याचिका खारिज कर दी है। बहुजन समाज पार्टी के विधायकों ने कांग्रेस में विलय किया था, जिसपर बवाल हुआ था। गौरतलब है कि, बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के सामने चार महीने पहले बसपा विधायक लखन सिंह, राजेन्द्र सिंह गुढ़ा, दीपचंद खेड़िया, जोगेन्दर सिंह अवाना, संदीप कुमार और वाजिब अली के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ शिकायत की थी।

दिलावर ने अपील की थी कि, दल-बदल कानून के तहत इन 6 विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जाए। जब स्पीकर ने कोई कार्रवाई नहीं की तो दिलावर हाई कोर्ट पहुंच गए। बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ स्पीकर सीपी जोशी के सामने दायर याचिका पर कार्रवाई नहीं होने पर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस मामले में सोमवार को सुनवाई करते हुए HC ने याचिका खारिज कर दी। 24 जुलाई को स्पीकर ने बसपा की शिकायत को निस्तारित कर दिया था। इस वजह से हाईकोर्ट में अर्जी खारिज हो गई।

हाईकोर्ट से बसपा की याचिका भी खारिज
वहीं मदन दिलावर की याचिका में पक्षकार बनने के लिए बसपा की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल की गई अर्जी को भी हाई कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया। HC ने कहा, जब मदन दिलावर की याचिका ही खारिज हो गई, तो पक्षकार बनने की जरूरत नहीं है।

सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली
स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका वापस ले ली है। वकील कपिल सिब्बल ने बताया, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका वापस लेने की स्पीकर की अपील को स्वीकार कर लिया है। जिसके बाद पायलट खेमे को बड़ी राहत मिली है। सिब्ब्ल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, अब मामले पर सुनवाई की जरूरत नहीं है। हम इस मामले पर विचार करके दोबारा SC आएंगे।

अब स्पीकर सीपी जोशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की जाएगी। स्पीकर के वकील सिब्बल ने SC को बताया, राजस्थान HC ने 24 जुलाई को एक नया आदेश पारित किया, जिसमें 10वीं अनुसूची की व्याख्या सहित कई अन्य मुद्दे उठाए गए थे। सिब्बल ने कहा, वे शुक्रवार को आए उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दे सकते हैं। इसके अलावा हाईकोर्ट में भी इस पूरे राजनीतिक दंगल से जुड़ी एक सुनवाई होनी है। राजस्थान में बसपा ने हाईकोर्ट में पूरे मामले का पक्षकार होने की अर्जी दाखिल की है।

राजस्थान के मामले को लेकर कांग्रेस ने आज (27 जुलाई) देश के सभी राज्यों में राजभवनों का घेराव किया, हालांकि राजस्थान में कांग्रेस ऐसा कुछ नहीं किया। कांग्रेस को डर था, अगर ऐसा हुआ तो राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। जिसके चलते राजस्थान को छोड़ पूरे देश में कांग्रेस ने प्रदर्शन किया। तमिलनाडु में राज्य के कांग्रेस चीफ के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजभवन पर हल्ला बोला।

राजभवन ने फिर लौटाई सत्र बुलाने की फाइल
सीएम अशोक गहलोत लगातार विधानसभा का सत्र बुलाए जाने की मांग कर रहे थे, लेकिन राज्यपाल ने कोरोना वायरस का हवाला दिया था। राज्य सरकार द्वारा भेजे गए विशेष विधानसभा सत्र की अनुमति वाली फाइल को राज्यपाल कलराज मिश्र ने सोमवार को भी वापस कर दिया था। गहलोत सरकार ने दूसरी बार कोविड-19 विषय पर चर्चा के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाए जाने के प्रस्ताव पर अनुमति के लिए राज्यपाल को फाइल भेजी थी। राजभवन कार्यालय ने संसदीय कार्य विभाग को वापस भेजी गई फाइल में सरकार से अधिक जानकारी मांगी। बाद में राज्यपाल सत्र बुलाने पर सहमत हो गए।

विशेष विधानसभा सत्र की अनुमति देने का अनुरोध
राज्य की कांग्रेस सरकार ने शनिवार देर रात भी राज्यपाल को एक संशोधित नोट भेजा था। इसमें कोरोनो वायरस की स्थिति पर चर्चा करने के लिए 31 जुलाई को एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति मांगी गई थी, न कि फ्लोर टेस्ट के लिए।

इस बीच, राज्यपाल कलराज मिश्र ने रविवार को मुख्य सचिव राजीव स्वरूप और डीजीपी भूपेंद्र सिंह से मुलाकात की थी। यह मुलाकात सोमवार को राज्यपाल के आवास पर प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को लेकर की गई थी, जिसमें दोनों अधिकारियों ने विरोध के मद्देनजर प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे सुरक्षा उपायों से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने कोविड-19 मामलों में वृद्धि पर भी अपनी चिंता जताई और अधिकारियों से कोविड-19 से निपटने के लिए एक नई रणनीति तैयार करने का आग्रह किया। यह जानकारी रविवार को राजभवन द्वारा जारी एक प्रेस नोट में दी गई।

सियासी जंग में बसपा की एंट्री
राजस्थान की सियासी जंग में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी धमाकेदार एंट्री की है। बसपा ने अपने उन 6 विधायकों के नाम व्हिप जारी किया है, जो कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। बसपा ने अपने विधायकों को कांग्रेस के खिलाफ वोटिंग करने को कहा है, अगर ऐसा नहीं किया तो उन्हें अयोग्य साबित किया जा सकता है।

राजस्थान में अबतक का सियासी घटनाक्रम:

14 जुलाई: सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्यता का नोटिस दिया और 17 जुलाई को दोपहर 1:30 बजे तक जवाब मांगा।

16 जुलाई: सभी 19 विधायकों ने नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया। उधर, व्हिप चीफ महेश जोशी ने सरकार की तरफ से कैविएट लगा दी कि कोई भी फैसला किए जाने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।

17 जुलाई: हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई की और दो जजों की बेंच में मामला भेजा। इस बेंच ने 18 जुलाई को सुनवाई तय की।

18 जुलाई: हाईकोर्ट ने स्पीकर से कहा कि वे 21 जुलाई तक नोटिस पर कार्रवाई नहीं करें और अगली सुनवाई 20 जुलाई तय की। 

20 जुलाई: हाईकोर्ट ने बहस पूरी न हो पाने के कारण कहा- 21 जुलाई को भी सुनवाई होगी।

21 जुलाई: हाईकोर्ट ने 24 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया। स्पीकर को भी तब तक के लिए कोई निर्णय नहीं करने के लिए कहा।

22 जुलाई: स्पीकर सीपी जोशी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 

23 जुलाई: कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। शाम को पायलट खेमे ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की।

24 जुलाई: हाईकोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता को नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को सही मानते हुए विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस पर रोक लगा दी। कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने को कहा है। इस मामले की सुनवाई आगे जारी रहेगी।

Rajasthan crisis: सचिन पायलट खेमे को राहत, स्पीकर के नोटिस पर HC ने स्टे लगाया

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