बिहार को सौगात: कृषि कानून पर बोले पीएम मोदी- MSP की व्यवस्था पहले जैसे ही चलती रहेगी, खत्म नहीं होंगी कृषि मंडियां
बिहार को सौगात: कृषि कानून पर बोले पीएम मोदी- MSP की व्यवस्था पहले जैसे ही चलती रहेगी, खत्म नहीं होंगी कृषि मंडियां
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के चलते सियासी माहौल गरमा गया है। इस बीच मोदी सरकार लगातार बिहार को खास सौगात देने में जुटी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार में 9 राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इन राजमार्ग परियोजनाओं (Highway Projects) पर 14,258 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। वहीं बिहार के सभी 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं से जोड़ने के लिए घर तक फाइबर योजना का भी उद्घाटन किया।
PM Shri @narendramodi launches "Ghar Tak Fibre" Scheme and lays foundation stone for 9 highway projects in Bihar. #NayeBiharKaNirmaan https://t.co/tg7ayyrgqy
— BJP (@BJP4India) September 21, 2020
कृषि कानून मंडियों के खिलाफ नहीं हैं- मोदी
कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को लेकर कहा, ये कानून कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा। विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, कृषि क्षेत्र में इन ऐतिहासिक बदलावों के बाद, कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसलिए अब ये लोग MSP पर किसानों को गुमराह करने में जुटे हैं, लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि, कृषि मंडियां खत्म नहीं हो रही हैं और MSP की व्यवस्था भी पहले जैसे ही चलती रहेगी।
हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे। इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर ये कब तक चलता रहता: PM नरेंद्र मोदी https://t.co/vsSJGffJKL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 21, 2020
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा:-
- बिहार की लाइफलाइन के रूप में मशहूर महात्मा गांधी सेतु आज नए रंगरूप में सेवाएं दे रहा है, लेकिन बढ़ती आबादी और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए अब महात्मा गांधी सेतु के समानांतर चार लेन का एक नया पुल बनाया जा रहा है। नए पुल के साथ 8-लेन का ‘पहुंच पथ’ भी होगा।
- 21वीं सदी का भारत, 21वीं सदी का बिहार अब पुरानी कमियों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। आज देश में मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी (Multimodal Connectivity) पर बल दिया जा रहा है। अब हाईवे इस तरह बन रहे हैं कि वो रेल रूट को, एयर रूट को सपोर्ट करें। रेल रूट इस तरह बन रहे हैं कि वो पोर्ट से इंटर-कनेक्टेड हों।
- कनेक्टिविटी देश के हर गांव तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ देश आगे बढ़ रहा है। जब गांव-गांव में तेज इंटरनेट पहुंचेगा तो गांव में पढ़ाई आसान होगी। गांव के बच्चे, युवा भी एक क्लिक पर दुनिया की किताबों, तकनीक तक आसानी से पहुंच पाएंगे।
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हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे। इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर ये कब तक चलता रहता? नए कृषि सुधारों ने देश के हर किसान को आजादी दे दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल, अपने फल-सब्जियां बेच सकता है। अब उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा, तो वहां अपनी फसल बेचेगा। मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा लाभ मिल रहा होगा, तो वहां बेचने पर भी मनाही नहीं होगी।
- मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ये कानून, ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा। बल्कि ये हमारी ही एनडीए सरकार है जिसने देश की कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर काम किया है। कृषि मंडियों के कार्यालयों को ठीक करने के लिए, वहां का कंप्यूटराइजेशन कराने के लिए, पिछले 5-6 साल से देश में बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। इसलिए जो ये कहता है कि नए कृषि सुधारों के बाद कृषि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो वो किसानों से सरासर झूठ बोल रहा है।
