छोटे को पता ही नहीं था कि बड़ा भाई अब नहीं रहा! पत्नी के बंटवारे पर बड़े भाई की हत्या
छोटे को पता ही नहीं था कि बड़ा भाई अब नहीं रहा! पत्नी के बंटवारे पर बड़े भाई की हत्या
डिजिटल डेस्क अनूपपुर। जैतहरी नगर के वार्ड क्रमांक-4 में तीसरी पत्नी के बंटवारे के विवाद पर बड़े भाई की हत्या के मामले में एक और दर्दनाक पहलू और सामने आया है। यह पहलू है नशे का...। जो गांवों की संस्कृति और समरसता को गर्त में ले जा रहा है। पुलिस टीम की मानें तो जब वह घटना स्थल पर पहुंची तो मृतक मनोज का छोटा भाई फूलचंद नशे में धुत हाल में चिकिन पकाते हुए मिला। सवाल पर उसने कहा "मुझे नहीं मालूम कि बड़े भाई की हत्या हो गई है।Ó उल्लेखनीय है कि पत्नी को रखने के विवाद पर फूलचंद के ही मंझले भाई विजय ने बड़े भाई मनोज कोल को मौत के घाट उतार दिया। दोनों के बीच रविवार को दिन भर विवाद हुआ था। विजय को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है।
परेशान होकर अलग रह रहा पिता-
जैतहरी थाना प्रभारी केके त्रिपाठी के अनुसार जैतहरी निवासी रामलाल कोल का बड़ा पुत्र मनोज कोल 40 वर्ष, मंझला विजय कोल 32 वर्ष और सबसे छोटा फूलचंद उम्र 30 वर्ष भी पुत्र नशे के आदी हैं। मनोज और विजय की पहली पत्नी का निधन हो गया। इसके बाद दोनों सामाजिक समझौते के तहत दूसरी पत्नी लेकर आ गए। दोनों की दूसरी पत्नी भी कुछ दिन के बाद वापस चली गईं। वहीं तीनों पुत्रों की हरकत से परेशान पिता रामलाल कोल भी अपने घर से अलग अमलाई में रहकर मजदूरी करके अपना भरण-पोषण कर रहा है।
दिन भर लड़ते ही रहे दोनों भाई
पुलिस के अनुसार आए दिन के विवाद के कारण मनोज और विजय दूसरी पत्नी भी जब अपने-अपने घरों को लौट गई तब मझले भाई विजय ने तीसरी पत्नी को सामाजिक रीति के अनुसार अपने साथ ले आया था। तीसरी पत्नी भी आने के बाद बड़े भाई मनोज के साथ एक हफ्ते तक रही। मनोज की हरकत से परेशान होकर उसने उसका साथ छोड़ा और एक बार फिर विजय के साथ रहने लगी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच अक्सर विवाद होने लगा। विजय का कहना था कि यह मेरे साथ आई है इसलिए मेरे साथ रहेगी जबकि मनोज का कहना था कि यह पहले मेरे साथ रही है इसलिए मेरे साथ रहेगी। इस बात लेकर रविवार को दोनों के बीच कई बार उठा-पटक तक हुई।
घटना से ग्रामीण स्तब्ध
मंझले भाई द्वारा बड़े भाई की हत्या की वारदात से ग्रामीण स्तब्ध हैं। लोगों का कहना है कि क्षेत्र में जमकर शराबखोरी हो रही है। इसके नशे में परिवार तबाह हो रहे हैं। हालांकि आदिवासी समुदाय के लोग पहले से ही शराब के शौकीन रहे हैं, लेकिन अब यह नशा सभी मर्यादाएं तोड़ चुका है। इस पर समय रहते कार्रवाई होनी चाहिए।