विदर्भ के कई सिंचाई प्रकल्प हैं अधूरे , कोर्ट ने मांगी वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट

विदर्भ के कई सिंचाई प्रकल्प हैं अधूरे , कोर्ट ने मांगी वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-27 09:46 GMT
विदर्भ के कई सिंचाई प्रकल्प हैं अधूरे , कोर्ट ने मांगी वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  विदर्भ में कितने सिंचाई प्रकल्पों का कार्य पूरा हो चुका है और कितने प्रकल्प अभी अधूरे पड़े हैं? मामले की रिपोर्ट 2 सप्ताह में प्रस्तुत करने का आदेश उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने  राज्य सरकार और विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल को दिया।

कई प्रकल्प अधूरे
विदर्भ के कई सारे सिंचाई प्रकल्प अधूरे पड़े हुए हैं। उनको पूरा करने को लेकर लोकनायक बापूजी अणे स्मारक समिति द्वारा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है। मामले को लेकर सरकार ने एक साल पहले वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। शपथ-पत्र में बताया गया था कि  दिसंबर 2012 तक 45 प्रकल्पों में से टाइप-1 के 38 प्रकल्पों को वन विभाग की अंतिम मंजूरी मिल चुकी थी। उसमें 13 प्रकल्प पूरे हो चुके थे जबकि 25 प्रकल्पों का कार्य चल रहा है।

टाइप-2 के 18 प्रकल्पों में करजखेड़ा, काटेपर्णा बैराज व पारवा कोहार का काम जून 2019 तक पूरा करने, भीमलकसा का काम दिसंबर 2019 पूरा करने,  पिंडकेपार, नीमगांव, वर्धा बैराज, कन्हान नदी, जयपुर व भीमाड़ी प्रकल्प का काम जून 2020 में पूरा करने, वासानी, धाम रेजिंग, खर्डा प्रकल्प का काम जून 2021 में पूरा करने, जीगाव का काम जून 2023 में पूरा करने, डिंगोरा बैराज व आजनसरा बैराज का काम जून 2024 में पूरा करने, निम्न पैनगंगा प्रकल्प का काम 2044 तक पूरा करने का लक्ष्य लिया गया है।

महामंडल ने बताया कि अब तक हुमान प्रकल्प के कार्य की शुरूआत नहीं हुई। वहीं टाइप-3 के 19 प्रकल्पों में इंगलवाड़ी, शेगांव का काम जून 2019, पेंच रापेरी और पांगराबंधी का काम जून 2020 पूरा करने, चंद्रभागा बैराज व पाटिया का काम जून 2021 पूरा करने, चिचघाट प्रकल्प का काम जून 2024 पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा शेष 11 प्रकल्पों को अभी तक वन विभाग की अंतिम मंजूरी नहीं मिली है। वहीं याचिकाकर्ता ने पूरक आवेदन दायर कर आग्रह किया कि टाइप-2 और टाइप-3 के सिंचाई प्रकल्प पूरे करने हेतु उच्च स्तरीय समिति स्थापित की जाए और समिति द्वारा प्रकल्प की देखरेख की जाए। मामले पर न्यायाधीश रवि देशपांडे और न्यायाधीश अमित बोरकर के सुनवाई करते हुए पूरे हो चुके और अधूरे पड़े प्रकल्पों की वर्तमान स्थिति 2 सप्ताह में प्रस्तुत करने का आदेश किया। याचिकाकर्ता की ओर से एड.अविनाश काले, एड.भारती दाभोलकर व महामंडल की ओर से एड. वी.जी. पलशीकर ने पैरवी की।
 

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