विंध्य में मझगवां के जंगल बाघों का सबसे बड़ा रहवास! अभी हैं दस
विंध्य में मझगवां के जंगल बाघों का सबसे बड़ा रहवास! अभी हैं दस
डिजिटल डेस्क, सतना। विंध्य क्षेत्र में मझगवां के घने जंगल बाघों का सबसे बड़ा स्थाई रहवास हैं। आईएफआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में सतना के बाद क्रमश: डिंडौरी और सिवनी जिलों में भी एक सर्वेक्षण के दौरान ऐसे ही रहवास चिन्हित किए गए हैं।
5 टाइगर और 4 शावक का डेरा
मझगवां के जंगलों में कैमरा ट्रेपिंग, पग मार्क और अन्य वैज्ञानिक गणना के आधार पर वन मंडलाधिकारी राजीव मिश्र का भी मानना है कि अकेले मझगवां रेंज के खुले जंगल में 5 वस्यक टाइगर का स्थाई रहवास है। इनमें से 3 फीमेल और 2 मेल हैं। एक अनुमान के मुताबिक इन वयस्क बाघों के अलावा 4 शावक भी मौजूद हैं। मध्यप्रदेश के किसी भी खुले जंगल में अभी तक इतनी तादाद में बाघों की स्थाई मौजूदगी चिन्हित नहीं की गई है। उल्लेखनीय है, डेढ़ माह पूर्व सरभंगा में शिकारियों के चंगुल में फंसने से एक वयस्क बाघ की मौत हो चुकी है।
प्रजनन के अनुकूल है वन क्षेत्र
मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के सरहदी अंचल में विंध्य पर्वत श्रृंखला पर स्थित मझगवां वनपरिक्षेत्र में बाघों के स्थाई रहवास की मूल वजह हर दृष्टि से प्राकृतिक अनुकूलता है। जानकारों ने बताया कि टाइगर के भोजन के लिए जहां हिरन, सांभर,चीतल, जंगली सुअर और नीलगाय जैसे शाकाहारी वन्य प्राणियों की भरपूर उपलब्धता हैं, वहीं कुदरती जल श्रोतों की भी अधिकता है। शिकार के बाद बाघ को पेयजल के साथ भोजन को पचाने के लिए नहाने की भी जरुरत होती है। मझगवां वन रेंज की प्राकृतिक गुफाएं भी टाइगर के शांत और सुरक्षित स्थाई रहवास में सहायक हैं। जानकार मानते हैं कि घने वन क्षेत्र की तराई हर दृष्टि से बाघों के प्रजनन के अनुकूल है। वन अफसरों के एक दावे के मुताबिक मई में जहां एक टाइग्रेस ने एक शावक को जन्म दिया था,वहीं एक अन्य बाघिन 15 दिन पूर्व 3 या फिर 4 शावकों को जन्म दे चुकी है। इससे पहले वर्ष 2017 में यही टाइगे्रस यहां 4 शावकों को जन्म दे चुकी है। जिनमें 2 मेल और इतने ही फीमेल थे। ये दोनों अब वयस्क हो चुके हैं।
3 टाइगर रिजर्व से जुड़ा है कॉरीडोर
जिले के जंगल बाघों का प्राचीन कॉरीडोर रहा है। इसी वन क्षेत्र के पूर्व में सीधी का संजय गांधी टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क, पश्चिम में पन्ना टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क और और दक्षिण में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क स्थित हैं। वयस्क होते ही प्राय: नर बाघ अपना नया इलाका बनाने की कोशिश में 200 किलोमीटर के सफर पर निकल पड़ते हैं और स्वाभाविक रुप से अपने पुरखों के पग चिन्हों पर चलते हुए मझगवां के जंगलों में आकर अपना स्थाई रहवास बना लेते हैं।