- बहुत पुरानी कहावत है कि संगठन में शक्ति होती है। आज हमारे यहां ज्यादा किसान ऐसे हैं जो बहुत थोड़ी सी जमीन पर खेती करते हैं। जब किसी क्षेत्र के ऐसे किसान अगर एक संगठन बनाकर यही काम करते हैं, तो उनका खर्च भी कम होता है और सही कीमत भी सुनिश्चित होती है।
- जहां डेयरी होती हैं, वहां आसपास के पशुपालकों को दूध बेचने में आसानी तो होती है, डेयरियां भी पशुपालकों का, उनके पशुओं का ध्यान रखती हैं। इन सबके बाद भी दूध भले ही डेयरी खरीद लेती है, लेकिन पशु तो किसान का ही रहता है। ऐसे ही बदलाव अब खेती में भी होने का मार्ग खुल गया है।
- कृषि क्षेत्र में इन ऐतिहासिक बदलावों के बाद, कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसलिए अब ये लोग MSP पर किसानों को गुमराह करने में जुटे हैं। ये वही लोग हैं, जो बरसों तक MSP पर स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को अपने पैरों की नीचे दबाकर बैठे रहे।
- मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि MSP की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे।
- बीते 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है और 2014 से पहले के 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है, उसके आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। मैं अगर दलहन और तिलहन की ही बात करूं तो पहले की तुलना में, दलहन और तिलहन की सरकारी खरीद करीब 24 गुणा अधिक की गई है। इस साल कोरोना संक्रमण के दौरान भी रबी सीज़न में किसानों से गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की गई है। इस साल रबी में गेहूं, धान, दलहन और तिलहन को मिलाकर, किसानों को 1 लाख 13 हजार करोड़ रुपए MSP पर दिया गया है। ये राशि भी पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत से ज्यादा है।
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में बिहार के बुनियादी ढांचागत विकास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी। 54,700 करोड़ रुपये की लागत से 15 परियोजनाओं पर काम होना था, जिनमें से 13 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, 38 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जबकि अन्य आवंटन या नीलामी की प्रक्रिया में हैं।
इन परियोजनाओं के पूरा होने पर बिहार में सभी नदियों पर पुल होंगे और राज्य के बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण की प्रक्रिया पूरी होगी। वहीं 45,945 गांवों को डिजिटल क्रांति से जोड़ने के लिए राज्य के कोने-कोने तक तेज गति की इंटरनेट सुविधा पहुंचाने की भी तैयारी है।
दरअसल बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी बीच केंद्र द्वारा लगातार बिहार को हर क्षेत्र की परियोजनाओं की सौगात दी जा रही है।
- 10 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana- PMMSY) का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री के बटन दबाते ही बिहार सहित 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना के तहत 1700 करोड़ रुपये के कार्यक्रम शुरू हो गए। किसानों के लिए ई-गोपाला ऐप (e-Gopala App) भी लॉन्च किया गया।
- 13 सितंबर को भी चुनावी दांव चलते हुए प्रधानमंत्री ने बिहार में पेट्रोलियम क्षेत्र की तीन प्रमुख परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इसमें पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर पाइपलाइन का बांका तक विस्तार, बांका में एलपीजी बॉटलिंग प्लांट और चंपारण में एलपीजी प्लांट का लोकार्पण किया।
- 15 सितंबर को बिहार में नमामि गंगे और अमृत योजना से जुड़ी सात परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया और कहा, इन परियोजनाओं से बिहार में अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर (Urban Infrastructure) को एक नई मजबूती मिलेगी। पीएम मोदी ने जिन सात परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया था उनमें- चार परियोजनाएं जल आपूर्ति, दो सीवरेज ट्रीटमेंट और एक रिवर फ्रंट डेवलपमेंट से संबंधित है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 541 करोड़ रुपये है।
- 18 सितंबर को भी प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिेए बिहार से ऐतिहासिक "कोसी रेल महासेतु" (Kosi Rail Mahasetu) राष्ट्र को समर्पित किया था। इसके साथ ही यात्री सुविधाओं से संबंधित 12 रेल परियोजनाओं (Rail Projects) का भी शुभारंभ किया।