अब तक धान खरीदी केंद्र नहीं हुए शुरू, किसान परेशान
भंडारा अब तक धान खरीदी केंद्र नहीं हुए शुरू, किसान परेशान
डिजिटल डेस्क, भंडारा. जिले में तुमसर, मोहाड़ी साकोली, लाखनी, लाखांदुर, पवनी एवं भंडारा यह सात तहसील होकर लगभग 2 लाख एकड़ में धान फसल ली जाती है। प्रतिवर्ष जिला विपणन विभाग की ओर से 15 अक्टूबर तक 150 धान खरीदी केंद्र शुरू किए जाते हैं किंतु पूरा महीना बीत जाने के बावजूद भी इस वर्ष धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हुए हैं। किसान प्रति वर्ष संकट में आता है किंतु कोई भी किसानों की ओर ध्यान नहीं देते हंै। किसानों को सिर्फ आश्वासनों की खैरात बांटी जाती है। जिला विपणन विभाग, जिले के जनप्रतिनिधि, शासन प्रशासन इस और शीघ्र ध्यान देकर किसानों की समस्याओं का निराकरण करने की मांग जिले के किसानों ने की है।
जिले में इस वर्ष अतिवृष्टि हुई है। जिससे किसान संकट में आ चुका है। कई किसानों की धान फसल बर्बाद हो गयी थी। तो कई किसानों ने धान केंद्र पर लेकर गए थे किंतु धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं होने से किसानों पर भारी आर्थिक संकट आ पड़ा है। बोनस मिलने से किसान केंद्र पर निर्भर रहते हैं। जिले के किसान और उनके परिवारों की दिवाली इस वर्ष पूरी तरह फिकी रही। न तो किसानों का धान बिका है और न ही कर्ज मुक्ति की राशि मिल पाई है। कहीं कहीं तो अतिवृष्टि की राशि भी नहीं मिल पाई है। इससे किसानों को परेशानी में देखा जा रहा है। यह साल किसानों के लिए बड़ी मुसीबत वाला रहा है। भारी बारिश के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ है। खरीफ का मौसम बीत चुका है। दोबारा हुई बारिश ने धान सोयाबीन की फसलों को नुकसान पहुंचाता है।
हर साल दिवाली पर धान और सोयाबीन की ज्यादातर फसल काट ली जाती है। फसल आने के बाद उसकी बिक्री भी हो जाती है। इसलिए किसानों को दिवाली मनाने में कोई परेशानी नहीं होती थी। इस वर्ष अभी तक कोई कृषि उत्पाद घर नहीं आया है। जिनका धान कट गया है वे लोग धान बेच नहीं पा रहे है क्योंकि अभी तक धान खरीदी केंद्र खुले नहीं है। यह स्थिति किसानों के लिए मुश्किलों भरी हो रही है। ऐसे में किसानों को निजी व्यापारी के द्वार जाने की नौबत आ सकती है। शासन से मिलने वाले बोनस के चलते किसान यह सरकारी समर्थन मूल्य धान खरीदी केंद्रों पर अपना धान बेचने को प्राथमिकता देते है। अब धान कटाई के कार्य तेज हो चुके है। धान बाजार में आने को तैयार है। पर धान केंद्र शुरू न होने से जरूरतमंद किसानों को पुन: एक बार व्यापारियों के पास जाने की नौबत आ सकती है। ऐसे में जनप्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान देकर किसानों को आर्थिक संकट से बचाने की आवश्यकता है।