चिकित्सकों के इशारों पर चल रही पैथालॉजी लैब, रेपिड जांच के वसूले जा रहे एक हजार रुपए

जांच में 75 प्रतिशत  कमीशन का खेल चिकित्सकों के इशारों पर चल रही पैथालॉजी लैब, रेपिड जांच के वसूले जा रहे एक हजार रुपए

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-07 09:54 GMT
चिकित्सकों के इशारों पर चल रही पैथालॉजी लैब, रेपिड जांच के वसूले जा रहे एक हजार रुपए

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । शहर में संचालित पैथालॉजी लैब चिकित्सकों के इशारों पर चल रही हैं। प्रत्येक टेस्ट पर चिकित्सक का 75 प्रतिशत तक का कमीशन फिक्स है। चिकित्सकों की कमीशनखोरी का बोझ मरीजों पर पड़ रहा है। लैब में होने वाले टेस्ट पर स्वास्थ्य विभाग का कंट्रोल नहीं होने से मरीजों को उपचार कराना महंगा पड़ रहा है। कोरोना काल में मनमाने जांच शुल्क वसूलने के बाद डेंगू को कमाई का जरिया बनाया गया है। डेंगू के अमान्य घोषित की गई रेपिड जांच के मरीजों से 1 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। जबकि यह किट महज 150 रुपए की कीमत की है। इसके अलावा डेंगू से होने वाले इफैक्ट को लेकर प्लेटलेट्स, किडनी फंग्शन की जांच के लिए पूरा पैकेज 18 सौ से 2 हजार रुपए के खर्च का है। शहर में संचालित 30 से ज्यादा लैब चिकित्सकों के अनुबंध से ही चल रही हैं। इसके अलावा मेडिकल स्टोर भी इसी परिपाठी पर संचालित हो रहे हैं। चिकित्सकों की कमीशनखोरी के कारण मरीजों को पैथालॉजी लैब में महंगी जांच करानी पड़ रही है।
सरकारी सुविधा है, लेकिन समय की पाबंदी
जिला अस्पताल की पैथालॉजी लैब में सभी प्रकार की जांच मामूली दरों पर होती है, लेकिन यहां दोपहर तीन बजे तक ही सैंपल लिए जाते हैं। इसके बाद आने वाले मरीजों को मजबूरी में निजी लैब में टेस्ट कराना होता है। निजी लैब की तरह अस्पताल में चौबीस घंटे जांच की सुविधाएं मिले तो मरीजों को आर्थिक रूप से परेशान नहीं होना पड़ेगा।
दरें निर्धारित हों तो बंद होगी कमीशनखोरी
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने कुछ डी-डायमर, सीआरपी, फैरीटीन, एबीजी, आईएल-6 जैसे टेस्ट की दरें निर्धारित की थी, लेकिन डेंगू के लिए हो रहे पांच तरह के टेस्ट मरीजों के लिए माफी महंगे हो रहे हैं।
डेंगू के लिए टेस्ट का पूरा पैकेज टेस्ट - दरें
सीबीसी - 250 रुपए
डेंगू रेपिड - 1,000 रुपए
एसजीओटी - 250 रुपए
एसजीपीटी - 250 रुपए
मलेरिया रेपिड - 150 रुपए
क्या कहते हैं अधिकारी
निजी पैथालॉजी लैब में होने वाली जांच के शुल्क हमारे द्वारा तय नहीं किए जा सकते हैं। लैब संचालकों को जांच शुल्क अपने संस्थान में चस्पा करने हिदायत दी गई है। समय-समय पर टीम भेजकर जांच कराई जाती है।
- डॉ. जीसी चौरसिया, सीएमएचओ
 

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