जिला अस्पताल के मेनगेट पर आधा घंटा दर्द से तड़पती रही गर्भवती,ऑटो में हुआ प्रसव 

जिला अस्पताल के मेनगेट पर आधा घंटा दर्द से तड़पती रही गर्भवती,ऑटो में हुआ प्रसव 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-04 08:13 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क,सतना। बार-बार डिमांड के बाद भी गर्भवती महिलाओं के लिए समय पर जननी एक्सप्रेस नहीं उपलब्ध कराए जाने की समस्या अब आम हो चुकी है। मंगलवार की सुबह जिला मुख्यालय में एक बार फिर ऐसा ही होने से एक गर्भवती महिला ने जिला अस्पताल के मेनगेट में ऑटो पर बलिका को जन्म दिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इससे पहले प्रसूता तकरीबन आधा घंटे ऑटो में भी प्रसव वेदना से तड़पड़ी रही मगर डॉक्टर तो दूर नर्सों तक ने हाथ लगाने की जरुरत नहीं समझी। प्रसव बाद ऑटो में पहुंची एक आया प्रसूता  को अपने साथ वार्ड में ले गई। जब जिला मुख्यालय में अराजकता का ये हाल है तो जिले के कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में संस्थागत प्रसव के सरकारी दावे की सच्चाई का अंदाजा लगाया जा सकता है।

ऑटो से पहुंचे अस्पताल 

कोलगवां थाना अंतर्गत अहरी टोला बाबूपुर निवासी संगीता चौधरी पत्नी विष्णु चौधरी को प्रसव वेदना होने पर संगीता के पिता श्यामसुंदर ने मंगलवार को सुबह 8 बजे 108 पर कॉल कर जननी एक्सप्रेस की मांग की। जवाब मिला जननी एक्सप्रेस आधे घंटे के अंदर पहुंच जाएगी। जब एम्बुलेंस आधे घंटे बाद भी नहीं पंहुची तो एक बार फिर से 108 से मदद की मांग की गई। जवाब मिला कि जननी एक्सप्रेस किसी और लोकेशन पर होने के कारण उपलब्ध नहीं है। श्यामसुंदर ने बताया कि प्रसव वेदना बढ़ती जा रही थी। लिहाजा प्रसूता को आटो से लेकर श्यामसुंदर जिला अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के मेनगेट में प्रसूता दर्द से आधे घंटे तड़पती रही लेकिन अस्पताल का स्टाफ मदद के लिए नहीं आया। अंतत: आटो में ही प्रसव हो गया। 

आखिर ऐसे हालात क्यों : 34 प्रसव केंद्रों के बीच 15 एम्बुलेंस 

जिले में मौजूदा समय में स्वास्थ्य विभाग के 34 प्रसव केंद्र संचालित हैं। इनके बीच जननी एक्सप्रेस की संख्या 15 है। यानि खींचतान कर 2 प्रसव केंद्र के बीच एक जननी एक्सप्रेस है। इसके अलावा 3 अन्य जननी एक्सप्रेस जिला मुख्यालय को उपलब्ध कराई गई हैं। ये उपलब्धता तब है जब औसतन जिला अस्पताल में हर दिन औसतन 50 प्रसव कराए जाते हैं। जबकि इसी अवधि में 70 से 80 महिलाएं जिला अस्पताल की ओपीडी में आती हैं। कहने के तो गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए जिले में 108 एम्बुलेंस भी हैं, लेकिन इनका उपयोग महज एक्सीडेंटल मामलों में किया जाता है।

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