Anuppur News:: ओपीएम हादसा, सोडा फैक्ट्री से महीने में 25 दिन गैस लीकेज

  • खराब हो चुके उपकरणों की वजह से महीने में करीब 15 से 25 दिन गैस का रिसाव होता है।
  • 21 सितंबर को ऐसे ही उपकरण से गैस का लीकेज हुआ और 50 से ज्यादा लोगों की जान जोखिम में पड़ गई।
  • जिला चिकित्सालय से एंबुलेंस और चिकित्सा उपलब्ध नहीं कराई जाती तो स्थिति और गंभीर हो सकती थी।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-26 09:49 GMT

Anuppur News: ओपीएम (ओरिएंट पेपर मिल) की बरगवां स्थित सोडा फैक्ट्री से क्लोरीन गैस के रिसाव का मामला मंगलवार को कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के दौरान भी उठा। कलेक्टर की अनुपस्थिति में जनता की समस्याओं को सुन रहे जिला पंचायत सीईओ तन्मय वशिष्ठ शर्मा को बरगवां के प्रभावितों ने बताया कि ओपीएम की सोडा फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा पुराने और जर्जर हो चुके उपकरणों से उत्पादन का कार्य किया जा रहा है।

इन खराब हो चुके उपकरणों की वजह से महीने में करीब 15 से 25 दिन गैस का रिसाव होता है। गैस रिसाव की मात्रा कम होने के कारण लोगों में दुष्प्रभाव नहीं देखा जाता। बीते 21 सितंबर को ऐसे ही उपकरण से गैस का लीकेज हुआ और 50 से ज्यादा लोगों की जान जोखिम में पड़ गई। प्रभावितों ने लिखित आवेदन देते हुए गैस लीकेज मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग भी की है।

यह आरोप भी लगाया

जनसुनवाई में पहुंचे करीब आधा सैकड़ा लोगों ने ओपीएम प्रबंधन पर सीएसआर का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाते हुए बताया कि वार्ड क्रमांक 3 की सडक़ में जगह-जगह पर गड्ढे हो गए हैं। सडक़ जर्जर हो चली है किंतु इसकी मरम्मत प्रबंधन ने नहीं कराई, जबकि यह उसका दायित्व था। स्वास्थ्य सुविधाएं भी नगण्य हैं। मात्र एक कंपाउंडर के भरोसे ओपीएम की डिस्पेंसरी का संचालन हो रहा है। प्रभावितों ने बताया कि बीते शनिवार को हुए हादसे के बाद यदि जिला चिकित्सालय से एंबुलेंस और चिकित्सा उपलब्ध नहीं कराई जाती तो स्थिति और गंभीर हो सकती थी।

प्रमाण के बाद भी कार्रवाई नहीं

जनसुनवाई दौरान सौंपे गए आवेदन में बरगवां के प्रभावितों ने उल्लेखित किया है कि नगर परिषद की अध्यक्ष गीता गुप्ता द्वारा पूर्व में भी विभिन्न स्तरों पर शिकायतें की गई थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों के गैस लीकेज से जुड़े को प्रमाण भी उपलब्ध कराए थे।

सोडा फैक्ट्री से निकलने वाला केमिकल युक्त दूषित जल सोन नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। वह स्थान और उससे दूषित हुआ सोन नदी का पानी भी पीसीबी के अधिकारियों को दिखलाया, लेकिन उन्होंने कार्यवाही नहीं की। प्रभावितों ने कहा कि, सारे प्रमाण आज भी मौजूद हैं, प्रशासन उन्हें प्रत्यक्ष देख कार्यवाही कर सकता है।

जांच टीम ने सौंपा प्रतिवेदन, व्यस्तता की वजह से कलेक्टर नहीं कर पाए परीक्षण

21 सितंबर को ओपीएम की कास्टिक सोडा फैक्ट्री में देर शाम हुए क्लोरीन गैस के रिसाव के मामले की जांच करने कलेक्टर द्वारा गठित 4 सदस्यीय समिति ने मंगलवार सुबह कलेक्टर हर्षल पंचोली को अपना प्रतिवेदन सौंपा।

सूत्रों के अनुसार जिला पंचायत सीईओं की अगुआई में समिति के सदस्यों ने 11 बिंदुओं पर की गई जांच में ओपीएम प्रबंधन की कर्ठ स्तरों पर खामियां व लापरवाही पाई है। इस जांच प्रतिवेदन का कलेक्टर मीटिंग तथा दूसरे कार्यों में व्यस्तता के कारण मंगलवार को परीक्षण नहीं कर पाएं। बहुत संभव है कि बुधवार को प्रतिवेदन परीक्षण के बाद गैस लीकेज मामले में कार्यवाही प्रस्तावित हो सकती है।

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