सात परियोजनाओं की सौगात: देश के विकास के लिए लाखों इंजीनियर देता है बिहार,आत्मनिर्भर भारत मिशन को देगा गति- मोदी
सात परियोजनाओं की सौगात: देश के विकास के लिए लाखों इंजीनियर देता है बिहार,आत्मनिर्भर भारत मिशन को देगा गति- मोदी
डिजिटल डेस्क, पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) आज मंगलवार को एक बार फिर बिहार को कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात दी है। राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह काफी अहम माना जा रहा है। पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नमामि गंगे और अमृत योजना से जुड़ी सात परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इससे बिहार में अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर (Urban Infrastructure) को एक नई मजबूती मिलेगी। इस कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे।
LIVE: PM Shri @narendramodi launches multiple development projects in Bihar. #TransformingUrbanBihar https://t.co/zfkmG50yVg
— BJP (@BJP4India) September 15, 2020
पीएम मोदी ने आज जिन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया इनमें- चार परियोजनाएं जल आपूर्ति, दो सीवरेज ट्रीटमेंट और एक रिवर फ्रंट डेवलपमेंट से संबंधित है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 541 करोड़ रुपये है। बिहार के शहरी विकास और आवास विभाग के तहत BUIDCO द्वारा इन परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है।
पीएम मोदी ने कहा, केंद्र और बिहार सरकार के साझा प्रयासों से बिहार के शहरों में पीने के पानी और सीवर जैसी मूल सुविधाओं में निरंतर सुधार हो रहा है। मिशन अमृत और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत बीते 4-5 सालों में बिहार के शहरी क्षेत्र में लाखों परिवारों को पानी की सुविधा से जोड़ा गया है। आत्मनिर्भर बिहार आत्मनिर्भर भारत मिशन को गति देगा।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा:-
- आज का ये कार्यक्रम, एक विशेष दिन पर हो रहा है। आज हम इंजीनियर्स डे मना रहे हैं। ये दिन देश के महान इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया की जन्म जयंती का है। भारतीय इंजीनियरों ने हमारे देश के निर्माण में और दुनिया के निर्माण में भी अभूतपूर्व योगदान किया है।
- बिहार देश के विकास को नई ऊंचाई देने वाले लाखों इंजीनियर देता है। बिहार की धरती आविष्कार और इनोवेशन की पर्याय रही है। यहां के कितने ही बेटे हर साल देश के सबसे बड़े इंजीनियरिंग संस्थानों में पहुंचते हैं, अपनी चमक बिखेरते हैं।
- एक दौर ऐसा भी आया जब बिहार में मूल सुविधाओं के निर्माण के बजाय, प्राथमिकताएं और प्रतिबद्धताएं बदल गईं। राज्य में गवर्नेंस से फोकस ही हट गया। इसका परिणाम ये हुआ कि बिहार के गांव पिछड़ते गए और जो शहर कभी समृद्धि का प्रतीक थे, उनका इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड हो ही नहीं पाया। सड़कें-गलियां हों, पीने का पानी या सीवरेज हो ऐसी अनेक मूल समस्याओं को या तो टाल दिया गया या फिर जब भी इनसे जुड़े काम हुए वो घोटालों की भेंट चढ़ गए।
- जब शासन पर स्वार्थनीति हावी हो जाती है, वोटबैंक का तंत्र सिस्टम को दबाने लगता है, तो सबसे ज्यादा असर समाज के उस वर्ग को पड़ता है, जो प्रताड़ित है, वंचित है, शोषित है। बिहार के लोगों ने इस दर्द को दशकों तक सहा है।
- बीते डेढ़ दशक से नीतीश कुमार, सुशील मोदी और उनकी टीम समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग के आत्मविश्वास को लौटाने का प्रयास कर रही है। जिस प्रकार बेटियों की पढ़ाई को, पंचायती राज सहित स्थानीय निकाय में वंचित, शोषित समाज की भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है, उससे उनका आत्मविश्वास बढ़ रहा है।
- शहरीकरण आज के दौर की सच्चाई है, लेकिन कई दशकों से हमारी एक मानसिकता बन गई थी, हमने ये मान लिया था जैसे कि शहरीकरण खुद में कोई समस्या है, कोई बाधा है। लेकिन मेरा मानना है, ऐसा बिलकुल भी नहीं है।
- बीते 1 साल में जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में 2 करोड़ से ज्यादा पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। आज देश में हर दिन 1 लाख से ज्यादा घरों को पाइप से पानी के नए कनेक्शन से जोड़ा जा रहा है। स्वच्छ पानी, न सिर्फ जीवन बेहतर बनाता है बल्कि अनेक गंभीर बीमारियों से भी बचाता है।
- गंगा जी को निर्मल और अविरल बनाने का अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इसमें पर्यटन के आधुनिक आयाम भी जुड़ते जा रहे हैं। नमामि गंगे मिशन के तहत बिहार सहित पूरे देश में 180 से अधिक घाटों के निर्माण का काम चल रहा है। इसमें से 130 घाट पूरे भी हो चुके हैं।