सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं, भटककर घर लौट रहे कोरोना पेशेंट, खुलेआम घूम रहे
सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं, भटककर घर लौट रहे कोरोना पेशेंट, खुलेआम घूम रहे
डिजिटल डेस्क जबलपुर। करमचंद चौक निवासी 50 वर्षीय व्यक्ति और उसके 80 वर्षीय पिता ने सर्दी-बुखार और तेज खाँसी आने के बाद 12 अप्रैल को विक्टोरिया अस्पताल में कोरोना का टेस्ट कराया था। अस्पताल प्रबंधन ने दोनों को कोरोना सस्पेक्टेड बताते हुए होम आइसोलेट होने की सलाह दी थी, जिसके बाद से दोनों घर पर ही थे। 14 अप्रैल को रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पिता-पुत्र विक्टोरिया अस्पताल में भर्ती होने पहुँचे, लेकिन वहाँ जगह न होने के कारण उन्हें वापस लौटा दिया गया। 15 अप्रैल गुरुवार की सुबह बेटे की तबियत तेजी से बिगड़ी, जिसके बाद वह एक फिर विक्टोरिया पहुँचा, लेकिन वहाँ उसे फिर से वापस घर में रहने की सलाह देकर लौटा दिया गया।
इसके बाद पीडि़त मनमोहन नगर शासकीय अस्पताल पहुँचा, लेकिन उससे यह कहा गया कि यहाँ सिर्फ अतिगंभीर पेशेंट को रखा जा रहा है। इसलिए उसे ज्ञानोदय अस्पताल में शिफ्ट कराया जाएगा। पीडि़त के मुताबिक वह दोपहर 1:30 से शाम 6 बजे तक अस्पताल में बैठा रहा, कई बार उसने जिम्मेदार लोगों से गुजारिश भी कि उसे भर्ती करा दिया जाए क्योंकि उसकी तबियत लगातार बिगड़ रही है। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और मजबूरन पीडि़त को वापस घर लौटना पड़ा। शिकायतकर्ता का कहना है कि कोरोना होने की वजह से मोहल्ले वालों ने उसके परिवार से दूरियाँ बना ली हैं। गरीब होने के कारण खाने-पीने की व्यवस्था के लिए उसे खुद ही बाहर जाना पड़ता है, जिसके कारण मोहल्ले वालों का गुस्सा भी वह झेलने को मजबूर है। यह इकलौता मामला नहीं है, बल्कि वो हकीकत है जिसके कारण गरीब तबके में लगातार कोरोना का संक्रमण फैलता जा रहा है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अफसर अपनी-अपनी मजबूरियाँ गिनाकर टालमटोली कर रहे हैं। अगर गंभीरता से इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो हालात तेजी से बिगड़ेंगे, जिसका खामियाजा कई बेकसूर लोगों को भोगना पड़ेगा।